महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने अपनी पार्टी की स्थिति स्पष्ट करते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर उनकी पार्टी को पर्याप्त सीटें मिलती हैं, तो वे उस पक्ष का समर्थन करेंगे जो सरकार बना सके. डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "यदि वीबीए को सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी या गठबंधन का समर्थन करना पड़ता है, तो हम उसके साथ जाएंगे जो सरकार बना सके. हम सत्ता का चयन करेंगे."
अंबेडकर के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है. वीबीए ने इस बार महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए 200 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 236 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह एक भी सीट जीतने में असफल रही. हालांकि, जिन सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा था, वहां उसका वोट शेयर 5.5% रहा था, जिससे उसके पास वोटरों के एक विशेष वर्ग का समर्थन होने का संकेत मिलता है.
इस बार, प्रकाश अंबेडकर और उनकी पार्टी ने आक्रामक प्रचार किया है और कई सामाजिक मुद्दों को उठाया है. चुनाव प्रचार के दौरान वीबीए ने दलित, आदिवासी और अन्य वंचित वर्गों के अधिकारों की जोरदार वकालत की. अंबेडकर के इस बयान को उनकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे वे चुनावी नतीजों के बाद बने राजनीतिक समीकरणों में खुद को प्रासंगिक बनाए रखना चाहते हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को संपन्न हुआ, और अब सभी की निगाहें 23 नवंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं. अगर वीबीए को इस बार बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिलता है, तो वह महाराष्ट्र की राजनीति में नई भूमिका निभा सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि वीबीए के इस रुख से राज्य में सरकार बनाने के लिए अन्य दलों के साथ गठबंधन की संभावना बढ़ सकती है. अब देखना होगा कि वीबीए अपने प्रदर्शन से क्या बदलाव ला पाती है और क्या वह राज्य की राजनीति में एक निर्णायक शक्ति बनकर उभरती है.