पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित बाघमुंडी विधानसभा क्षेत्र, पुरुलिया लोकसभा सीट के सात खंडों में से एक है. यह क्षेत्र झालदा नगरपालिका, झालदा-I और बाघमुंडी सामुदायिक विकास खंडों के साथ-साथ अर्षा विकास खंड के हेटगुगुई और सिरकाबाद ग्राम पंचायतों को शामिल करता है. इसका गठन 2011 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद हुआ था.
एक समय यह क्षेत्र रेड कॉरिडोर का हिस्सा रहा है, जहां की दुर्गम पहाड़ियां और जंगल नक्सलियों के लिए छिपने और आने-जाने का मार्ग हुआ करते थे. लेकिन 2011 के बाद से हुए विधानसभा चुनावों ने यह साबित किया है कि यहां की राजनीति ने उस दौर से दूरी बना ली है और वामदलों की पकड़ कमजोर हो चुकी है.
2011 में कांग्रेस उम्मीदवार नेपाल महतो ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के मंगल महतो को 17,644 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. 2016 में नेपाल महतो ने सीट बरकरार रखी, हालांकि इस बार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के समर महतो से उनका जीत का अंतर घटकर 8,587 वोट रह गया. 2021 में टीएमसी ने नए उम्मीदवार सुषांत महतो को मैदान में उतारा, जिन्होंने बीजेपी समर्थित ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन पार्टी के उम्मीदवार अशुतोष महतो को 13,969 वोटों से पराजित किया.
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और टीएमसी को सफलता मिली है, जबकि लोकसभा चुनावों में बीजेपी यहां लगातार बढ़त बनाती रही है. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने टीएमसी से 52,708 वोटों की बढ़त बनाई. 2024 लोकसभा चुनाव में अंतर घटकर 11,240 वोट रह गया, लेकिन टीएमसी फिर भी दूसरे स्थान पर रही.
2021 में मतदाता संख्या बढ़त के साथ 2,49,613 थी, जो 2016 में 2,23,462 और 2019 में 2,36,974 रही थी. अनुसूचित जनजाति - 18.55%, अनुसूचित जाति - 12.97%, महतो समुदाय (ओबीसी) - लगभग 30.60% है. ग्रामीण क्षेत्र - 91.30%, शहरी क्षेत्र - 8.70% लोग रहते हैं. 2011 में 81.54%, 2016 में 84.65% और 2021 में 82.65% मतदान प्रतिशत रहा. यहां महतो समुदाय का वर्चस्व स्पष्ट है, इसलिए अब तक के सभी विजेता और उपविजेता इसी जाति से रहे हैं.
बाघमुंडी पुरुलिया जिले के पश्चिमी हिस्से में झारखंड की सीमा के पास स्थित है. यह अजोध्या पहाड़ियों और वन क्षेत्र का हिस्सा है, जो रांची प्लेटो से उतरता है. पश्चिमी सीमा से सुवर्णरेखा नदी बहती है, लेकिन सिंचाई की क्षमता सीमित है. छोटे जलाशय और मौसमी धाराएं मौजूद हैं, लेकिन पानी की कमी बड़ी समस्या है. यह क्षेत्र सूखा प्रभावित है, यहां धान प्रमुख फसल है, साथ ही दालें और तिलहन भी उगाए जाते हैं. कृषि के अलावा जंगल से उत्पाद और पशुपालन आय का सहारा हैं, लेकिन रोजगार के अवसर सीमित हैं.
यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन झालदा (10 किमी) है और जिला मुख्यालय पुरुलिया 70 किमी दूर है. राज्य की राजधानी कोलकाता यहां से लगभग 310 किमी दूर है. साथ ही बलारामपुर (26 किमी), बंडवान (45 किमी) दूर है. और झारखंड के चांडिल (40 किमी), सिल्ली (50 किमी), और रांची से इसकी दूरी 110 किमी है. बात करें ओडिशा की तो इसकी सीमा बलारामपुर और बंडवान से पहुंच योग्य है, जहां बारिपदा (ओडिशा) लगभग 100 किमी दूर है.
तृणमूल कांग्रेस मौजूदा विधायक होने का लाभ जरूर ले रही है, लेकिन सीट को सुरक्षित नहीं मान सकती. लोकसभा चुनावों में बीजेपी की लगातार बढ़त उसे गंभीर चुनौती बनाती है. वहीं, कांग्रेस भी इस क्षेत्र में पूरी तरह हाशिए पर नहीं गई है.
2026 का बाघमुंडी विधानसभा चुनाव बहुकोणीय मुकाबले वाला होगा, जहां हर वोट निर्णायक साबित हो सकता है.
(अजय झा)
Ashutosh Mahato
AJSUP
Nepal Chandra Mahato
INC
Debranjan Mahato
AIFB
Nota
NOTA
Pashupati Mahato
AMB
Mrityunjoy Singh Babu
SUCI
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