scorecardresearch
 

फ्लोर टेस्ट से पहले स्पीकर का चुनाव भी येदियुरप्पा के लिए बड़ी चुनौती

अब सदन में होने वाले फ्लोर टेस्ट से भी ज्यादा अहम अगले विधानसभा स्पीकर का चुनाव हो गया है.  नए विधानसभा स्पीकर का चुनाव और उनके विवेक पर काफी कुछ तय करेगा.

Advertisement
X
स्पीकर की भूमिका अहम
स्पीकर की भूमिका अहम

कर्नाटक में लगातार चल रहे नाटकीय घटनाक्रमों के बाद राज्यपाल वजुभाई वाला ने गुरुवार को बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए कहा है. इसके बाद अब सभी की नजरें विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट पर टिक गई हैं.

कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी नेता को सदन में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है. इसी बीच आर आर नगर की विधानसभा सीट पर भी चुनाव कराए जाएंगे जहां पर 12 मई को मतदान नहीं हो सका था. अगर इस बीच मतगणना पूरी हो जाती है तो बहुमत साबित करने के लिए बीजेपी को 113 का आंकड़ा छूना होगा. हालांकि, दूसरी विधानसभा सीट जयनगर के लिए चुनाव की तारीख का ऐलान अभी नहीं किया गया है.

फ्लोर टेस्ट से पहले का टेस्ट

Advertisement

अब सदन में होने वाले फ्लोर टेस्ट से भी ज्यादा अहम अगले विधानसभा स्पीकर का चुनाव हो गया है. नए विधानसभा स्पीकर का चुनाव और उनके विवेक पर काफी कुछ तय करेगा. बीजेपी और जेडीएस-कांग्रेस दोनों ही खेमों ने अगले स्पीकर के मुद्दे पर मंत्रणा शुरू कर दी है क्योंकि पहले फ्लोर टेस्ट में स्पीकर की भूमिका अहम होगी.

दूसरी तरफ, बीजेपी के लिए यह बहुत जरूरी हो गया है कि स्पीकर उसकी पसंद का हो. बीजेपी को उम्मीद है कि या तो विपक्ष के कुछ विधायक इस्तीफा देंगे या फिर बीजेपी में आ जाएंगे. इस तरह से बीजेपी का बहुमत से 8 सीटों का फासला खत्म हो जाएगा.

अब यहीं से शुरू होती है सीएम येदियुरप्पा की असली परीक्षा

बीजेपी सदस्यों के शपथ की तैयारियों के साथ ही नए स्पीकर के चुनाव की रणनीति बनना शुरू हो गई थी. जेडीएस-कांग्रेस स्पीकर के पद के लिए अपना एक उम्मीदवार खड़ा करेगा. वोटिंग में संख्याबल के मामले में 116 सदस्यों के साथ कांग्रेस-जेडीएस, बीजेपी के 104 पर भारी पड़ेंगे.

कितनी अहम है स्पीकर की भूमिका?

स्पीकर के चुनाव पर विपक्षी पार्टियां एकमत हो सकती हैं लेकिन वर्तमान परिस्थिति में ऐसा होने की संभावना नजर नहीं आ रही है.

प्रोटेम स्पीकर फ्लोर टेस्ट नहीं करा सकता है, प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति नए विधायकों को शपथ दिलाने के लिए की जाती है. फ्लोर टेस्ट चुने गए स्पीकर ही कराते हैं. 'एंटी डिफेक्शन लॉ' के तहत शिकायतों की सुनवाई करने में भी स्पीकर की अहम भूमिका होती है. कई मामलों में विधायक अपनी पार्टी के व्हिप के खिलाफ जाकर वोट करते हैं लेकिन स्पीकर को तुरंत फैसला देने की अनिवार्यता नहीं होती है.

Advertisement

इससे पहले के कई ऐसे उदाहरण रहे हैं जहां स्पीकर ने मामले पर तुंरत कार्रवाई नहीं की. उत्तर प्रदेश विधानसभा स्पीकर केशरी नाथ त्रिपाठी, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के स्पीकरों ने मामले को लटकाए रखा. चूंकि स्पीकर को मामले पर निर्णय देने के लिए किसी समय सीमा में बांधकर नहीं रखा गया है इसलिए सत्तारूढ़ पार्टी कई महीनों तक पावर में रह सकती है.

कर्नाटक विधानसभा के मौजूदा स्पीकर के बी कोलीवाड ने राज्यसभा में वोटिंग के दौरान जेडीएस के 7 विधायकों को अयोग्य करार नहीं दिया था जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोट किया था. एक बीजेपी नेता ने कहा, यहां तक कि हाई कोर्ट भी यही कहता है कि इन विधायकों को अयोग्य करार दिया जाना चाहिए लेकिन स्पीकर मामले पर हाथपर हाथ धरे बैठे रहे.

बीजेपी और कांग्रेस-जेडीएस दोनों खेमों ने राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश करने के साथ आधिकारिक पत्र सौंप दिया है.

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया, आखिरकार स्पीकर का चुनाव ही सबसे निर्णायक होगा जो विश्वास मतों का निरीक्षण करेगा. स्पीकर का चुनाव अपने आप में ही एक तरह का फ्लोर टेस्ट है.

बीजेपी का भी ऐसा ही मानना है. पार्टी के एक नेता ने बताया, हम इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं कि हम किसे स्पीकर बनाए जिसे सही और निष्पक्ष शख्स के तौर पर देखा जाए.

Advertisement
Advertisement