
बिहार की कुर्था विधानसभा सीट पर महागठबंधन की ओर से आरजेडी और एनडीए खेमे से जेडीयू (JDU) के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला. दोनों ही पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर में आरजेडी प्रत्याशी बागी कुमार वर्मा ने जीत का परचम लहराया है. उन्होंने जेडीयू नेता सत्यदेव सिंह को 27810 वोटों से हराया है. बिहार के अरवल जिले में आने वाली कुर्था विधानसभा सीट कई मायनों में अहम है. इस सीट पर यादव, कोइरी और भूमिहार जाति के मतदाता निर्णायक होते हैं. कुर्था विधानसभा सीट पर इस बार 28 अक्टूबर को वोट डाले गए और कुल 55.58% मतदान हुआ.
इस बार के मुख्य उम्मीदवार

इस साल बिहार विधानसभा चुनाव 3 चरणों में संपन्न हुए. पहले चरण के लिए 28 अक्टूबर, दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर को वोट डाले गए. जबकि तीसरे यानी आखिरी चरण का चुनाव 7 नवंबर को हुआ.
2015 के चुनावी नतीजे
जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली कुर्था विधानसभा सीट पर 2015 में जदयू ने जीत दर्ज की थी. 2015 में जदयू के सत्यदेव सिंह ने 43,676 (37.8%) मतों के साथ जीत हासिल की थी. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के अशोक कुमार वर्मा को शिकस्त दी थी. अशोक कुमार वर्मा को 29,557 (25.6%) मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहना पड़ा था. वहीं तीसरे स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के राजेंद्र यादव को 8,896 (7.7%) वोट मिले थे.
वहीं, 2010 के चुनावों में भी सत्यदेव सिंह ने जीत हासिल की थी. जदयू के टिकट पर मैदान में उतरे सत्यदेव सिंह को 37,633 (41.0%) वोट मिले थे जबकि दूसरे स्थान पर रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के शिव बचन यादव को 28,140 (30.6%) मतों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस के उम्मीदवार अशोक कुमार तीसरे स्थान पर और उन्हें 5,461 (5.9%) वोट मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
जनगणना 2011 के मुताबिक कुर्था विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 349668. इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमशः 19.04 और 0.08 फीसदी है. 2015 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर 49.92% मतदान हुए थे. 2019 की मतगणना सूची के मुताबिक यहां 243041 मतदाता हैं.
कुर्था विधानसभा सीट का इतिहास
कुर्था सीट पर बीजेपी को कभी जीत नहीं मिली. यहां हमेशा कांग्रेस, समाजवादी रुख वाले दलों के बीच ही चुनावी जंग रही है. 1951 के विधानसभा चुनावों में रामचरन सिंह यादव (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी), 1957 में कामेश्वर शर्मा (कांग्रेस), 1962 में रामचरन सिंह यादव, (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी), 1967, 1969 में जगदेव प्रसाद (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और शोषित समजा दल), 1972 में रामाश्रय प्रसाद सिंह (कांग्रेस), 1977 में नागमणि (शोषित समाज दल), 1980 में सहदेव प्रसाद (जेएनपी), 1985 में नागमणि (निर्दलीय), 1990 में मुद्रिका सिंह यादव (जनता दल), 1995 में सहदेव प्रसाद यादव (जनता दल), 2000 में शिव बचन यादव (आरजेडी), 2005 में सुचरिता सिन्हा (एलजेपी) ने जीत दर्ज की थी.