लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार सासाराम से एक बार फिर चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहीं हैं. वह पिछले दो चुनावों से लगातार सासाराम से सांसद हैं, लेकिन इस बार उनके सामने कई मोर्चों पर चुनौती है. नरेन्द्र मोदी पास की सीट बनारस से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि बीजेपी ने उनके खिलाफ जेडीयू में मंत्री रहे छेदी पासवान को मैदान में उतारा है.
जाहिर है मीरा कुमार के लिए जीत का रास्ता इस बार थोड़ा उलझा हुआ है. हालांकि अपनी जीत को लेकर आश्वस्त मीरा कहती हैं कि अभी कुछ भी कहना मुश्किल है और सबकुछ पोलिंग पर निर्भर करेगा. वहीं, चुनाव में 'मोदी फैक्टर' को सिरे से नकारते हुए मीरा कहती हैं कि उनके बनारस से चुनाव लड़ने का सासाराम की सीट पर कोई असर नहीं होगा.
चुनाव लड़ना निजी फैसला
जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी में बड़े नेता चुनाव लड़ने से कतरा रहे हैं, वहीं मीरा कुमार का कहना है कि चुनाव नहीं लड़ने का फैसला नेताओं का निजी फैसला है और इस संबंध में कुछ भी कहना सही नहीं होगा. चुनावी अटकलों पर बात करते हुए मीरा कहती हैं, '2004 में भी कहा गया था कि यूपीए अच्छा नहीं करेगी. 2009 में भी कहा गया कि हम हार चुके हैं, लेकिन हुआ उल्टा.'
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं सासाराम में चुनावी दंगल बीजेपी और कांग्रेस के बीच सिमटता जा रहा है. हालांकि जेडीयू ने इसी इलाके से सीनियर नौकरशाह केपी रमैय्या को अपना उम्मीदवार बनाया है, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस का गठबंधन होने और बीजेपी के साथ रामविलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा के गठबंधन से सीधी लड़ाई मीरा कुमार और बीजेपी के छेदी पासवान के बीच ही सिमटती जा रही है. दोनों नेता अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. मीरा कुमार इलाके में अपने काम के आधार पर वोट मांग रही हैं तो बीजेपी मोदी के नाम पर सवारी कर रही है.