तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी की राष्ट्रीय आकांक्षा को उस समय तगड़ा झटका लगा जब भ्रष्टाचार विरोधी अभियानकर्ता अन्ना हजारे ने लोकसभा चुनाव में उनका समर्थन करने से इनकार कर दिया और इस तरह वह इस मुद्दे पर अपने पहले के रूख से पलट गए. दो दिन पहले संयुक्त रैली से नदारद रहकर ममता बनर्जी के लिए बिल्कुल ही असहज स्थिति पैदा कर चुके हजारे ने कहा कि ‘धोखा देने वाले कुछ लोग’ उनसे (ममता से) जुड़ गए जिससे उनके लिए उनका (तृणमूल कांग्रेस का) समर्थन करना मुश्किल हो गया.
वह संवाददाताओं के इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या वह इस रैली की विफलता के बाद भी ममता बनर्जी का प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन करेंगे.
सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘नहीं. अब जिन कुछ लोगों ने मुझे धोखा दिया, वे ममता बनर्जी के साथ जुड़ गए हैं ऐसे में मेरे लिए उनका समर्थन करना मुश्किल है.’ उन्होंने कहा कि उन्होंने ममता से चुनाव में तृणमूल के विज्ञापनों में उनके नाम का इस्तेमाल बंद करने को कहा है. यह उनका अपने रूख से पलट जाने जैसा है क्योंकि इससे पहले वह प्रधानमंत्री पद के लिए ममता का समर्थन कर थे.
19 फरवरी को जब ममता ने उनके 17 सूत्री कार्यक्रम को स्वीकार कर लिया था तब हजारे ने उनके प्रति अपने समर्थन की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि वह ममता का समर्थन बतौर पार्टी नहीं बल्कि व्यक्ति के रूप में करते हैं क्योंकि वह उनकी प्रशंसा करते है. उन्होंने समाज और देश के बारे में ममता के दृष्टिकोण का भी समर्थन किया था. आज भी हजारे ने पहले कहा, ‘मेरे मन में ममता के लिए सम्मान है. देश के सभी मुख्यमंत्रियों में वह श्रेष्ठ हैं. उनका बलिदान, उनका चरित्र, उनकी विचारधारा.’ उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह पहले ही कह चुके हैं कि वह किसी दल का समर्थन नहीं करते.
हजारे और ममता ने भी रैली आयोजन पर सार्वजनिक रूप से भिन्न रूख रखा.
बुधवार को रामलीला मैदान में हुई बहुप्रचारित रैली में अपनी गैर मौजूदगी पर चुप्पी तोड़ते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि वह यहां तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख के साथ संयुक्त रैली में इसलिए नहीं गए क्योंकि वहां 4000 लोग भी नहीं पहुंचे थे और उन्हें गुमराह किया गया.
ममता ने कहा था कि यह हजारे की रैली थी और उन्हें उसके लिए न्यौता दिया गया था और वह न्यौते पर आयीं.
पहले हजारे के सहयोगियों ने दावा किया था कि वह अस्वस्थ थे इसलिए वह रैली में नहीं आ सके. सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘जब मैं दिल्ली आया तब मैंने पाया कि 12 बजे तक रैली में महज 2000 या ढाई हजार लोग ही थे. उसके बार फिर मैंने एक बजे और दो बजे पता किया. मैंने सोचा कि कुछ गड़बड़ है. यह वही रामलीला मैदान है जो 12 दिन के दौरान (उनके पिछले प्रदर्शनों के समय) खचाखच भरा रहता था. लेकिन इस बार तो यहां 4000 लोग भी नहीं थे.
उन्होंने कहा, ‘फिर मुझे (रैली स्थल पर) बुलाया गया. यह भूल थी, यह धोखाधड़ी थी.’ इस तरह हजारे ने रैली में अपनी गैर मौजूदगी पर सफाई दी जिसके लिए वह एक रात पहले महाराष्ट्र से विशेष रूप से आए थे.
हजारे ने एक आयोजक पर उन्हें गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें बताया गया कि उन्हें बनर्जी द्वारा आयोजित रैली में शामिल होना है जबकि तृणमूल प्रमुख को बताया गया कि यह अन्ना हजारे की रैली है.
उन्होंने कहा, ‘उन्हें गलत सूचना दी गयी और मुझे भी गलत सूचना दी गयी.’ उनकी गैर हाजिरी ने ममता बनर्जी को असहज स्थिति में डाल दिया था क्योंकि राष्ट्रीय परिदृश्य पर उनके आगमन का संकेत समझा जाने वाला यह कार्यक्रम फुस्स रहा.