वाराणसी की लड़ाई में 'चाय वाले' नरेंद्र मोदी को एक 'पान वाला' टक्कर देने के लिए चुनावी मैदान में है. समाजवादी पार्टी ने कैलाश चौरसिया को यहां से प्रत्याशी बनाया है जो अपने पारिवारिक पेशे 'पान बेचने' को भुनाने में लग गए हैं.
'पान बेचना रहा है पुश्तैनी काम'
चौरसिया कहते हैं, 'मोदी अगर कभी चाय बेचते रहे हैं तो वह अपनी चाय वाले की पृष्ठिभूमि को भुना रहे हैं. हमारे पुरखे तो पान बेचने के धंधे में रहे है और उसी तर्ज
पर हम 'पान वाला अभियान' पर निकल पड़े हैं.' उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री चौरसिया ने कहा, 'मैंने भी बहुत सालों तक पान बेचा है और पान बेचना
तो हमारा पुश्तैनी व्यवसाय है. उन्होंने कहा कि मोदी लोगों से चाय पर चर्चा में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संवाद कर रहे है, तो उनकी कोशिश ज्यादा से ज्यादा पान
वालों से सीधे संवाद स्थापित करने की है.
'मोदी खर्च कर रहे बड़ी रकम'
चौरसिया ने कहा, 'मैं मोदी की तरह हवा-हवाई में भरोसा नहीं करता, जो भारी रकम खर्च करके अपने प्रचार के लिए चाय पर चर्चा कर रहे हैं. मेरा मकसद इस तरह के
बेकार प्रचार पर धन खर्च करना नहीं है कि खुद को टीवी पर दिखाये और अखबारों में विज्ञापन दें. यह पैसा गरीबों की सहायता में, उनके इलाज में, शादी विवाह में
सहायता के रुप में खर्च किया जाना बेहतर है.'
'खइके पान बनारस वाला'
चौरसिया की 'पान वाला पृष्ठभूमि' को चुनावी चर्चा में लाने के लिए सपा कार्यकर्ता मशहूर गाने 'खइके पान बनारस वाला, खुल जाये बंद अक्ल का ताला' जैसे गाने गाते
घूम रहे हैं और मोदी और केजरीवाल के वादों को खोखला बताते हुए लोगों को उनसे सावधान रहने की नसीहत दे रहे हैं. वे यह आरोप भी लगा रहे है कि मोदी समर्थकों
ने देवी-देवताओं के लिए मशहूर नारों और मंत्रों की तर्ज पर नारे उछाल कर देवी-देवताओं का अपमान किया है.
पान वाला बनाम चाय वाला?
सपा के स्थानीय कार्यकर्ता किशन दीक्षित कहते हैं कि देवी दुर्गा और भगवान शंकर से मोदी की तुलना करके बीजेपी कार्यकर्ताओं ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. उन्होंने कहा, हम लोगों को भी समझा रहे है कि हमारा उम्मीदवार इसी शहर का है और यहीं रहेगा, जबकि मोदी या केजरीवाल चुनाव बाद यहां से चले जाएंगे. चौरसिया कहते हैं कि बनारस अपने बनारसी पान के लिए दुनिया में मशहूर है और बनारसी पान वाले के साथ चाय वाले का क्या मुकाबला.