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Election 2024: आज लोकतंत्र के महोत्सव का ऐलान, आचार संहिता लागू होते ही चुनाव आयोग हो जाएगा 'सर्वशक्तिमान'!

Model Code of Conduct Explained: चुनाव आयोग आज यानी लोकसभा चुनाव से संबंधित तारीखों का ऐलान करने वाला है. इसके साथ ही पूरे देश में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी. आचार संहिता लगने के बाद नेताओं और सरकार में शामिल लोगों पर कई तरह के प्रतिबंध लग जाते हैं.

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लोकसभा चुनाव 2024
लोकसभा चुनाव 2024

Model Code of Conduct Explained: आगामी लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) को लेकर इलेक्शन कमीशन आज यानी शनिवार को तारीखों का ऐलान करेगा. इसके साथ ही पूरे देश में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक बरकरार रहेगी. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं, उसे ही आचार संहिता कहा जाता है. इसके लागू होते ही कई बदलाव हो जाते हैं. सरकार के कामकाज में कई अहम बदलाव हो जाते हैं. 

आचार संहिता लागू होने के बाद क्या बदलाव आएंगे?

1. सरकारी ऐलानों पर बैन 

  • चुनाव पैनल के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि चुनाव का ऐलान होने के बाद मंत्रियों और अन्य अधिकारियों को किसी भी वित्तीय अनुदान की घोषणा करने या उसके वादे करने से रोक लग जाती है.
  • सिविल सेवकों को छोड़कर, सरकार से जुड़े किसी भी व्यक्ति पर शिलान्यास करने या किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या योजनाओं को शुरू करने पर रोक.
  • इस दौरान सड़कों के निर्माण, पेयजल सुविधाओं के प्रावधान आदि से संबंधित वादे भी नहीं किए जा सकते हैं. 

2. अधिकारी-कर्मचारी का ट्रांसफर भी नहीं कर सकती सरकार

  • केंद्र सरकार के अधिकारी-कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं. 
  • आचार संहिता में सरकार किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं कर सकती. अगर किसी अधिकारी ट्रांसफर या पोस्टिंग जरूरी भी हो तो आयोग की अनुमति लेनी होगी.

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3. सरकारी पैसे का नहीं कर सकते इस्तेमाल

  • आचार संहिता के दौरान सरकारी पैसे का इस्तेमाल विज्ञापन या जन संपर्क के लिए नहीं किया जा सकता. अगर पहले से ही ऐसे विज्ञापन चल रहे हों तो उन्हें हटा लिया जाएगा.
  • किसी भी तरह की नई योजना, निर्माण कार्य, उद्घाटन या शिलान्यास नहीं हो सकता. अगर पहले ही कोई काम शुरू हो गया है तो वो जारी रह सकता है.
  • अगर किसी तरह की कोई प्राकृतिक आपदा या महामारी आई हो तो ऐसे वक्त में सरकार कोई उपाय करना चाहती है तो पहले चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी.
  • सरकारी विमान, वाहन, मशीनरी और कर्मियों सहित सरकारी परिवहन का उपयोग सत्तारूढ़ दल के हितों को आगे बढ़ाने के लिए नहीं किया जा सकता है.
  • चुनावी बैठकें आयोजित करने के लिए मैदान और फ्लाइट्स के लिए हेलीपैड जैसे सार्वजनिक स्थान समान नियमों और शर्तों पर सभी दलों और उम्मीदवारों के लिए सुलभ होने चाहिए.

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4. प्रचार-प्रसार से जुड़े नियम और प्रतिबंध

  • मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं हो सकता. 
  • प्रचार के लिए राजनीतिक पार्टियां कितनी भी गाड़ियां (टू-व्हीलर भी शामिल) इस्तेमाल कर सकती हैं, लेकिन पहले रिटर्निंग ऑफिसर की अनुमति लेनी होगी.
  • किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने से पहले पुलिस की अनुमति लेनी होगी.
  • रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक डीजे का इस्तेमाल नहीं हो सकता. अगर कोई रैली भी होनी है, तो सुबह 6 बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद नहीं होगी.
  • इलेक्शन कमीशन के मुताबिक विश्राम गृहों, डाक बंगलों और अन्य सरकारी आवासों पर सत्तारूढ़ दल या उसके उम्मीदवारों का एकाधिकार नहीं होना चाहिए. लेकिन किसी भी पार्टी द्वारा चुनाव प्रचार के लिए प्रचार कार्यालय के रूप में या सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने के लिए उनका उपयोग करना प्रतिबंधित है.

Model code of conduct by election commission

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5. बयानबाजी को लेकर क्या नियम हैं?

  • कोई भी पार्टी या कैंडीडेट ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकता है या आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषा के आधार पर लोगों के बीच तनाव पैदा कर सकता है.
  • जब भी कोई दल अपने प्रतिद्वंदी पार्टी की आलोचना करेगा, उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पिछले रिकॉर्ड और काम तक ही सीमित रहेगी. पार्टियों और उम्मीदवारों को निजी जीवन के उन सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए, जो अन्य पार्टियों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़े नहीं हैं. 
  • असत्यापित आरोपों के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए.

6. चुनाव के दिन भी लागू होते हैं कुछ जरूरी नियम

  • शांतिपूर्ण एवं व्यवस्थित मतदान सुनिश्चित करने और वोटर्स को बिना किसी परेशानी या बाधा के अपने मताधिकार का प्रयोग करने की पूरी आजादी सुनिश्चित करने के लिए चुनाव ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों के साथ सहयोग करें.
  • मतदान के दिन और उससे पहले के चौबीस घंटों के दौरान शराब परोसने या वितरित करने पर रोक.
  • मतदान केंद्रों के पास राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा लगाए गए शिविरों के पास गैर-जरूरी भीड़ जमा करने पर रोक. 

यह भी पढ़ें: भाषणों और प्रचार में बरकरार रखें शिष्टाचार... चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को दी हिदायत

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7. चुनाव आयोग बन जाता है महाबली

  • आचार संहिता के दौरान मंत्री-मुख्यमंत्री-विधायक पर कई तरह की पाबंदी लग जाती है. अगर सरकार कुछ भी करना चाहती है तो उसे पहले आयोग को बताना होगा और उसकी मंजूरी लेनी होगी.
  • केंद्र या राज्य का कोई भी मंत्री चुनाव प्रक्रिया में शामिल किसी भी अधिकारी को नहीं बुला सकता.  

8. आचार संहिता के उल्लंघन पर क्या होगा?

  • अगर कोई भी प्रत्याशी आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो उसके प्रचार करने पर रोक लगाई जा सकती है. 
  • आचार संहिता का उल्लंघन करने पर 1860 का भारतीय दंड संहिता, 1973 का आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1951 का लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम प्रयोग में लाया जा सकता है.
  • उल्लंघन करने पर प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा सकता है. इतना ही नहीं, जेल जाने का प्रावधान भी है.
  • इसके अलावा इलेक्शन कमीशन के पास 1968 के चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश के पैराग्राफ 16ए के तहत किसी पार्टी की मान्यता को निलंबित करने या वापस लेने का अधिकार है.

कब हुई थी आचार संहिता की शुरुआत?

आदर्श आचार संहिता (MCC) की शुरुआत साल 1960 में केरल में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान हुई थी, जब प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए एक आचार संहिता बनाने की कोशिश की थी. आदर्श आचार संहिता पहली बार भारत के चुनाव आयोग द्वारा 'न्यूनतम आचार संहिता' के शीर्षक के तहत 26 सितंबर, 1968 को मध्यावधि चुनाव 1968-69 के दौरान जारी की गई थी. इस संहिता को 1979, 1982, 1991 2013 में संशोधित किया गया.

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