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पटना साहिब में दिखने लगा बिहारी बाबू शत्रुघ्‍न सिन्‍हा का रौब

बॉलीवुड एक्‍टर और बीजेपी उम्‍मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब में भले ही काले झंडे दिखाए गए हों, उनकी दावेदारी का विरोध हुआ हो पर जैसे-जैस चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है बिहारी बाबू अपने पूरे रौब में आते दिख रहे हैं. विरोध की जगह अब उनके समर्थकों का हूजूम दिख रहा है, कहीं लोग उनके समर्थन में खड़े हैं तो कोई उन्हें सिर्फ देखने के लिए आ रहा है.

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शत्रुघ्न सिन्हा
शत्रुघ्न सिन्हा

बॉलीवुड एक्‍टर और बीजेपी उम्‍मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब में भले ही काले झंडे दिखाए गए हों, उनकी दावेदारी का विरोध हुआ हो पर जैसे-जैस चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है बिहारी बाबू अपने पूरे रौब में आते दिख रहे हैं. विरोध की जगह अब उनके समर्थकों का हूजूम दिख रहा है, कहीं लोग उनके समर्थन में खड़े हैं तो कोई उन्हें सिर्फ देखने के लिए आ रहा है. कोई उनके साथ हाथ मिलाने और मोबाइल में तस्वीरें उतारने में लगा है. भीड़ देखकर बिहारी बाबू भी गदगद हैं, लेकिन अब इस उत्साह के लिए वो नरेंद्र मोदी की लहर की बात करना नहीं भूल रहे. कभी मोदी के सबसे बड़े आलोचकों में शुमार रहे बिहारी बाबू पर अब सिर्फ नमो धुन पर सवार हैं.

शत्रुघ्न सिन्हा का दिन शुरू होता है दिन के 12 बजे, जब वो पूरी तरह से तैयार होकर अपने होटल से निकलते हैं. कदमकुंआ में पुश्तैनी मकान होने के बावजूद शत्रुघ्न सिन्हा पटना के होटल मौर्य में टिके हैं जहां से उनका चुनावी अभियान शुरू होता है. मौर्य होटल के सुइट में बिहारी बाबू अपने कार्यकर्ताओं से मिलते हैं. दिन के करीब 12 बजे बिहारी बाबू अपने रोड शो के लिए निकलते हैं. वे यहां अपने चुनाव क्षेत्र में चुनावी कार्यालयों का उद्घाटन भी कर रहे हैं.

पटना साहिब की सड़कों पर एक चुनावी कार्यालय से दूसरे कार्यालय तक बिहारी बाबू दौड़े जा रहे हैं, हो भी क्‍यों नहीं मोदी को पीएम बनाने का सपना जो संजो रखा है उन्‍होंने. शत्रु यहां लोगों से मिलकर ‘ऐक्‍शन हीरो’ नरेंद्र मोदी के लिए वोट मांग रहे हैं. उनके साथ गाड़ी में उनके बेटे कुश भी होते हैं और उनका पूरा परिवार ही चुनाव प्रचार में जुटा हुआ है.

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बीजेपी में कुछ बड़े नेताओं को दरकिनार किए जाने पर बिहारी बाबू कहते हैं, ‘मैं इस मामले में इतना ही कहना चाहूंगा कि कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि कुछ लोगों को हाशिए पर रखने की कोशिश की गई हैं.’ बीजेपी से 6 साल के लिए बाहर किए गए जसवंत सिंह के बारे में वे कहते हैं कि वे अच्छे व्‍यक्ति हैं, कद्दावर नेता हैं, मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं. जसवंतजी हो या फिर हमारे फ्रेंड, फिलॉस्फर, गाइड, हमारे गुरु आडवाणीजी हों या सुषमा स्वराज हों, हम इस सबकी बहुत इज्‍जत करते हैं. उन्‍होंने कहा, 'लेकिन इस वक्त उस मामले पर कुछ कहना ठीक नहीं होगा, क्योकि संसदीय बोर्ड की मुहर के बाद हम सब सहमत होते हैं और अगर इस पर कोई बात करनी है तो चुनाव के बाद बात करेंगे. परिवार के अंदर बात करेंगे, मीडि‍या से इस वक्त ऐसी बात करना सही नहीं होगा.

उन्‍हें काले झंडे दिखाने और विरोध प्रदर्शन करने पर शत्रु ने कहा, ‘मुझे लगता है वो प्रायोजित कार्यक्रम था. हमारा उनसे संबंध स्थापित हो गया, हिंसा से तो मैं दूर रहता हूं, हिंसा मुझे सिर्फ रील लाइफ में पसंद है, रियल लाइफ में नहीं. रही बात प्रदर्शन की तो ये तो स्टेटस सिंबल हो गया हैं. कोई बड़ा नेता देखकर 2-4 लोग आ ही जाते हैं प्रदर्शन करने. मेरा विरोध करने के लिए 10-20 लोग आए थे, मैं उन बच्चों को माफ कर चुका हूं, गले भी लगा लूंगा.’

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शत्रु का कहना है, ‘जो कहते हैं मैं यहां दिखता नहीं हूं, वे जरा सही से चेक तो कर लें. मेरे घर से, ऑफिस से, पुलिस स्टेशन से, हवाई अड्डे से, मैं जितना यहां आता-जाता रहा हूं उतना तो शायद बड़े-बड़े नेता भी नहीं आते होंगे. उन्होंने कहा मेरे खिलाफ कहने को क्या है, कम से कम मैंने किसी को तकलीफ तो नहीं दी. कहीं डाका तो नहीं डाला, किसी का पैसा तो नहीं लूटा. मेरी छवि अच्छी है, मुझ पर आजतक कोई आरोप नहीं हैं, न पर्सनल लाइफ में ना प्रोफेशनल लाइफ में. मैंने अपने एमपी फंड का सदुपयोग किया है.’

बिहारी बाबू के घर के बाहर भी समर्थक मोदी के मुखौटे पहने हुए थे, इस पर शत्रु ने अपने ही स्टाइल में हंसते हुए कहा, ‘सारा ध्यान केंद्रित है, मुख्य नहीं बल्कि प्रमुख नेता नरेंद्र मोदी पर. इसलिए उनकी फैन फॉलोइंग चारों ओर दिखाई पड़ रही है.’ जब उनसे उनके मुखौटे न होने पर सवाल पूछा गया तो दर्द बाहर आ ही गया. उन्होंने कहा यहां मेरे मुखौटे की जरूरत नहीं, सारा मामला पारदर्शी है. लेकिन उनके साथ खड़े विधायक ने उनकी ओर से सफाई दे डाली. बोले-‘सारे लड़के शत्रुघ्न सिन्हा के मुखौटे मांग रहे थे, लेकिन उनका मिला ही नहीं.’

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पटना में गंदगी के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हम शुरू से काफी कोशिश में थे कि पटना स्वच्छ हो, ग्रीन हो. लेकिन हमारी तमाम अच्छी कोशिशों और नीयत के बावजूद ये नहीं हुआ. पटना, बनारस और कानपुर जैसे शहर हैं जहां काफी कुछ होना बाकी है और वजह ही क्या है कि नरेंद्र मोदी की पुकार हुई है, क्योंकि वो ट्रायड और टेस्टेड हैं.

उन्होंने कहा इसमें कोई दो राय नहीं है कि जितना लोगों के लिए करना चाहिए था, हम नहीं कर पाए. हमारी सरकार में प्राथमिकताएं लोगों की बदलती गईं. एक एमपी की अपनी सीमाएं होती हैं, सफाई और सड़कों के मामले में एमपी तो आवाज उठा सकता है, करना तो सरकार को है.

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