इटाहार, पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज सबडिवीजन में एक ब्लॉक-लेवल का शहर है. यह एक जनरल कैटेगरी का असेंबली चुनाव क्षेत्र है और इसमें मुस्लिम कम्युनिटी का दबदबा है. यह सीट बालुरघाट लोकसभा चुनाव क्षेत्र के सात हिस्सों में से एक है और इसमें पूरा इटाहार कम्युनिटी डेवलपमेंट ब्लॉक शामिल है.
1951 में बनी इटाहार सीट ने अब तक राज्य में हुए सभी 17 असेंबली चुनावों में हिस्सा लिया है. कांग्रेस पार्टी और उसके अलग हुए ग्रुप्स ने इस चुनाव क्षेत्र के चुनावों में दबदबा बनाया है, और 12 बार यह सीट जीती है. इनमें से, कांग्रेस पार्टी ने आठ बार जीत हासिल की, जिसमें 1962 और 1977 के बीच लगातार छह जीत शामिल हैं. इंडियन कांग्रेस (सोशलिस्ट) एक बार जीती, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने 2011 से लगातार तीन जीत हासिल की हैं. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने पांच बार जीत हासिल की है, जिसमें 1996 से 2006 तक लगातार तीन जीत शामिल हैं.
तृणमूल कांग्रेस ने 2011 में इस सीट पर CPI का कब्जा खत्म कर दिया, जब उसके उम्मीदवार अमल आचार्जी ने CPI के दिग्गज श्रीकुमार मुखर्जी, जो उस समय कैबिनेट मंत्री और मौजूदा MLA थे, को 7,052 वोटों से हराया. आचार्जी ने 2016 में मुखर्जी पर अपनी जीत का अंतर बढ़ाकर 19,120 वोट कर दिया. 2021 में, आचार्जी का अंतर और बढ़कर 43,975 वोट हो गया, जब उन्होंने BJP के अमित कुमार कुंडू को हराया, जबकि CPI के मुखर्जी, जो अब लेफ्ट फ्रंट-कांग्रेस गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हैं, सिर्फ 2.24 प्रतिशत वोट पर आ गए.
तृणमूल कांग्रेस ने 2009 के लोकसभा चुनावों से इटाहार विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ बनानी शुरू की, जब वह रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी से 12,830 वोटों से आगे थी. 2014 में यह बढ़त दोगुनी से ज्यादा बढ़कर 28,884 वोटों तक पहुंच गई. 2019 में, BJP ने लेफ्ट फ्रंट को पीछे छोड़ दिया, और तृणमूल ने 27,777 वोटों की बढ़त बनाए रखी. पार्टी का दबदबा 2024 में भी जारी रहा, जब BJP पर उसकी बढ़त बढ़कर 30,769 वोटों तक पहुंच गई. इस दौरान, लेफ्ट फ्रंट का अलग-थलग पड़ना साफ हो गया, RSP को 2024 में सिर्फ 6.07 परसेंट वोट मिले, जो 2019 के 4.70 परसेंट से थोड़ा ज्यादा है.
इटाहार में 2024 में 241,069 रजिस्टर्ड वोटर थे, जो 2021 में 2,29,362 और 2019 में 2,18,367 थे. इस चुनाव क्षेत्र में वोटर रोल में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिसका कारण बांग्लादेश बॉर्डर के पास इसकी लोकेशन और गैर-कानूनी घुसपैठ की रिपोर्ट हैं. सबसे ड्यादा बढ़ोतरी 2011 और 2016 के बीच हुई, जब राज्य में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के पांच साल के अंदर वोटरों की संख्या में 56,108 की बढ़ोतरी हुई. इटाहार अब मुस्लिम-बहुल सीट है, जिसमें मुस्लिम वोटरों की संख्या 50.70 परसेंट है, अनुसूचित जाति के 25.74 परसेंट और अनुसूचित जनजाति के 8.28 परसेंट हैं.
इटाहार ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में है, जहां सिर्फ 2.04 परसेंट वोटर शहरी इलाकों में रहते हैं और बाकी 97.96 परसेंट गांवों में रहते हैं. हालांकि पिछले पांच चुनावों में वोटर टर्नआउट में 10 परसेंट से थोड़ा ज्यादा की गिरावट आई है, फिर भी यह मजबूत बना हुआ है. 2011 में 85.55 परसेंट, 2016 में 83.77 परसेंट, 2019 में 80.11 परसेंट, 2021 में 84.98 परसेंट और 2024 में 75.20 परसेंट वोटिंग हुई थी.
इस इलाके का इतिहास बहुत समृद्ध है, जैसा कि पुरानी बस्तियों के निशान और सुरोहर के आर्कियोलॉजिकल जोन जैसी आस-पास की जगहों के असर से पता चलता है. इटाहार उपजाऊ मैदानों पर बसा है, जहां हल्की ढलान वाली जमीन है, जिसे महानंदा और कुलिक नदियों की सहायक नदियां पानी देती हैं. यहां की इकॉनमी मुख्य रूप से खेती पर आधारित है, जिसमें चावल, जूट, गेहूं और मौसमी सब्जियां मुख्य फसलें हैं. ब्लॉक और उसके आस-पास के मार्केट, साथ ही बेहतर रोड कनेक्शन, लोकल लोगों की जरूरतों को पूरा करते हैं. इलाके के इंफ्रास्ट्रक्चर को हाल के सरकारी प्रोजेक्ट्स से फायदा हुआ है, जिसमें नई सड़कें और गांव में बिजली बनना शामिल है.
इटाहार, जिला हेडक्वार्टर रायगंज से 20 km दूर है. दालखोला 68 km दूर है, बिहार में किशनगंज 200 km दूर है, और राज्य की राजधानी कोलकाता, सड़क से लगभग 375 km दूर है. बांग्लादेश में दिनाजपुर इंटरनेशनल बॉर्डर के ठीक पार है, जो मुश्किल से 35 km दूर है.
इटाहार में BJP को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उसके मुस्लिम-बहुमत वाले वोटर बेस से तृणमूल कांग्रेस को साफ फायदा होता है. 2026 के असेंबली इलेक्शन में तृणमूल कांग्रेस सीट बचाने की फेवरेट है. BJP की सबसे बड़ी उम्मीद लेफ्ट फ्रंट-कांग्रेस अलायंस की मजबूत वापसी पर टिकी है, जिससे मुस्लिम वोट बंट सकते हैं. जब तक यह सिचुएशन नहीं बनती, तृणमूल कांग्रेस बिना ज्यादा मुश्किल के इटाहार में अपनी जीत का सिलसिला लगातार चौथी बार जारी रखने के लिए तैयार है.
(अजय झा)
Amit Kumar Kundu
BJP
Srikumar Mukherjee
CPI
Nota
NOTA
Mojammel Haque
IND
Mofakkerul Islam
AIMIM
Firoj Alam
IND
Tufan Barman
IND
Dilip Kumar Barman
IND
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को बड़ा बयान देते हुए खुलासा किया कि उन्होंने अब तक SIR फॉर्म नहीं भरा है. इससे पहले एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा बंगाल चुनाव से पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करने की कोशिश कर रही है.
संदेशखाली केस में मुख्य आरोपी रहे शाहजहां शेख के खिलाफ गवाह रहे शख्स और उसके बेटे की कार को एक खाली ट्रक ने टक्कर मारी, जिसमें बेटे की मौत हो गई. इस खबर के सार्वजनिक होते ही चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. सियासत तेज हो गई है. जाहिर है कि इसे लोग सामान्य मौत नही मान रहे हैं.
एक बार फिर सज चुका है एजेंडा आजतक का महामंच. देश के सबसे विश्वनीय न्यूज चैनल आजतक के इस दो दिवसीय कार्यक्रम का ये 14वां संस्करण है. जिसके दूसरे दिन मंच पर विशेष तौर पर आमंत्रित थे-शिक्षा एवं विकास राज्य मंत्री और बीजेपी नेता डॉ. सुकांत मजूमदार. सेशन बीजेपी का 'मिशन बंगाल' में उनसे हुई क्या खास बातचीत, जानने के लिए देखें ये पूरा सेशन.
निलंबित तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर ने पार्टी के खिलाफ एक बड़ी चाल चली है. उन्होंने ऐलान किया कि वह 22 दिसंबर को एक नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेंगे. कबीर ने दावा किया कि वह ममता बनर्जी की पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करेंगे.
मुर्शिदाबाद में जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने बिहार में वोट खरीदने और चुनाव के बाद बुलडोजर चलाने के मामले का उदाहरण देते हुए लोगों से केंद्र की सब्सिडी पर भरोसा न करने और राज्य सरकार की योजनाओं पर विश्वास रखने की अपील की.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों में होने वाले हैं और इस पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. बीजेपी और टीएमसी दोनों अपनी-अपनी रणनीतियाँ बढ़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने बंगाल के सांसदों से मुलाकात की है और अमित शाह ने भी बंगाल के दौरे की पूरी योजना बना ली है. ममता बनर्जी विशेष रूप से सीआई प्रक्रिया के खिलाफ विरोध रैलियाँ कर रही हैं, खासकर मुस्लिम बहुल मालदा और मुर्शिदाबाद जैसे जिलों में.
प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसदों से मुलाकात कर विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर चर्चा की. इस मुलाकात में उन्होंने सांसदों को चुनाव जीतने के लिए पूरी मेहनत करने का संदेश दिया और बंगाल की जीत को पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया. भाजपा सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें टीम के रूप में काम करने और रणनीतियों को बेहतर बनाने का निर्देश भी दिया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मालदा के गाज़ोल में आयोजित एंटी-SIR रैली में केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने स्थानीय समस्याओं जैसे गंगा में मिट्टी कटाव और बीएलओ की मौतों पर भी चिंता जताई. साथ ही नागरिकता से जुड़ी दिक्कतों पर भी बात की और लोगों को आश्वासन दिया कि कोई बांग्लादेश नहीं जाएगा.
पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन में बंगाल के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों से मुलाकात कर चुनाव की स्थिति को जानेंगे और रणनीति पर चर्चा करेंगे. वहीं गृहमंत्री अमित शाह जनवरी से आचार संहिता लागू होने तक बंगाल में रहकर पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व करेंगे.
बंगाल में बीजेपी मुसलमानों तक पहुंच बनाने के लिए अपनी टोन बदलती नजर आ रही है. जाहिर है चुनावी गणित में इस बार के विधानसभा चुनावों में किसी भी तरह से बीजेपी पिछड़ना नहीं चाहती है. पर क्या पार्टी के लिए यह नीति बैकफायर नहीं कर सकती है?