मयूरेश्वर, एक सामान्य वर्ग विधानसभा क्षेत्र है जो पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित है. यह बोलपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है. इसमें मयूरेश्वर I और मयूरेश्वर II विकास खंड शामिल हैं. यह विधानसभा क्षेत्र 1962 में अस्तित्व में आया था और अब तक कुल 16 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें 1998 में एक उपचुनाव भी शामिल है.
मयूरेश्वर लंबे समय तक लेफ्ट पार्टियों का गढ़ रहा. 1962 से लेकर 2011 तक लेफ्ट पार्टियों ने 14 में से 13 चुनावों में जीत दर्ज की थी. इसमें कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने 4 बार और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) (CPI(M)) ने लगातार 9 बार जीत हासिल की थी. केवल 1967 में कांग्रेस पार्टी ने यहां जीत हासिल की थी. लेकिन 2016 में यह परंपरा टूटी. तब तृणमूल कांग्रेस (TMC) के अभिजित रॉय ने CPI(M) के अरूप बाग को 38,770 वोटों से हराकर क्षेत्र में नया राजनीतिक अध्याय शुरू किया.
2021 विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रमुख विरोधी बनकर उभरी. अभिजित रॉय ने फिर से जीत दर्ज की, लेकिन इस बार अंतर घटकर केवल 12,075 वोट रह गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इसी रुझान की पुष्टि हुई. मयूरेश्वर विधानसभा क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी पर 20,752 वोट की बढ़त बनाई थी, जबकि CPI(M) तीसरे नंबर पर रही.
मयूरेश्वर विधानसभा क्षेत्र में 2021 के विधानसभा चुनावों में कुल 2,30,682 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में 2,23,218 थे. इस क्षेत्र की जनसंख्या सामाजिक विविधता में भी महत्वपूर्ण है. यहां लगभग 32.56 प्रतिशत मतदाता अनुसूचित जाति (SC), 6.88 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (ST) और 26.50 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय से आते हैं.
यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां केवल 3.54 प्रतिशत मतदाता शहरी क्षेत्रों में रहते हैं. मयूरेश्वर में पिछले कुछ चुनावों में मतदान प्रतिशत लगातार उच्च बना रहा है और 85 प्रतिशत से ऊपर रहा है. इससे यह साफ होता है कि यहां के लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकार का पूरा उपयोग करते हैं.
यह विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है, जहां विभिन्न सामाजिक समूहों की भागीदारी चुनाव परिणामों को प्रभावित करती है.
मयूरेश्वर बीरभूम जिले के रामपुरहाट उपजिला में स्थित है. उत्तर में नलहाटी मैदान और दक्षिण में ब्रह्मणी-मयूराक्षी बेसिन फैला है. यहां की जमीन समतल है, लेकिन संथाल परगना (झारखंड) से आए राजमहल पहाड़ियां भी थोड़ी बहुत दिखती हैं. मयूराक्षी, ब्रह्मणी और बंसलोई नदियां क्षेत्र में बहती हैं, जो कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं.
यह क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. यहां धान, सरसों और सब्जियां प्रमुख फसलें हैं. इतिहास में रेशम उत्पादन (सिल्क स्पिनिंग) का क्षेत्रीय महत्व रहा है.
सार्वजनिक और निजी बस सेवाओं के अलावा रेलवे स्टेशन भी लगभग 10 किलोमीटर दूर उपलब्ध हैं. निकटवर्ती बड़े शहरों में सैंथिया (लगभग 11 किमी), रम्पुरहाट, सूरी और नलहाटी शामिल हैं. जिले का मुख्यालय सूरी यहां से लगभग 30 किमी दूर है. कोलकाता लगभग 200 किमी दूर स्थित है. यह विधानसभा क्षेत्र झारखंड की सीमा के पास है.
लेफ्ट फ्रंट-कांग्रेस गठबंधन का प्रभाव धीरे-धीरे घटता जा रहा है. आगामी 2026 विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला त्रिणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच होने की संभावना है. अगर लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन अपने पुराने वोट बैंक को पुनर्जीवित करने में कामयाब रहता है और तृणमूल कांग्रेस के वोटों को विभाजित कर देता है, तो बीजेपी के लिए narrow path भी खुल सकता है. फिलहाल तृणमूल कांग्रेस की पकड़ मजबूत है, लेकिन मुकाबला कड़ा और रोचक होने वाला है.
(अजय झा)
Shyamapada Mondal
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