मंगल पांडे बिहार भाजपा के अध्यक्ष हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में मंगल पांडे पर काफी जिम्मेदारियां हैं. उनपर बिहार में भाजपा की अपनी सरकार बनाने और एनडीए के सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी है. उनपर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा तय किए गए मिशन 185 के लक्ष्य को हासिल करने की भी जिम्मेदारी है. आइए डालते हैं मंगल पांडे के राजनीतिक जीवन पर एक नजर:
1. मंगल पांडे का जन्म सीवान जिले के भृगु बलिया गांव में हुआ था. मंगल पांडे 1989 में बीजेपी में शामिल हुए . 2005 में मंगल पांडे को राज्य भाजपा का महासचिव बनाया गया. 2012 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने.
2. 2013 में जब बिहार भाजपा अध्यक्ष के रूप में अचानक मंगल पांडे का नाम सामने आया तो कईयों के लिए ये आश्चर्यभरी बात थी. इसे साफ तौर पर दूसरे टर्म से नकारे गए वयोवृद्ध नेता सी. पी. ठाकुर के गुट की हार और सुशील मोदी की जीत के रूप में देखा गया. मंगल पांडे को पार्टी की प्रदेश ईकाईं का जिम्मा सौंपा गया और जनवरी 2013 से मंगल पांडे ये जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
3. इस दौरान भाजपा के लिए बिहार में काफी कुछ बदल गया. 2014 के चुनावों में पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी को आगे किए जाने से नाराज नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू एनडीए से अलग हो गई और इस बार भाजपा विधानसभा चुनावों में एनडीए के सहयोगी दलों एलजेपी, HAM और RLSP के साथ मिलकर चुनाव मैदान में हैं. प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मंगल पांडे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा तय किए गए मिशन 185 के लक्ष्य को हासिल करने की जिम्मेदारी है.
4. मंगल पांडे बिहार भाजपा के अध्यक्ष हैं. युवा नेता के तौर पर तेजी से अपनी पहचान बनाने वाले मंगल पांडे सबसे कम उम्र में बिहार बीजेपी के अध्यक्ष बनने वाले नेता हैं. वे बिहार विधान परिषद के सदस्य भी हैं.
5. बिहार में पार्टी के सियासी समीकरण में सुशील मोदी के पिछड़ने और केंद्र में बदले समीकरण और शाह-मोदी गुट के काबिज हो जाने के बाद भी मंगल पांडे अपनी स्थिति बरकरार रख पाए ये उनकी बड़ी सियासी सफलता है. पार्टी के तमाम गुटों के बीच समीकरण साधकर चलना उनकी सांगठनिक क्षमता को दर्शाता है.