कर्नाटक में वोटिंग खत्म होते ही तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिए. दिल्ली में पेट्रोल 17 पैसे वहीं डीजल 21 पैसे महंगा हुआ है. कोलकाता और मुंबई समेत बाकी शहरों में भी पेट्रोल के दाम बढ़े हैं.
24 अप्रैल के बाद तेल कंपनियों ने पहली बार रेट में बदलाव किया है. पहले से ही आशंका बनी हुई थी कि कर्नाटक चुनाव होते ही ऐसा होगा.
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पेट्रोल डीजल के दाम चुनाव के बाद बढ़ाए गए हों. इसके पहले गुजरात चुनाव के वक्त भी ऐसा हुआ था.
पिछले साल गुजरात चुनाव से पहले इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसी सरकारी कंपनियों ने वहां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में करीब 15 दिन तक लगातार 1 से 3 पैसे की कटौती की थी.
यही नहीं, गुजरात में पिछले साल 14 दिसंबर को विधानसभा चुनाव हुए थे. इससे पहले अक्टूबर में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में भी 2 रुपए की कटौती की थी.
इस बारे में जानकारों का कहना है कि तेल के दामों के इजाफे को रोके रखना पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स का संयुक्त फ़ॉर्मूला है. इस फ़ॉर्मूले के तहत क्रूड तेल के दाम गिरने पर सीधा फायदा तेल कंपनियां उठाती है और जब क्रुड तेल के दामों में बढ़ोतरी होती है तो इसी फायदे से वो नुकसान की भरपाई कर देती है.
हालांकि, चुनाव के कारण तेल के दामों को ना बढ़ाए जाने की बात पर तेल कंपनियां साफ़ इनकार करती हैं. वे इसे महज संयोग बताती हैं. कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले 10 मई को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि ये सिर्फ संयोग है. दाम नहीं बढ़ाने के पीछे मकसद ये था कि कीमतों में स्थिरता लाई जाए.