ISRO हमारे देश की ऐसी संस्था है जहां देश के सर्वश्रेष्ठ दिमागों का जमावड़ा होता है. जिसने भारत को दुनिया के अन्य देशों से आंखें मिलाने का आत्मविश्वास दिया. ISRO (भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्थान) ने हाल ही में अंतरिक्ष में एक साथ 20 सैटेलाइट भेज कर रिकॉर्ड बनाया है और दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी हैं. ISRO के फॉर्मेशन में डॉक्टर विक्रम साराभाई की अहम भूमिका रही है. इसकी स्थापना साल 1969 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हुई थी.
यहां हम आपको बता रहे हैं ISRO से जुड़े कुछ बेहद दिलचस्प फैक्ट्स जिन्हें हर भारतीय को जानना चाहिए...
1. पहली कोशिश में अंतरिक्ष कक्ष...
ISRO दुनिया की इकलौती संस्था है जिसने पहले प्रयास में सैटेलाइट को मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचा दिया था. इसका पूरा बजट हॉलीवुड की ग्रैविटी फिल्म से कम था.
2. पहला रॉकेट जीप और खराब केन पर...
आज भले ही देश के भीतर किसी सैटेलाइट को लॉन्च करने और स्थापित करने के तमाम साधन हों, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. तब पहला रॉकेट एक जीप से लाया गया था और किसी पुराने क्रेन के माध्यम से स्थापित किया गया था. कहें तो पूरा जुगाड़.
3. भारत के पहले देसी सैटेलाइट का कलाम कनेक्शन...
SLV-3 हमारे देश का पहला देसी सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल था और पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम इस प्रोजेक्ट के पहले डायरेक्टर थे.
4. ISRO का कुल खर्च...
ISRO के ऊपर पिछले 40 वर्षों में हुआ कुल खर्च NASA के एक साल के बजट का आधा है.
5. ISRO का कुल बजट...
ISRO का वर्तमान बजट सेंट्रल गवर्नमेंट खर्च का 0.34 फीसद है, और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.8 फीसद है.
6. गूगल अर्थ का देसी वर्जन...
ISRO ने गूगल अर्थ के भारतीय वर्जन का निर्माण किया है. इस वेब बेस्ड 3D सैटेलाइट इमेजरी टूल का नाम भुवन है.
7. ISRO के अलग-अलग केन्द्र...
भारत में ISRO के कुल 13 अलग-अलग केन्द्र हैं. ISRO इस बीच बंगलुरू में एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग केन्द्र भी खोलेगा. इसमें वे स्पेस के रेडिएशन इन्वायरनमेंट की पढ़ाई करेंगे.
8. टाटा और गोदरेज का है जुड़ाव...
ISRO के बड़े-बड़े दिग्गजों और दुनिया के तमाम स्पेस जानकारों के अलावा हमारे देश के दो सफल और बड़े उद्योगपति रतन टाटा और जमशेद गोदरेज इसके बोर्ड पर हैं.
9. ISRO का मंगल मिशन = टैक्सी का किराया...
ISRO का मंगल मिशन आज भी दुनिया के दूसरे संस्थानों की तुलना में सस्ता है. साल 2008-09 में लॉन्च इस मंगल मिशन में कुल खर्च 450 करोड़ रुपये था. हिसाब लगाने पर यह 12 रुपये प्रति किलोमीटर आता है. है न टैक्सी का किराया?
10. ISRO में हैं सबसे अधिक बैचलर्स...
यहां काम करने वाले ज्यादातर लोग बैचलर्स ही हैं. वैसे इन तमाम बैचलर्स को अपने काम से बहुत प्यार है.
11. 23 लगातार PSLV लॉन्च और वो भी बिना किसी असफलता...
ISRO ने बीते दिनों एक 20 सैटेलाइट वाला PSLV सफलतापूर्वक लॉन्च किया है लेकिन वे इससे पहले भी 23 PSLV सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुके हैं.