धुपगुड़ी, जो उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में स्थित एक उपमंडल स्तर का शहर है, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है. यह 1951 से पश्चिम बंगाल की चुनावी राजनीति का हिस्सा रहा है और जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट के सात खंडों में से एक है. इस विधानसभा क्षेत्र में धुपगुड़ी नगरपालिका, धुपगुड़ी ब्लॉक के नौ ग्राम पंचायत और बनरहाट ब्लॉक के तीन ग्राम पंचायत शामिल हैं. यहां की आबादी का लगभग 81.53 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में और 18.48 प्रतिशत हिस्सा शहरी इलाकों में निवास करता है.
धुपगुड़ी विधानसभा ने अब तक 16 चुनाव देखे हैं, जिनमें राजनीति के कई उतार-चढ़ाव रहे. यह क्षेत्र 1957 और 1962 के चुनावों में शामिल नहीं था, लेकिन 1967 में दोबारा अस्तित्व में आया. कई दशकों तक सीपीएम (CPI-M) का इस सीट पर दबदबा रहा. पार्टी ने यहां आठ बार जीत दर्ज की, जिनमें 1977 से 2011 तक लगातार जीत शामिल है. कांग्रेस ने तीन बार, संयुक्त समाजवादी पार्टी ने एक बार, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने दो बार और भाजपा (BJP) ने एक बार जीत दर्ज की है.
2016 में तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार सीपीएम का गढ़ तोड़ा, जब मिताली रॉय ने ममता रॉय को 19,264 मतों से हराया. 2021 में भाजपा के बिष्णुपद राय ने मिताली रॉय को 4,355 मतों से हराकर सीट पर कब्जा किया. हालांकि, 2023 के उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने वापसी की, जब निर्मल चंद्र रॉय ने भाजपा की तपसी रॉय को 4,309 मतों से मात दी.
2024 के लोकसभा चुनावों में धूपगुड़ी खंड में भाजपा ने 6,329 मतों की बढ़त बनाई, जो 2019 के 17,766 वोटों की तुलना में काफी कम रही. सीपीएम अब लगातार तीसरे स्थान पर सिमट रही है, जिससे उसकी राजनीतिक प्रासंगिकता पर सवाल उठ रहे हैं.
धुपगुड़ी में 2021 में 2,63,118 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 में बढ़कर 2,69,522 हो गए. यहां अनुसूचित जाति के मतदाता 55.30%, अनुसूचित जनजाति 8.64%, और मुस्लिम मतदाता लगभग 16% हैं.
मतदान प्रतिशत हमेशा ऊंचा रहा है -2024 में 83.04%, 2021 में 87.27%, 2019 में 86.61%, और 2016 में 88% रहा था.
भारत के विभाजन से पहले धुपगुड़ी एक साधारण गांव था, लेकिन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए शरणार्थियों की बाढ़ ने 1970 के दशक तक इसे एक जीवंत व्यापारिक केंद्र में बदल दिया. 2002 में धुपगुड़ी नगरपालिका की स्थापना के साथ इसे औपचारिक रूप से शहरी दर्जा मिला, हालांकि इसकी पहचान अब भी मुख्यतः कृषि प्रधान है.
भौगोलिक रूप से, धुपगुड़ी दुआर्स क्षेत्र के उपजाऊ मैदानों में स्थित है, जो भूटान की पहाड़ियों के तल में फैला है. जलधाका नदी पश्चिम में बहती है, जबकि डैना, गिलांडी, दुदुया, कुमलाई, झुमुर और बामनी जैसी छोटी नदियाँ इस क्षेत्र को समृद्ध बनाती हैं, लेकिन बरसात में बाढ़ की समस्या भी उत्पन्न करती हैं.
धुपगुड़ी की अर्थव्यवस्था मुख्यतः खेती और चाय उद्योग पर आधारित है. आसपास कई चाय बागान हैं जो दुआर्स क्षेत्र के कुल चाय उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. धान, जूट और सब्ज़ियां यहां की मुख्य फसलें हैं. औद्योगिक गतिविधि सीमित है और ज्यादातर रोजगार अनौपचारिक क्षेत्र में मिलता है. बहुत से लोग काम के लिए सिलीगुड़ी, कोलकाता या दक्षिण भारत के राज्यों में पलायन करते हैं.
हाल के वर्षों में धुपगुड़ी का बुनियादी ढांचा बेहतर हुआ है. यह शहर रेल और सड़क मार्ग दोनों से जुड़ा है- न्यू जलपाईगुड़ी-कूचबिहार रेलमार्ग यहां से होकर गुजरता है. शहर में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन उन्नत इलाज के लिए लोगों को बड़े शहरों की ओर जाना पड़ता है.
धुपगुड़ी जिलामुख्यालय जलपाईगुड़ी से 45 किमी, कोलकाता से 560 किमी, सिलीगुड़ी से 90 किमी, और कूचबिहार से 70 किमी दूर है. भूटान की सीमा 40 किमी से भी कम दूरी पर है, और फुएंटशोलिंग, बिन्नागुड़ी, जयगांव जैसे शहर पास में हैं.
जैसे-जैसे 2026 का विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, धुपगुड़ी एक बार फिर राजनीतिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. टीएमसी और बीजेपी के बीच मुकाबला बेहद कड़ा है, जबकि सीपीएम की वापसी की संभावना समीकरणों को और पेचीदा बना सकती है. छोटे-छोटे अंतर से तय होती जीत यह दर्शाती है कि यहां हर वोट निर्णायक भूमिका निभा सकता है. धुपगुड़ी निश्चित रूप से उत्तर बंगाल का सबसे चर्चित चुनावी मैदान बनने जा रहा है.
(अजय झा)
Mitali Roy
AITC
Pradip Kumar Roy
CPI(M)
Bedodyuti Roy
BSP
Hrishikesh Roy
IND
Sukumar Roy
KPPU
Nota
NOTA
Dhiranjan Roy
SUCI
Sujan Barman
IND
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