पूरे देश की निगाहें इस समय लोकसभा चुनाव की तारीखों के होने वाले ऐलान की ओर टिकी हुई हैं. अब सस्पेंस खत्म होने को ही है. चुनाव आयोग 5 मार्च (बुधवार) को सुबह साढ़े 10 बजे चुनाव और इस पूरी कवायद से जुड़ी अहम तारीखों का ऐलान करने जा रहा है.
तारीखों का ऐलान होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी. लोकसभा चुनावों के लिए मतदान अप्रैल के दूसरे सप्ताह (7 से 10 अप्रैल) से मई के बीच होने की संभावना है. चुनाव 6-7 चरणों में कराए जा सकते हैं. कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग ने ज्यादा गरमी पड़ने की आशंका को देखते हुए कार्यक्रम को ज्यादा आगे बढ़ाए जाने से इनकार कर दिया है. भीषण गर्मी पड़ने की स्थिति में चुनाव आयोग को देश के हर भाग में इंतजाम करने में दिक्कत हो सकती है.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि मतदान अप्रैल के दूसरे सप्ताह से शुरू होकर छह से सात चरणों में पूरा होगा. चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि मतदान सात और दस अप्रैल के बीच शुरू होने की संभावना है. अभी तक की योजना के मुताबिक छह से सात चरणों में मतदान होंगे. 2009 में पांच चरणों में 16 अप्रैल से 13 मई के बीच चुनाव हुए थे. मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल एक जून को समाप्त होगा और नयी लोकसभा का गठन 31 मई तक होना है.
लोकसभा चुनावों के साथ साथ तेलंगाना क्षेत्रों सहित आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और सिक्किम विधानसभाओं के लिए भी चुनाव कराये जायेंगे. 2014 के लोकसभा चुनाव में करीब 81 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. यह पहला मौका होगा जब देश में छह या सात चरणों में लोकसभा चुनाव कराये जायेंगे. सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में कुछ नक्सल प्रभावित राज्यों और साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों में मतदान कराये जाने की संभावना है.
संसदीय चुनाव में पहली बार परीक्षण के तौर पर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के साथ पेपर नत्थी पर्ची की व्यवस्था शुरू की जायेगी. लोकसभा चुनाव में पहली बार मतदाताओं को ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) का भी विकल्प होगा. कुछ महीने पहले विधानसभा चुनावों में इसे लागू किया गया था. देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए तकरीबन एक करोड़ मतदानकर्मियों को तैनात किया जायेगा इनमें आधी संख्या सुरक्षाकर्मियों की होगी. आने वाले चुनावों में उम्मीदवार चुनाव प्रचार में पहले से ज्यादा पैसा खर्च कर सकेंगे.
गौरतलब है कि साल 2009 में लोकसभा के चुनाव 5 चरणों में कराए गए थे. खैर, इस बार चुनाव की तारीखों को लेकर राजनीतिक दलों की टीका-टिप्पणी शुरू होने में अब कुछ ही घंटे बाकी हैं. 5 साल बाद एक बार फिर देश की जनता के सामने सुनहरा मौका है.