पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले का मुख्यालय रायगंज, राज्य की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जो 1951 से ही बंगाल की राजनीति में अपनी अहम भूमिका निभा रही है. यह रायगंज लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। इस सीट में रायगंज नगर पालिका और पांच ग्राम पंचायतें- बहिन, मरैकूप, गौरी, कमलबती-I और कमलबती-II शामिल हैं, जिससे यह क्षेत्र शहरी और ग्रामीण मतदाताओं का मिश्रण बनाता है.
अब तक कुल 18 विधानसभा चुनावों (2024 के उपचुनाव सहित) में रायगंज कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ रहा है. कांग्रेस ने यहां 10 बार जीत दर्ज की, जिसमें 1996 से 2016 तक लगातार पांच बार की शानदार जीत शामिल है. ये जीत उस समय भी हुईं जब राज्य में सीपीएम का दबदबा था और बाद में जब तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई.
लेकिन 2021 में राजनीतिक समीकरण बदले जब भाजपा के कृष्ण कल्याणी ने तृणमूल के कनैया लाल अग्रवाल को 20,748 वोटों से हराकर पहली बार भाजपा को यहां जीत दिलाई. दिलचस्प बात यह रही कि अग्रवाल, जिन्होंने चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामा था, जीत के बाद फिर से तृणमूल में लौट आए. इससे 2024 में उपचुनाव की नौबत आई, जिसमें उन्होंने तृणमूल उम्मीदवार के रूप में भाजपा के मानस कुमार घोष को 50,077 वोटों से हराकर रायगंज में टीएमसी की पहली जीत दर्ज कराई.
हालांकि उपचुनाव में तृणमूल की जीत हुई, लेकिन लोकसभा चुनावों में भाजपा का दबदबा कायम रहा. 2019 और 2024 दोनों में ही भाजपा रायगंज विधानसभा क्षेत्र में आगे रही- 2019 में 42,202 वोटों और 2024 में 46,739 वोटों के अंतर से.
2021 में रायगंज में 1,98,780 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 में बढ़कर 2,07,098 हो गए. अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 24.32% और अनुसूचित जनजातियों की 2.31% रही. 2021 में यहां 59.84% शहरी और 40.16% ग्रामीण मतदाता थे. मतदान दर हमेशा ऊंची रही - 2016 में 83.47%, 2021 में 81.43%, 2019 में 79.86% और 2024 में 77.19%.
कुलिक नदी के किनारे बसा रायगंज अपनी प्राकृतिक सुंदरता और उपजाऊ भूमि के लिए जाना जाता है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है. धान, जूट और सरसों प्रमुख फसलें हैं. औद्योगिक रूप से यह क्षेत्र अभी भी सीमित है, लेकिन स्थानीय विधायक कृष्ण कल्याणी की कंपनी कल्याणी सॉल्वेक्स लिमिटेड यहां की प्रमुख औद्योगिक इकाई है, जो खाद्य तेल उत्पादन करती है.
रायगंज वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी, जिसे कुलिक बर्ड सेंक्चुअरी के नाम से जाना जाता है, इस क्षेत्र का प्रमुख पर्यावरणीय आकर्षण है.
रायगंज में रेल और सड़क संपर्क बेहतर है, लेकिन स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा की सुविधाएं सीमित हैं. लोग अक्सर इलाज या उच्च अध्ययन के लिए सिलीगुड़ी या मालदा जाते हैं.
विभाजन से पहले रायगंज एक छोटा व्यापारिक गांव था, जो दिनाजपुर महाराजा के अधीन “बंदर” यानी नदी बंदरगाह के रूप में प्रसिद्ध था. 1947 के विभाजन के बाद पारंपरिक व्यापार मार्ग टूट गए, जिससे रायगंज ने अपना अलग विकास मार्ग अपनाया. 1992 में उत्तर दिनाजपुर जिला बनने पर रायगंज को जिला मुख्यालय का दर्जा मिला.
आगामी 2026 के चुनावों में रायगंज में त्रिकोणीय मुकाबले की बजाय सीधा टकराव तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच होने की संभावना है. कांग्रेस, जो कभी यहां की सबसे मजबूत पार्टी थी, अब हाशिये पर पहुंच चुकी है. हालांकि कांग्रेस की वापसी से भाजपा को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है, क्योंकि यह विपक्षी वोटों को बांट सकती है.
राजनीतिक अस्थिरता और लगातार बदलते समीकरणों के बीच रायगंज का परिणाम इस बार भी रोमांचक रहेगा, जहां कोई भी पार्टी खुद को सुरक्षित नहीं मान सकती.
(अजय झा)
Agarwal Kanaia Lal
AITC
Mohit Sengupta
INC
Nota
NOTA
Raju Paul
IND
Minakshi Roy
IND
Dipendu Sarkar
IND
Goutam Biswas
AMB
Manju Das (mandal)
IND
Bahamoni Hansda
BMUP
Sanatan Majumdar
SUCI
Jyoti Barman
IND
Bhabatosh Lahiri
JD(U)
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