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दिल्ली के दंगल में सिर्फ 19 महिला उम्मीदवार

दिल्ली के विधानसभा चुनावों में महिला सुरक्षा का मुद्दा सभी पार्टियां उठा रही हैं, लेकिन जब बात महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारने की आती है, तो सभी बड़े राजनीतिक दल पीछे नजर आते हैं.

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Delhi Assembly Election
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दिल्ली के विधानसभा चुनावों में महिला सुरक्षा का मुद्दा सभी पार्टियां उठा रही हैं, लेकिन जब बात महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारने की आती है, तो सभी बड़े राजनीतिक दल पीछे नजर आते हैं.

सत्तर सदस्यीय दिल्ली के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस, आप और बीजेपी तीनों बड़ी पार्टियों को मिलाकर कुल 19 महिला प्रत्याशी हैं.

बीजेपी ने सर्वाधिक आठ महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, जिसमें उसकी मुख्यमंत्री पद की दावेदार किरण बेदी भी शामिल हैं जो कृष्णा नगर सीट से उम्मीदवार हैं.

सात फरवरी को होने वाले चुनावों में बीजेपी की अन्य महिला प्रत्याशियों में पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ पटेल नगर से, दिल्ली छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष रेखा गुप्ता शालीमार बाग से, नुपुर शर्मा नई दिल्ली से, किरण वैद्य त्रिलोकपुरी से, रजनी अब्बी तिमारपुर से, नंदिनी शर्मा मालवीय नगर से और दक्षिण दिल्ली की पूर्व मेयर सरिता चौधरी महरौली से चुनाव मैदान में है.

आम आदमी पार्टी ने छह महिला प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा है, जिनमें राखी बिडलान, वंदना कुमारी, सरिता सिंह, अल्का लांबा, प्रमिला टोकस और भावना गौर शामिल हैं.

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राखी बिडलान आप की 49 दिन की सरकार के दौरान महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण और भाषा मंत्री थीं. वंदना कुमारी शालीमार बाग से पिछले चुनावों में विधायक चुनी गई थीं.

कांग्रेस ने केवल पांच महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है जिनमें नई दिल्ली सीट से किरण वालिया, ग्रेटर कैलाश से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी शामिल हैं. इसके अलावा रीता शौकीन, मीनाक्षी चंदेला और रिंकू कांग्रेस की अन्य महिला प्रत्याशी हैं.

दिल्ली में कुल 1.33 करोड़ मतदाता है, जिसमें लगभग 72 लाख पुरुष और 59 लाख महिला हैं. कुल 673 प्रत्याशियों में से 66 महिला प्रत्याशी हैं. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में आप और कांग्रेस ने छह-छह महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था और बीजेपी से पांच महिला प्रत्याशी मैदान में थीं.

हालांकि पार्टियों का इस बारे में कहना है कि उन्होंने जानबूझकर कम महिला प्रत्याशियों को मैदान में नहीं उतारा, बल्कि इसके पीछे उनके विजयी हो सकने की संभावना सहित कई और भी कारण हैं.

- इनपुट भाषा से

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