गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान नवसर्जन यात्रा के तहत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जमकर मंदिरों के दौरे किए. उनकी मेहनत रंग भी लाई और कांग्रेस ने कमोबेश बेहतर प्रदर्शन किया. अब बारी कर्नाटक की है. जहां राहुल गांधी जन आशीर्वाद यात्रा के नारे के साथ जनता के बीच जा रहे हैं. गुजरात में मंदिरों और धाम के बाद राहुल गांधी कर्नाटक में मठों के द्वार जाकर आशीर्वाद ले रहे हैं.
इसी क्रम में अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के 5वें चरण के दौरान शनिवार को राहुल गांधी बेंगलुरु में वोक्कालिग्गा समुदाय के प्रमुख मठ चुनचुनगिरी पहुंचे. यहां राहुल गांधी ने मठ के मुख्य स्वामी श्री श्री श्री निर्मलानंदा स्वामीजी से आशीर्वाद लिया. राहुल के साथ कर्नाटक के मुख्यमंत्री के. सिद्धारमैया भी मौजूद रहे.
चुनचुनगिरी मठ के स्वामी से राहुल गांधी की मुलाकात राजनीतिक लिहाज से काफी अहम मानी जा रही है. दरअसल, कर्नाटक में मठों का राजनीति में काफी हस्तक्षेप माना जाता है. यहां मुख्य रूप से तीन समुदायों लिंगायत, कुरबा और वोक्कालिग्गा के तीन मठ हैं. वोक्कालिग्गा मठ ओबीसी समुदाय से जुड़ा है.
चुनचुनगिरी मठ का नाम जद(एस) से जुड़ा
पारंपरिक तौर पर इस मठ के नेता जनता दल (सेक्यूलर) के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी देवेगौड़ा को माना जाता है. मठ का समर्थन भी जनता दल को मिलता रहा है. ऐसे में अब राहुल गांधी और सिद्धारमैया राज्य की राजनीति में बेहद मजबूत जनता दल सेक्यूलर के परंपरागत वोट में सेंध लगाकर अपनी चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में है.
दूसरे समुदायों के मठों में सेंधमारी की रणनीति पर काम रहे के. सिद्धारमैया इससे पहले लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग मानकर मास्टरस्ट्रोक चल चुके हैं. जिसके बाद लिंगायत समुदाय का उन्हें समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है. वहीं, दूसरी तरफ इस मांग को पूरी न करने पर बीजेपी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है.
इसका असर भी नजर आने लगा है. कई गुरु लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने के लिए सिद्धारमैया के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. शनिवार को माते महादेवी ने खुले तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मांग स्वीकार करने की अपील की. उन्होंने कहा कि लिंगायत समुदाय 12वीं शताब्दी से अलग धर्म के रूप में अस्तित्व में है.
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वोक्कालिग्गा का कितना असर?
पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा वोक्कालिग्गा समुदाय (ओबीसी) के बड़े नेता माने जाते हैं. जनसंख्या के लिहाज से वोक्कालिग्गा कर्नाटक की दूसरी प्रभावी जाति है. इसकी आबादी करीब 12 फीसदी है. इस समुदाय का प्रमुख मठ आदि चुनचनगिरी है, जिसे जनता दल (एस) का समर्थक मठ माना जाता है. मठ के दर्जनों शिक्षण संस्थान भी हैं. मठ का प्रभाव दक्षिण कर्नाटक में अपेक्षाकृत अधिक है.
कांग्रेस को कैसे मिलेगा फायदा?
उम्र के लिहाज से रिटायरमेंट के बीजेपी के पैमाने को पार कर चुके बी.एस येदियुरप्पा को पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है. इसकी बड़ी वजह उनका लिंगायत समुदाय से होना है. जिसकी आबादी करीब 17 फीसदी है और राज्य की 224 सीटों में से 100 पर इस समुदाय का प्रभाव माना जाता है.
Congress President @RahulGandhi seeks blessings at the Kurudumale Ganapathi Temple in Kolar. #JanaAashirwadaYatre pic.twitter.com/zmQ6wSW1bB
— Congress (@INCIndia) April 7, 2018
वहीं, वोक्कालिग्गा समुदाय का भी खासा प्रभाव है. जबकि मुख्यमंत्री के. सिद्धारमैया जिस कुरबा समुदाय से आते हैं, वो आबादी के लिहाज से लिंगायत और वोक्कालिग्गा से पीछे है. कुरबा समुदाय की आबादी करीब 8 फीसदी है और इसके मठों का असर भी बाकी दोनों समुदायों से कम है.
ऐसे में कांग्रेस दोनों प्रतिद्वंदी दलों बीजेपी और जनता दल सेक्यूलर के समर्थन वाले मठों को अपनी रणनीति का हिस्सा बना रही है. 7 अप्रैल को राहुल का वोक्कालिग्गा समुदाय के मुख्य स्वामी से मिलना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है.