जेएनयू (जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय) छात्र शरजील इमाम पर देशद्रोह के मुकदमे और गिरफ्तारी पर जेएनयू छात्रसंघ JNUSU ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. JNUSU ने इस पूरे मामले में बीजेपी पर ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए पुलिस पर भी निशाना साधा. छात्रसंघ ने आरोप लगाया कि पुलिस इस्लामोफोबिक (धर्म विशेष के लिए नफरत भरी सोच) रवैये से लोगों को टारगेट कर रही है.
जेएनयू छात्रसंघ ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी बीजेपी चुनाव से पहले अपनी धर्म के आधार पर तोड़ने की राजनीति को हथकंडा बनाते हुए ऐसा करा रही है. JNUSU पहले ही अपने बयानों से इस बारे में अपना विरोध दर्ज करा चुका है. दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन इस मामले में अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है कि किसी भी तरह विरोध करने वालों पर एंटीनेशनल का ठप्पा लगाया जा सके.
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JNUSU ने कहा है कि शरजील और उसके परिवार को जिस तरह मीडिया ट्रायल के जरिए परेशान किया जा रहा है. उसके भाषण को हाइलाइट करके उसे अपराधी घोषित करने की कोशिश सही मायने में दिल्ली चुनाव से पहले बीजेपी द्वारा राजनीति से प्रेरित कार्रवाई है. ये सब शांतिपूर्ण ढंग से CAA-NRC-NPR के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को दबाकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की रणनीति है.
क्या कन्हैया की तरह शरजील को भी चुनावी हथियार बनाएगी बीजेपी ?
वहीं जेएनयू प्रशासन ने हमेशा की तरह शर्मनाक कदम उठाते हुए शरजील इमाम को प्रॉक्टोरियल नोटिस दिया है, जबकि उन्हें अच्छे से पता है कि जो भी घटना हुई, वो जेएनयू से संबंधित नहीं है. इमाम फिलहाल पुलिस कस्टडी में है. JNUSU ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए ये कदम उठाया है. वहीं दूसरी तरफ ये स्पष्ट है कि जेएनयू में 5 जनवरी की हिंसा के अपराधियों के खिलाफ चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है. इससे भी ज्यादा शर्मनाक है कि जिस वॉट्सऐप ग्रुप में पांच जनवरी की घटना के लिए योजना बनाई गई, उस ग्रुप में चीफ प्रॉक्टर भी थे.