इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां के सियासी सितारे गर्दिश में दिखाई दे रहे हैं. वो जो भी कदम उठा रहे हैं कामयाबी नहीं मिल रही. इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) को राजनीति से अलग रखकर सियासत के लिए हिंदुस्तान युनाइटेड मूवमेंट (हम) गठित किया. खुद उसके संयोजक बने और कल्कि पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम को अध्यक्ष बनाया.
कांग्रेस के टिकट पर संभल से प्रमोद कृष्णम की उम्मीदवारी ने 'हम' का दम निकाल दिया है. प्रदेश में सत्तारूढ़ होने पर समाजवादी पार्टी से दोस्ती बढ़ाई, राज्य मंत्री का ओहदा पाया लेकिन लंबे समय तक सपा से दोस्ती नहीं चली. समाजवादी पार्टी से नाता टूटने पर प्रमोद कृष्णम के साथ कई दौर बैठकें हुई और 'हम' नाम से एक पार्टी बनाई. 'हम' गठित करते समय ऐलान किया कि आईएमसी की राजनीतिक गतिविधियां ठप रहेंगी और राजनीति के लिए 'हम' के प्रत्याशी चुनाव में उतारे जाएंगे. जहां प्रत्याशी नहीं होंगे वहां किसी अन्य प्रत्याशी को समर्थन देने की भी बात कही गई थी.
प्रमोद कृष्णम के नए पैंतरे से मौलाना तौकीर अपने ही बुने जाल में उलझ गए हैं. प्रमोद कृष्णम 'हम' को दरकिनार कर संभल से कांग्रेस का टिकट पा गए, 'हम' के कुछ और साथी भी मौलाना को राजनीतिक भंवर में छोडक़र इधर-उधर हो लिए. मौलाना का मानना था कि 'हम' के साथ सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी केके गौतम और इंजीनियर अनीस अहमद भी हैं लेकिन इन दोनों ने ही बीएसपी के प्रति निष्ठा दिखाई. केके गौतम अपने बेटे उमेश गौतम को बीएसपी का टिकट दिला लाए, अनीस अहमद बरेली लोकसभा क्षेत्र के बीएसपी प्रभारी बन गए और मौलाना हाथ मलते रह गए.
दरअसल मौलाना तौकीर इस चुनाव में राजनीतिक राह नहीं पकड़ पा रहे हैं. सपा के छिटकने का बाद मौलाना सेक्यूलर छवि बनाने में जुट गए. 'आप' के नेता अरविंद केजरीवाल मौलाना से दोस्ती करने बरेली आए जरूर लेकिन दंगों में मौलाना की गिरफ्तारी की बात पता चलने के बाद उन्होंने हाथ पीछे खींच लिया. मौलाना तब से लगातार 'आप' के प्रति सॉफ्ट बने हुए हैं लेकिन 'आप' की तरफ से उनकी मदद लेने जैसी कोई बात नहीं कही जा रही है.