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AAP की लिस्ट में 8 महिलाओं और 5 मुस्लिम उम्मीदवारों को मिला टिकट

AAP Candidate List 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने सभी 70 उम्मीदवारों की सूची मंगलवार को जारी कर दी. पार्टी ने 46 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है और 15 विधायकों का टिकट काट दिया गया है. पार्टी की सूची में 8 महिला उम्मीदवारों के नाम हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने छह महिलाओं को टिकट दिया था.

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AAP Candidate List Delhi Vidhan Sabha Election 2020
AAP Candidate List Delhi Vidhan Sabha Election 2020

  • इस बार AAP में 8 महिला उम्मीदवारों को मिला टिकट
  • पिछली बार छह महिलाओं को बनाया गया था प्रत्याशी
  • केजरीवाल ने इस बार 5 मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट दिया
  • पिछली बार चार टिकट दिए थे जिन पर मिली थी जीत

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने सभी 70 उम्मीदवारों की सूची मंगलवार को जारी कर दी. पार्टी ने 46 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है और 15 विधायकों का टिकट काट दिया है. पार्टी की सूची में 8 महिला उम्मीदवारों के नाम हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने छह महिलाओं को टिकट दिया था. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पटपड़गंज क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. दिल्ली में मतदान 8 फरवरी को होगा. मतगणना 11 फरवरी को होगी.

इन महिला उम्मीदवारों को मिला टिकट

1.राखी बिड़ल- मंगोलपुरी

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2.बंदना कुमारी- शालीमार बाग

3.आतिशी - कालकाजी

4.प्रमिला टोकस - आर के पुरम

5.राजौरी गार्डन - धनवंती चंदेला

6.हरिनगर - राजकुमारी ढिल्लो

7.भावना गौर - पालम

8.सरिता सिंह - रोहतास नगर

मुस्लिम वोटरों पर जताया भरोसा

अरविंद केजरीवाल ने इस बार पांच मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट दिया है. पिछली बार चार उम्मीदवारों को टिकट दिए थे और चारों सीट पर जीत मिली थी. इस बार तीन नए मुस्लिम चेहरे उतारे हैं.

इन मुस्मिल उम्मीदारों को मिला टिकट

1.बल्लीमारान-इमरान हुसैन

2.सीलमपुर-अब्दुल रहमान

3.ओखला-अमानतुल्लाह खान

4.मुस्तफाबाद-हाजी यूनुस

5.मटिया महल-शोएब इकबाल

ये भी पढ़ें: AAP Candidate List 2020: केजरीवाल ने जारी की उम्मीदवारों की लिस्ट, जानें किसे कहां से मिला टिकट

मुस्लिम मतदाताओं का वोटिंग पैटर्न

दिल्ली की सियासत में मुस्लिम मतदाता 12 फीसदी के करीब हैं. दिल्ली की कुल 70 में से 8 विधानसभा सीटों को मुस्लिम बहुल माना जाता है, जिनमें बल्लीमारान, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर और किराड़ी सीटें शामिल हैं. इन विधानसभा क्षेत्रों में 35 से 60 फीसदी तक मुस्लिम मतदाता हैं. साथ ही त्रिलोकपुरी और सीमापुरी सीट पर भी मुस्लिम मतदाता काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं.

दिल्ली की राजनीति में मुस्लिम वोटर बहुत ही सुनियोजित तरीके से वोटिंग करते रहे हैं. एक दौर में मुस्लिमों को कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता था. मुस्लिम समुदाय ने दिल्ली में 2013 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए वोट किया था. वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय की दिल्ली में पहली पसंद AAP बनी थी.

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2015 में मुस्लिम समुदाय का कांग्रेस से मोहभंग हो गया और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े. इसका नतीजा रहा कि मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने कांग्रेस के दिग्गजों को करारी मात देकर कब्जा जमाया. आम आदमी पार्टी ने सभी मुस्लिम बहुल इलाके में जीत का परचम फहराया था. इसका नतीजा था कि केजरीवाल ने अपनी सरकार में एक मुस्लिम मंत्री बनाया था.

ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव में मिली थी हार, AAP ने दिल्ली चुनाव में फिर खेला इन उम्मीदवारों पर दांव

बहरहाल बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष अपना सबसे मजबूत किला बचाने की प्रबल चुनौती है. पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतने वाले केजरीवाल का जादू इस बार चलेगा या नहीं इस पर पूरे देश की निगाहें हैं. केजरीवाल अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान विशेषकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों को गिनाते हुए इस बार भी पूरे आत्मविश्वास में हैं.

जब बंपर जीत हासिल की

वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही ‘AAP’ का गठन हुआ था और उस चुनाव में दिल्ली में पहली बार त्रिकोणीय संघर्ष हुआ जिसमें 15 वर्ष से सत्ता पर काबिज कांग्रेस 70 में से केवल आठ सीटें जीत पाई जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार बनाने से केवल चार कदम दूर अर्थात 32 सीटों पर अटक गई. आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली और शेष दो अन्य के खाते में रहीं.

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बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के प्रयास में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया और केजरीवाल ने सरकार बनाई. लोकपाल को लेकर दोनों पार्टियों के बीच ठन गई और केजरीवाल ने 49 दिन पुरानी सरकार से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा और फरवरी 2015 में आम आदमी पार्टी ने सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को झुठलाते हुए 70 में से 67 सीटें जीतीं. बीजेपी तीन पर सिमट गई जबकि कांग्रेस की झोली पूरी तरह खाली रह गई.

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