बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के वाराणसी से चुनावी जंग में उतरने से घाटों, कर्मकांडों की नगरी वाराणसी पर अचानक देश और विदेश की नजरें गड़ गई हैं. वाराणसी केवल मोदी के लिए अहम नहीं है. आम आदमी पार्टी की पूर्व घोषणा है कि अगर काशी से मोदी लड़ेंगे तो उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल उनका मुकाबला करेंगे.
अपनी-अपनी पार्टी के दो दिग्गजों की संभावित भिड़ंत के चलते इस सीट पर चुनावी पारा सबसे गरम है. वजह यह भी है कि बाहुबली मऊ विधायक मुख्तार अंसारी भी अब यहीं से चुनाव लड़ सकते हैं. कौमी एकता दल ने अपने कार्यकर्ता सम्मेलन में ऐलान किया है कि अगर मोदी लड़ते हैं तो पार्टी मुख्तार को बनारस से लड़ाएगी. वहीं पूर्वांचल में अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए सपा का आजमगढ़ से मुलायम सिंह को उतारने का दांव भी इस बार काशी को देश के चुनावी संग्राम के केंद्र में रखेगा.
मोदी को वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ाने के साथ ही बीजेपी एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश कर रही है. मोदी के यहां से चुनाव लडऩे से भाजपा पूर्वांचल की 27 सीटों पर मोदी को भुनाने की कोशिश करेगी. पार्टी को उम्मीद है कि काशी में मोदी की उपस्थिति का असर, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, इलाहाबाद, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर सहित कई जिलों पर पड़ेगा.
यही नहीं पश्चिमोत्तर बिहार की 19 सीटों पर भी मोदी के प्रभाव से पार्टी अच्छी संख्या में सीट अपनी झोली में लाने की संभावना जता रही है. मोदी का फायदा केवल इन्हीं सीटों पर मिलेगा, ऐसा नहीं है. बीजेपी के एक बड़े नेता बताते हैं कि मोदी के वाराणसी से चुनाव लडऩे का मतलब है यूपी की 80 सीटें, बिहार की 40, मध्य प्रदेश की 29, छत्तीसगढ़ की 11 और झारखंड की 10 संसदीय सीटों पर मोदी फैक्टर का लाभ लेने की कोशिश होगी.