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सलमान के केस वाला काला हिरण ही नहीं, ये भी हैं संरक्ष‍ित प्राणी

आइए जानें, भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 के तहत कौन से जीव हैं संरक्षित और उन पर क्या है जुर्माने का प्रस्ताव.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

  • वन्यजीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर है रोक
  • वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम में 4 अनुसूचियों में संरक्षित जीवों के नाम

साल 1972 में भारत सरकार की ओर से भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया गया था. इस बिल का मकसद वन्यजीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था. साल 2003 में संशोधित होकर ये भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 बन गया. आइए जानें, इसके तहत कौन से जीव हैं संरक्षित और उन पर क्या है जुर्माने का प्रस्ताव.

अनसूची एक में ये हैं शामिल

अनुसूची एक में 43 वन्य जीव शामिल हैं. सूची में सुअर से लेकर कई तरह के हिरण, बंदर, भालू, चिकारा, तेंदुआ, लंगूर, भेड़िया, लोमड़ी, डॉलफिन, कई तरह की जंगली बिल्लियां, बारहसिंगा, बड़ी गिलहरी, पेंगोलिन, गैंडा, ऊदबिलाव, रीछ और हिमालय पर पाए जाने वाले कई जानवरों के नाम शामिल हैं. अनुसूची एक के भाग दो में कई जलीय जन्तु और सरीसृप शामिल हैं. इस अनुसूची को चार भागों में बांटा गया है.

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अनुसूची दो में ये हैं शामिल

इस सूची के भाग एक में कई तरह के बंदर, लंगूर, सेही, जंगली कुत्ता, गिरगिट आदि शामिल हैं. वहीं सूची के भाग दो में अगोनोट्रेचस एण्ड्रयूएसी, अमर फूसी, अमर एलिगनफुला, ब्रचिनस एक्ट्रिपोनिस और कई तरह के जानवर शामिल हैं. एक तरह से कहा जाए तो वो सभी जानवर जो घरेलू या फूड चैन को बनाये रखने के लिए जिनका पालन किया जाता है, उन्हें छोड़कर सभी जंगली जीव, सरीसृप संरक्षित जीव-जंतुओं की श्रेणी में आते हैं.

ऐसे लागू होता है ये कानून

ये कानून केवल जंगली जानवरों ही नहीं, बल्कि सूचीबद्ध पक्षियों और पौधों को भी संरक्षण प्रदान करता है. हालांकि ये जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होता. वहां उनका अपना वन्य कानून है. इसकी कुल 6 अनुसूचियां हैं. जो अलग-अलग तरह से वन्यजीवन को सुरक्षा प्रदान करती है. अनुसूची-1 और अनुसूची-2 का द्वितीय भाग वन्यजीवन को पूरी सुरक्षा प्रदान करता है. इसके तहत अपराधों के लिए कड़ा दंड तय है.

ये है दंड

अगर सूची एक और सूची दो में आने वाले जानवरों का शिकार किया जाता है तो उसमें कम से कम तीन साल तक जेल का प्रावधान है, हालांकि इस सजा को सात साल तक बढाया जा सकता है. इसमें कम से कम 10 हजार रुपए जुर्माना हो सकता है.

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ये होती है सजा

न्यूनतम सजा - 3  साल

अधिकतम सजा - 7 साल

न्यूनतम जुर्माना: 10 हजार रुपए

अधिकतम जुर्माना - 25 लाख रुपए

दूसरी बार अपराध करने पर- जुर्माना 25 हजार रुपए तक

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