पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले में स्थित बर्धमान दक्षिण (Bardhaman Dakshin) विधानसभा क्षेत्र एक सामान्य वर्ग की सीट है. यह बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र की सात विधानसभा सीटों में से एक है. इस सीट में पूरा बर्धमान नगर निगम क्षेत्र शामिल है, जो जिले का मुख्यालय भी है. बर्धमान शहर ग्रैंड ट्रंक रोड और हावड़ा–दिल्ली रेलमार्ग पर स्थित होने के कारण मध्य बंगाल का एक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र माना जाता है.
बर्धमान दक्षिण सीट का गठन वर्ष 1969 में हुआ था. इससे पहले एकीकृत बर्धमान विधानसभा सीट 1951 से 1967 तक अस्तित्व में थी. इसके विभाजन के बाद बर्धमान उत्तर और बर्धमान दक्षिण नाम से दो सीटें बनीं. 1969 से अब तक बर्धमान दक्षिण में 13 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं.
इस सीट पर लंबे समय तक वामपंथ का दबदबा रहा. 1969 से 2006 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीआई(एम) ने नौ बार जीत हासिल की. केवल 1972 में कांग्रेस ने यह सीट जीती थी. 1977 से 2006 तक लगातार सात बार सीपीआई(एम) ने जीत दर्ज की, जो पूरे बंगाल में वाममोर्चे के प्रभुत्व को दर्शाता है.
लेकिन 2011 में परिदृश्य बदल गया. तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में सत्ता संभाली और रबी रंजन चट्टोपाध्याय ने सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता निरूपम सेन को 36,916 मतों से हराया. 2016 में भी रबी रंजन चट्टोपाध्याय ने सीपीआई(एम) के ऐनुल हक को 29,438 मतों से हराया.
2021 में चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो गया जब भाजपा मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरी. तृणमूल कांग्रेस के खोकन दास ने भाजपा उम्मीदवार संदीप नंदी को केवल 8,105 मतों से हराया.
2019 लोकसभा चुनाव में बर्धमान दक्षिण क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस को भाजपा पर मात्र 1,338 मतों की बढ़त मिली. 2024 में यह बढ़त थोड़ी बढ़कर 7,288 हो गई, लेकिन मुकाबला कड़ा रहा. यह भाजपा के इस क्षेत्र में मजबूत हो रहे आधार को दर्शाता है.
2021 विधानसभा चुनाव में बर्धमान दक्षिण में कुल 2,57,940 पंजीकृत मतदाता थे. यह संख्या 2016 में 2,41,146 और 2019 में 2,48,589 थी. यहां लगभग 15.80% मुस्लिम मतदाता और 11.08% अनुसूचित जाति मतदाता हैं. पूरी तरह शहरी सीट होने के बावजूद यहां मतदान प्रतिशत हमेशा ऊंचा रहा है- 2016 में 80.68%, 2019 में 79.62% और 2021 में 79.59% रही.
बर्धमान शहर का ऐतिहासिक महत्व काफी गहरा है. यह कभी बर्धमान राज का मुख्यालय था, जो ब्रिटिश शासन के दौरान एक शक्तिशाली जमींदारी रही. शहर में कर्जन गेट (Curzon Gate) जैसे ऐतिहासिक स्मारक और 19वीं सदी का सर्वमंगला मंदिर आज भी इसकी धरोहर को दर्शाते हैं. 1960 में स्थापित बर्धमान विश्वविद्यालय इस शहर को शिक्षा का केंद्र बनाता है. बर्धमान क्रांतिकारी आंदोलनों से भी जुड़ा है. यही वह भूमि है जहां स्वतंत्रता सेनानी रास बिहारी बोस का जन्म हुआ था.
बर्धमान दक्षिण, दामोदर नदी की उपजाऊ मैदानी धरती पर बसा है. दामोदर घाटी निगम की परियोजनाओं के कारण बाढ़ की समस्या काफी हद तक नियंत्रित हो चुकी है. जिले को “बंगाल का धान का कटोरा” भी कहा जाता है. हालांकि विधानसभा क्षेत्र शहरी है, लेकिन यह ऐसे जिले के बीच स्थित है जो धान उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है.
यहां की अर्थव्यवस्था सेवाक्षेत्र, छोटे उद्योग और व्यापार पर आधारित है. कृषि प्रसंस्करण इकाइयां, कपड़ा और धातु से जुड़ी छोटी वर्कशॉप्स यहां काम करती हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक संस्थानों से भी बड़ी संख्या में रोजगार मिलता है.
बर्धमान दक्षिण की अवसंरचना अच्छी मानी जाती है. बर्धमान रेलवे जंक्शन हावड़ा–दिल्ली लाइन पर एक बड़ा स्टेशन है. यहां से कोलकाता, दुर्गापुर और आसनसोल के लिए रेल सेवाएं उपलब्ध हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग 19 शहर के पास से गुजरता है, जिससे सड़क संपर्क मजबूत है. बर्धमान मेडिकल कॉलेज और निजी अस्पताल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराते हैं, जबकि विश्वविद्यालय और कई कॉलेज शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देते हैं.
कोलकाता यहां से लगभग 106 किलोमीटर, दुर्गापुर 65 किलोमीटर और आसनसोल 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
जैसे-जैसे 2026 का विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है, बर्धमान दक्षिण सीट पर सियासी मुकाबला बेहद दिलचस्प होता जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस जहां अपनी स्थिति बचाने की कोशिश कर रही है, वहीं भाजपा लगातार बढ़त बनाने की ओर अग्रसर है. पिछले दो चुनावों में घटते अंतर से यह साफ है कि यह सीट एक बार फिर कड़े संघर्ष की गवाह बनेगी और जीत की बाजी किसी भी दल के पक्ष में पलट सकती है.
(अजय झा)
Sandip Nandi
BJP
Pritha Tah
CPI(M)
Nota
NOTA
Puspa Hansda
BSP
Rajib Paswan
NRPI
Aniruddha Kundu
SUCI
Arindam Ghosh
IND
Luxmi Narayan Kora
BMUP
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