जगतसिंहपुर लोकसभा सीट पर मतदान संपन्न हो गया. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 73.79 फीसदी वोटिंग हुई है, जबकि पूरे प्रदेश में 72.08 प्रतिशत वोट दर्ज किया गया. इस सीट पर 9 कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं. यहां मतदान को लेकर लोगों के बीच खासा उत्साह देखा गया. मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में मतदाताओं की भीड़ देखी गई. प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर यहां पर व्यापक इंतजाम किए थे. शाम 5 बजे तक इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 61 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई. पूरे प्रदेश में 64.05 फीसदी मतदान हुआ.
बीजेडी ने इस सीट से अपना प्रत्याशी बदल दिया है. पार्टी ने डॉ कुलमणि समल की बजाय राजश्री मल्लिक को टिकट दिया है. काग्रेस ने यहां से प्रतिमा मल्लिक को मैदान में उतारा है. बीजेपी ने इस सीट से बिभू प्रसाद तराई को टिकट दिया है. इस सीट से अखिल भारत हिन्दू महासभा, बहुजन समाज पार्टी, अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे हैं. सीपीआई कभी यहां काफी असरदार रही थी, लेकिन पार्टी ने इस बार अपना कैंडिडेट नहीं खड़ा किया है.
अपडेट्स...
-जगतसिंहपुर निर्वाचन क्षेत्र में दिन के 11 बजे तक 16.90 प्रतिशत मतदान हुआ. समूचे ओडिशा में 11 बजे तक 19.67 फीसदी मतदान का औसत रहा.
-इस संसदीय क्षेत्र में दिन के 1 बजे तक 30.99 प्रतिशत वोटिंग हुई है. पूरे ओडिशा में 1 बजे तक 35.79 फीसदी वोटिंग हुई.
-जगतसिंहपुर संसदीय सीट पर शाम 3 बजे तक लगभग 46 प्रतिशत वोटिंग हुई है जबकि पूरे प्रदेश में शाम 3 बजे तक 51.56 फीसदी वोटिंग हुई.
जगतसिंहपुर की सियासत में बीजद, सीपीआई और कांग्रेस का असर रहा है. 2008 से पहले यहां कांग्रेस और सीपीआई के बीच आमने सामने की टक्कर थी, लेकिन 2008 में नवीन पटनायक की पार्टी की एंट्री ने मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया. इसके बाद बीजेपी ने यहां पिछले चुनाव में लाख से ज्यादा वोट पाकर मुकाबला रोमांचक कर दिया है. 2008 तक ये सीट सामान्य वर्ग के लिए था, लेकिन 2009 में इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया.
2014 का जनादेश
2009 में बड़े मार्जिन से इस सीट को जीतने वाली सीपीआई 2014 में मोदी लहर में चौथे नम्बर पर चली गई. इस पार्टी को मात्र 18 हजार 099 वोट मिले. हालांकि बीजेपी भी कुछ कमाल नहीं दिखा सकी. पार्टी कैंडिडेट बिधार मल्लिक 1 लाख 17 हजार 448 वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर रहे. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पूर्व सीपीआई नेता विभू प्रसाद 3 लाख 48 हजार 98 वोट लाकर रनर अप कैंडिडेट बने. बीजद के डॉ कुलमणि समल को 6 लाख 24 हजार 492 वोट मिले. वह 2 लाख 76 हजार 394 वोटों के अंतर से चुनाव जीते.
राजनितिक पृष्ठभूमि
जगतसिंहपुर संसदीय सीट का गठन 1977 के लोकसभा चुनाव से पहले हुआ था. पहली बार लोकसभा चुनाव में इंदिरा विरोधी लहर के कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. यहां से जनता पार्टी समर्थित उम्मीदवार को जीत मिली. 1980 और 84 में कांग्रेस के टिकट पर लक्ष्मण मल्लिक चुनाव जीते. 1989 में लोगों का मिजाज बदला और सीपीआई के लोकनाथ चौधरी चुनाव जीते. 1991 में भी एकबार फिर लोकनाथ चौधरी विजयी रहे.
1996 में यहां का समीकरण फिर बदला. कांग्रेस के टिकट पर रंजीब बिस्वाल विजयी रहे. 2008 में बीजू जनता दल (बीजद) ने इस सीट से अपने कैंडिडेट को उतारा, पार्टी ने कांग्रेस का अच्छी टक्कर दी, लेकिन उनका प्रत्याशी हार गया. रंजीब विस्वाल यहां फिर विजयी रहे. 1999 में जब चुनाव हुए तो बीजेडी ने पहली बार यहां अपना खाता खोला. 2004 में भी बीजद ने इस सीट से जीत का सिलसिला कायम रखा. ब्रह्मानंद पांडा यहां से चुनाव जीते. 2009 में लंबे समय बाद इस सीट पर सीपीआई ने वापसी की. विभू प्रसाद तराई यहां से इलेक्शन जीते. 20014 में मतदाताओं का मिजाज एक बार फिर बदला और बीजू जनता दल को यहां से जीत मिली.
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