'उड़ता पंजाब' से ड्रग्स का मुद्दा राष्ट्रीय सुर्खियों में आने के बाद ये पंजाब के चुनाव प्रचार का भी केंद्रीय बिंदु बना रहा. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल, एक के बाद एक नेताओं ने ये दावा किया कि उनकी पार्टी को अगर राज्य में सत्ता में आने का मौका मिला तो वो ड्रग्स की बुराई को जड़ से उखाड़ फेंक देंगे.
पंजाब का विविधता से भरा प्रचार अभियान गुरुवार को समाप्त हुआ. उससे पहले आजतक/इंडिया टुडे की विशेष जांच टीम ने तहकीकात से पता लगाया कि प्रदेश को नशे की बुराई से मुक्त कराने संबधी राजनीतिक दलों के लंबे चौड़े दावे कितने खोखले हैं.
इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोटर्स ने पता लगाया कि किस तरह कुछ उम्मीदवारों की ओर से ऐसे लोगों, जो कि नशे पर निर्भर है, को अपने पक्ष में वोट देने के लिए नशे का हथकंडा ही अपनाया जा रहा है. फिरोजपुर के गुरु हर सहाय विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार और मौजूदा विधायक राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी के मालिकाना हक वाली इमारत में कई लोगों को प्रचार प्रबंधकों से एक छोटी चिट हासिल करने के लिए किस तरह की जद्दोजहद कर रहे थे, ये सब कैमरे में कैद है.
अंडर कवर रिपोर्टर्स ने पाया कि ये चिट समर्थकों के लिए कोई खाने या पानी के कूपन नहीं बल्कि देसी शराब मुफ्त में पाने का जरिया थीं. हर कोई राणा सोढ़ी की इमारत में जाकर इस चिट को हासिल करने की कोशिश करते दिखा. मौके पर मौजूद अंडर कवर रिपोर्टर्स को भी ऐसी ही एक चिट दी गई.
जाहिर है कि उम्मीदवारों ने वोटरों को शराब मुहैया कराने का ये तरीका इसलिए अपनाया कि वो अधिकारियों की अचानक जांच की कार्रवाई से बचे रहें. इसमें खुद शराब का स्टॉक ना कर बल्कि पड़ोस के शराब बेचने वाले ठिकानों पर ही पहले से खरीद कर रख दी गई.
अंडर कवर जांच से साफ हुआ कि किस तरह शराब के स्टोरों पर चिट दिखाने पर शराब मिल रही थी. चिट पर हाथ से लिखे कूट संकेत और मुहर के हिसाब से ही तय हो रहा था कि किस क्वालिटी की शराब चिट दिखाने वाले को दी जानी है.
अगर चिट पर 'संतरा' लिखा था तो इसका मतलब देसी शराब था. अंडर कवर रिपोर्टर को ऐसी ही चिट सौंपी गई थी. एक शख्स ने ये भी कहा, आप दूसरा कूपन भी इश्यू करा सकते हैं. अगर संतरा नहीं तो आप भारत निर्मित विदेशी शराब (IMFL) भी प्राप्त कर सकते हैं.
जांच से पता चला कि शराब की ये पर्चियां बड़े पैमाने पर बांटी गई. स्टोरों से शराब का स्टॉक थोड़े वक्त में ही खत्म हो रहा था क्योंकि मुफ्त की शराब हासिल करने के लिए लंबी कतार लग रही थीं. प्रचार की देखरेख करने वाले एक शख्स के मुताबिक सिर्फ संतरा (देसी शराब) ही उपलब्ध है और किसी तरह की मांग पूरी नहीं की जा सकती.
31 जनवरी को इंडिया टुडे की विेशेष जांच टीम ने फरीदकोट में भी इसी तरह का नजारा देखा. कांग्रेस उम्मीदवार कुशलदीप सिंह ढिल्लों उर्फ किकी ढिल्लों के प्रचार मैनेजर सुबह समर्थकों से संपर्क में व्यस्त दिखे. रात को वही मैनेजर शराब के वितरण की निगरानी कर रहे थे. यहां भी चिट के जरिए स्थानीय स्टोर से देसी शराब हासिल की जा सकती थी. चिट पर जो लिखा था उसी के हिसाब से निर्धारित स्टोर से बोतल (या बोतलों के डिब्बे) हासिल किे जा सकते थे. यहां ये भी गौर करने लायक था कि आसपास कहीं भी पुलिस की तैनाती नहीं थी.