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UP में कांग्रेस ने की 40 की डिमांड, सपा 15 पर तैयार, बंगाल में 10 की मांग... 'INDIA' में सीटों का सिर फुटव्वल कैसे सुलझेगा?

लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. कांग्रेस गठबंधन कमेटी आज से तीन दिनों तक दिल्ली में बैठक कर रही है जिसमें सहयोगी दलों के अलावा अलग-अलग राज्यों में पार्टी प्रमुख के साथ बैठक होगी.इसका मुख्य मकसद शीट शेयरिंग का मुद्दा हल करना है.

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INDIA ब्लॉक में अभी तक नहीं बन पाई है सीटों को लेकर सहमति
INDIA ब्लॉक में अभी तक नहीं बन पाई है सीटों को लेकर सहमति

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस आज से तीन दिन तक दिल्ली में सहयोगी दलों के साथ मंथन करेगी. इस दौरान लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग पर बात होगी. बात तो शुरु हो रही है लेकिन आगे की राह आसान नहीं है. इंडिया ब्लॉक की चार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कई सवाल ऐसे हैं जिनका अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. बार बार ऐसे बयान सामने आ रहे हैं जो बता रहे हैं कि खींचतान चल रही है.हर रोज मामला पेचीदा होता दिख रहा है.

इंडिया ब्लॉक के लिए आसान नहीं है शीट शेयरिंग

इंडिया ब्लॉक के कुनबे में पूरी 19 पार्टियां जुट तो गई हैं लेकिन सहमति नहीं बन पा रही हैं. ब्लॉक की चार बैठकें भी हो गई लेकिन अब तक 'चार दिन चले ढ़ाई कोस' वाली बात हो रही है. कभी यूपी में खींचतान नजर आती है तो कभी बंगाल में. न चेहरा तय हो पाया है ना मुद्दे. चार बैठकों में बडा मंथन तो हो गया लेकिन अब तक कोई ठोस बात तय नहीं हो पाई है. पिछली बैठक में तय हुआ था कि 31 दिसम्बर तक सीटों शेयरिंग पर आखिरी फैसला हो जाएगा लेकिन नए साल के आज सात दिन गुजर चुके हैं लेकिन इंडिया ब्लॉक में सीटों पर कोई फैसला नहीं हो पाया है.

लोकसभा में 136 सीट और राज्यसभा में 90 सीटों का दम रखने वाले इंडिया ब्लॉक में लगातार मतभेद निकलकर सामने आ रहे है. बडे नेता चुप्पी साधे हुए है लेकिन दूसरी पांत के नेताओं में सीट को लेकर खुला घमासान दिख रहा है. खुलकर बयानबाजी हो रही है इंडिया ब्लॉक की कई चुनौतियां हैं, जैसे- कौन ब्लॉक का संयोजक होगा? पीएम पद का कैंडिडेट कौन होगा? किसी एक चेहरे को आगे रखने की बारी आई तो वो कौन होगा? विवाद वाले राज्यों में एकराय कैसे बनेगी और विवाद वाले राज्यों में सीट शेयरिंग कैसे होगी? कांग्रेस के ज्यादा सीटों के दबाव को क्षेत्रीय दल कैसे लेंगे कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों से ज्यादा सीटें कैसे हासिल करेंगी? चार बैठकों में अब तक कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया है. 

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सीट शेयरिंग और संयोजक जैसे बडे मसलों पर फैसले की जगह कांग्रेस बार बार पीएम पर हमले कर रही है. इंडिया ब्लॉक के दल आपस में उलझे हैं और ऐसी हालत में बीजेपी इंडिया ब्लॉक की चुनौती को गंभीरता से नहीं ले रही. आज से कांग्रेस सीट शेयरिंग को लेकर आज से तीन दिन तक सहयोगियों से बात करेगी आज बिहार के नेताओं की बारी है. पहले आरजेडी नेता कांग्रेस की नेशनल एलायंस कमेटी से मिलेंगे.

बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी नेताओं की भिडंत

जिस राज्यों में कांग्रेस और सहयोगी दलों के बीच सबसे ज्यादा घमासान हो रहा है उनमें बंगाल सबसे ऊपर है. यहां ईडी पर हमले के बाद से जो बयानबाजी हुई है उसको देखें तो सीट शेयरिंग बिल्कुल आसान नहीं होगी. कांग्रेस बंगाल में ममता दीदी के साथ हाथ मिलाकर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है लेकिन हाल ये है कि यही कांग्रेस बंगाल में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाकर कहती है कि बंगाल राष्ट्रपति शासन लगाने का फिट केस है. बीजेपी ममता सरकार को लेकर दे रही है कमोबेश वैसे ही कांग्रेस बोल रही है और टीएमसी भी कांग्रेस को निशाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड रही. कुणाल घोष अधीर रंजन को बीजेपी का एजेंट करार दे रहे हैं. बंगाल में दोनों पार्टियो की राह आसान नहीं है. 

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पश्चिम बंगाल में कुल 42 सीटें है कांग्रेस 6-10 सीटें चाहती है. लेकिन टीएमसी दो सीटों पर ही राजी दिखती है. सीट शेयरिंग का मसला सबसे ज्यादा पेचीदा बंगाल में ही है. कांग्रेस और तृणमूल के रिश्तों की तल्खी दिक्कत बढा रही है. अधीर रंजन खुलकर मोर्चा साध रहे हैं जबकि कांग्रेस की शीर्ष नेता चुप हैं. टीएमसी की दलील है कि 2019 के चुनाव में जिसको जितने वोट मिले उसके आधार पर ही बंगाल में सीटों का बंटवारा हो.लेकिन कांग्रेस को ये मंजूर नहीं है. इसी के चलते बंगाल का सवाल पेचीदा बना हुआ है.ममता ने इंडिया ब्लॉक की एक बैठक में तो जाने से भी इनकार कर दिया था.

पंजाब और दिल्ली में केजरीवाल चाहते हैं ज्यादा सीटें

इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों के साथ आज कांग्रेस सीटो को लेकर बातचीत शुरू कर रही है लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में ही उसका आम आदमी पार्टी के साथ तालमेल नहीं बैठ रहा है. आम आदमी पार्टी के पास पंजाब भी है. कुल सीटों की तादाद पंजाब में 10 और दिल्ली में 7 है, यानी दोनों राज्यों में कुल मिलाकर 17 सीटें हैं. दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी का खासा असर है और ये कोई राज की बात नहीं कि आम आदमी पार्टी ने दोनों ही राज्यों में कांग्रेस का सफाया कर दिया. कांग्रेस को अब तक ये बात खटक भी रही है और दिल्ली के स्तर पर जो नरमी हो लेकिन इन दोनों राज्यों के प्रदेश स्तर के नेता AAP को पचा नहीं पा रहे हैं.

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दिल्ली में सहमति बन भी सकती है और हो सकता है कि आप कांग्रेस को दो या तीन सीटें देने पर राजी हो जाए लेकिन पंगा पंजाब में है. पंजाब में तो कांग्रेस के राज्य के नेता नहीं चाहते कि AAP के साथ कोई गठबंधन हो. उधर विधानसभा चुनाव जीतने का बाद AAP की कोशिश है कि पंजाब की लोकसभा सीटों में भी ज्यादा पर वो ही लड़े.  खटास इतनी ज्यादा है कि आम आदमी पार्टी कह रही है कि हो सकता है कि किसी एक राज्य में कांग्रेस और आप अलग अलग लडे. यानी पंजाब और दिल्ली में भी ब्लॉक का मामला फंसा हुआ है.

यूपी में सपा नहीं चाहती ज्यादा सीटें देना

हिंदी पट्टी के यूपी बिहार पर भी कांग्रेस की नजर है हालांकि यहां पर क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हालत में है. अखिलेश और लालू नीतीश से ज्यादा सीटें लेने की कांग्रेस कोशिश करेगी लेकिन ये दल भी जानते है कि कांग्रेस की अब वो ताकत नहीं रही. इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों का जिन बडे राज्यों में सीटों को लेकर खींचताना होगी उनमें यूपी और बिहार भी है. खास तौर पर यूपी जहां कांग्रेस खोई जमीन तलाश रही है. यहां बीजेपी ने एकछत्र राज कायम कर लिया है. समाजवादी पार्टी से लेकर बसपा तक यहां वापसी के लिए जोर लगा रहे है. ऐसे में कांग्रेस के लिए गुंजाइस कम बचती है, लेकिन कांग्रेस की उम्मीदें काफी ज्यादा हैं. यहां कांग्रेस 40 सीटों की मांग कर सकती है जबकि समाजवापी पार्टी 10 से 15 सीटों से ज्यादा देने के मूड में नहीं लगती.

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पहले 2019 की सीट शेयरिंग बता देते हैं जब बसपा ने 38, सपा ने 37 और रालोद ने तीन सीटों पर चुनाव लडा था. कांग्रेस दलील दे रही है कि अगर 19 में बीएसपी को 38 सीटें मिल सकती है तो इस बार सपा उसे 40 सीटें क्यों नहीं दे सकती. राहुल की न्याय यात्रा में शामिल होने का अखिलेश से सवाल हुआ तो उनका जोर था कि पहले सीट शेयरिंग हो .

बिहार में भी फंसा पेंच
यूपी जैसा ही मामला बिहार का भी है. हालांकि यहां कांग्रेस आरजेडी और जेडीयू के बीच आपसी समझदारी ठीक दिखती है. यहां लेफ्ट दल भी सीट की उम्मीद कर रहे है. कांग्रेस के राज्य के नेता दबाव बना रहे हैं कि उनको ज्यादा सीटें मिलें. आरजेडी और जेडीयू कांग्रेस को चार सीटें ही देने का इरादा रखती है लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कहते हैं कि अगर हम चार सीटों पर लड़े तो उलटा हमारे सहयोगियों को नुकसान होगा. जेडीयू उन 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जिन पर उसने पिछली बार चुनाव लडा था. आरजेडी भी वो सीटें नहीं छोडेगी जहां वो पहले लडे थे. ऐसे में बिहार में पेंच फंस सकता है.

महाराष्ट्र में संजय राउत कर रहे हैं कांग्रेस पर हमला

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महाराष्ट्र में भी कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट के नेताओं के बयानों से घमासान छिड़ा हुआ है. इन बयानों से समझा जा सकता है कि महाराष्ट्र में राह पथरीली है. यहां भी शिवसेना उद्धव गुट और कांग्रेस के बीच घमासान मच सकता है. उद्धव ठाकरे नरम रुख दिखा रहे हैं लेकिन उनके सिपहसालार संजय राउत आग उगल रहे है. अंदरखाने खींचतान है लेकिन शिवसेना गठबंधन की जीत का दावा करने से नहीं चूक रहे.

उद्धव ठाकरे को भी लग रहा है कि महाराष्ट्र में सीटों की खींचतान होगी. हालांकि वो सब कुछ दिल्ली मे बात करके सुलझाना चाहते है.  पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र कांग्रेस के लिए दिक्कत है. यहां भी कांग्रेस की जमीन छिनी हैय शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लडना चाहती है, जबकि कांग्रेस यहां 16-20 सीटें चाहती है. एनसीपी भी ज्यादा सीटे लेने की कोशिश करेगी यानी सब कुछ आसान नही है.

(ब्यूरो रिपोर्ट, आजतक)

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