जमकर करें प्रैक्टिस
सभी प्रतिष्ठित लॉ स्कूलों में मूट कोर्ट या नकली कोर्ट क्लासरूम की गतिविधियों में पहले नंबर पर हैं. इन नकली अदालतों में छात्र बहस करते समय अपने किताबी ज्ञान, विश्लेषणात्मक योग्यता और तर्क रखने की कुशलता दिखा सकते हैं और इस तरह वे खुद भी अपनी योग्यता की परख कर सकते हैं. इस तरह की नकली अदालतों में केस की ड्राक्रिटंग, केस का प्रस्तुतीकरण और मौखिक बहस जैसी गतिविधियां शामिल होती हैं. लॉ स्कूलों में अगर इस तरह की अदालतों का सेटअप अच्छा हो तो छात्रों को असली अदालतों जैसा अनुभव हासिल होता है.
इन नकली अदालतों में जहां म्यूनिसिपल लॉ और रीजनल केसों पर जोर दिया जाता है, वहीं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पब्लिक कानून, विदेशी नीति कानून, समुद्री कानून, पेटेंट कानून और बौद्धिक संपत्ति कानून शामिल होता है. प्रतिष्ठित फिलिप सी जेसप कप, जिसमें हर साल 700 से ज्यादा लॉ स्कूल हिस्सा लेते हैं, और ऑक्सफोर्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ मूट कोर्ट, जो हर साल ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक कॉलेजों में आयोजित किया जाता है, दुनिया भर में होने वाली कोर्ट की प्रतियोगिताओं में सबसे सम्मानित माने जाते हैं.
अपने अंदर लाएं आत्मविश्वास
अच्छा वकील वह नहीं है, जिसके पास कानून की जानकारी है, बल्कि वह है जो यह जानता है कि अपनी जानकारी का इस्तेमाल कैसे करे. आप अपना समय सिर्फ परीक्षा पर ही ध्यान देने में न खर्च करें, बल्कि कोशिश करें कि यूनिवर्सिटी में जो संसाधन उपलब्ध हैं, उनका ज्यादा से ज्यादा उपयोग कैसे करें. इससे आत्मविश्वास पैदा होगा और आपको विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को जानने का भी मौका मिलेगा.
किताबी कीड़ा न बनें, विश्लेषण की योग्यता विकसित करें
कानून के हर छात्र के लिए संवैधानिक कानून और इन कानूनों के तहत संबंधित केस के कानूनों को जानना अनिवार्य है. हर वकील को एकदम बेसिक से शुरुआत करनी होती है, इस मामले में कोई दूसरा शॉर्ट-कट नहीं है. कानून के छात्र को अपने अंदर कानून का विश्लेषण करने की योग्यता विकसित करनी चाहिए और केस का मूल भाव पकडऩा चाहिए. भाव को पकडऩा इतना आसान भी नहीं होता है, क्योंकि 400-500 पन्नों के फैसलों को गहराई से पढऩा पड़ता है और फिर उसका भाव निकालना होता है. पूरा फैसला केस का भाव नहीं होता है. दरअसल, यह न्यायालय के फैसले के पीछे की असली वजह होता है, जो सबसे ज्यादा मायने रखता है. कानून के छात्रों के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे खुद को सिर्फ घरेलू कानूनों तक ही सीमित न रखें.
उन्हें दूसरे न्यायाधिकरणों में इस तरह के मुकदमों का अध्ययन करना चाहिए, इससे जानकारी बढ़ती है और वे अपने मुकदमों पर बेहतर ढंग से काम कर सकते हैं. मुकदमे को गंभीरता से लेते हैं तो आपके लिए अंतरराष्ट्रीय कानून की जानकारी भी जरूरी हो गई है. कानून की तकनीकी जानकारी के साथ-साथ आपको पढ़ाई की आदत डालनी चाहिए. महापुरुषों की जीवनियां, आत्मकथाएं और प्रसिद्ध पुस्तकें पढऩा जरूरी है क्योंकि कानून सामान्य ज्ञान पर आधारित हैं और कानून का छात्र जितना अधिक पढ़ाई करेगा उतनी ही समझ उसमें पैदा होगी.
अनुशासन पर कायम रहें
का नून गूढ़ और पेचीदा विषय है, तुरंत कामयाबी पाने की कोई गारंटी नहीं है. कानून की गंभीरता से पढ़ाई करने वाले छात्र को परिश्रम के साथ लंबी पढ़ाई करने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि लॉ स्कूल में काम का बोझ बहुत होता है. छात्र अगर खुद को अनुशासित रखे तो उसके लिए यह काम आसान हो सकता है. लॉ स्कूल के छात्र के लिए अनुशासित रहना बहुत जरूरी है. कड़ी मेहनत करने पर आपको क्लास में मजा आता है. कानून के विषय का स्वभाव कुछ ऐसा है कि इसके बारे में अपनी समझ की परीक्षा करके आप इसे कहीं बेहतर ढंग से सीख सकते हैं. छात्रों को अपने लिए टाइमटेबल बना लेना चाहिए और उस पर अमल करना चाहिए.
उसे पढ़ाई करने की कला में महारत हासिल करनी चाहिए और अपने सीनियर छात्रों या अध्यापकों की सलाह लेने में किसी तरह की कंजूसी नहीं दिखानी चाहिए. ग्रुप में पढ़ाई करने से छात्रों को विशेष रूप से फायदा होता है. वकीलों के करियर की संभावनाएं जिस तरह व्यापक होती जा रही हैं, उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि लॉ स्कूल की पढ़ाई अपने आप में पर्याप्त नहीं है और ये स्कूल छात्रों को उद्योग की लगातार बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए काफी नहीं हैं. कोई वकील अदालतों में व्यावहारिक काबिलियत तभी हासिल कर सकता है जब वह लॉ स्कूल की सोसाइटियों में हिस्सा लेता रहा हो, क्योंकि इन सोसाइटियों में कई तरह की व्यावहारिक गतिविधियां कराई जाती हैं.
कानून में टेक्नोलॉजी का छौंक
किसी वकील के लिए जिन गुणों का होना बेहद अनिवार्य है, उन्हें लॉ स्कूल या किसी अन्य संबंधित जगह से सीखकर उनमें पूरी दक्षता हासिल की. इसके कुछ उदाहरण हैं मुवक्किल से पूछताछ करना, सही बात निकलवाना, मुकदमे की योजना बनाना, गवाह की काउंसलिंग, दस्तावेजों की खोज, विभिन्न पक्षों से बातचीत, गवाह की जांच-पड़ताल, पेशेवर अंदाज, डेलीगेशन, नैतिक संवेदना और समय का प्रबंधन आदि. वकील ऐसा शख्स है जो न्याय दिलाने वाला, कोर्ट का अधिकारी और अधिकारों का रक्षक होता है. इस प्रकार यह समस्या का समाधान का मिशन है, जिसमें हर संदर्भ में खुद को नए नजरिए का लिए तैयार करना और नई वास्तविकताओं से रू-ब-रू होना और उसके अनुरूप खुद को विकसित करना होता है.
नियमों की जानकारी उनके सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक संदर्भ से जुड़ी होती है. वकालत के पेशे में भिन्न सोच के अनुरूप आपको अपनी सोच की सीमा में लचीलापन लाना होता है. कोर्स का विश्लेषण सही आकलन करना, विधायी विश्लेषण और लीगल रिसर्च में दक्षता लाने में कानून की चीड़-फाड़ करने का गुण सीखना बहुत जरूरी है. अपना लक्ष्य तय करने के बाद सूझ-बूझ के साथ योजना बनाकर और थोड़े-थोड़े अंतराल पर अपनी प्रगति की समीक्षा करके सफलता हासिल कर सकते हैं.