scorecardresearch
 

भारत की जलवायु से जुड़ी महत्‍वपूर्ण जानकारी और तथ्‍य

भारत की जलवायु 12 महीने बदलती रहती है. भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु है.

Advertisement
X
भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु है.
भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु है.

भारत की जलवायु 12 महीने बदलती रहती है. आखिर जलवायु है क्या?.
> किसी क्षेत्र में लंबे समय तक जो मौसम की स्थिति होती है, उसे उस स्थान की जलवायु या क्लाइमेट कहते हैं. भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु है.

भारतीय जलवायु को गहराई से जानने से पहले जान लेते हैं की मौसम किसे कहते हैं?
> किसी स्थान पर थोड़े समय की, जैसे एक दिन या एक सप्ताह की वायुमंडलीय अवस्थाओं को वहां का मौसम कहते हैं.

खास बात

- भारत में मौसम संबंधी सेवा सन् 1875 में शुरू की गई थी.

- उस समय इसका मुख्यालय शिमला में था.

- पहले विश्व युद्ध के बाद इसका मुख्यालय पुणे लाया गया. अब यहीं से ही भारत के मौसम संबंधी मानचित्र प्रकाशित होते हैं.

 

 

 > भारतीय जलवायु को मानसून के अलावा प्रभावित करने वाले 2 प्रमुख कारक हैं:

1.

उत्तर में हिमालय पर्वत

- इस की उपस्थिति के कारण मध्य एशिया से आने वाली शीतल हवाएं भारत में नहीं आ पाती हैं.

2.

दक्षिण में हिन्द महासागर

इसकी उपस्थिति और भूमध्य रखा के पास होने के कारण उष्णकटिबंधीय जलवायु अपने आदर्श स्वरूप में पाई जाती है. 

Advertisement

> मानसूनी हवाओं द्वारा समय समय पर अपनी दिशा पूरी तरह बदल लेने के कारण भारत में यह 4 ऋतुएं पाई जाती हैं:

1.

शीत ऋतु

- उत्तर भारत के मैदानी भागों में शीत ऋतु में वर्षा पश्चिम विक्षोभ या जेट स्ट्रीम के कारण होती है.

- जाड़े के दिनों में (जनवरी-फरवरी) तमिलनाडु के तटों पर वर्षा लौटते हुए मानसून या उत्तरी पूर्वी मानसून के कारण होती है.

 

 

2.

ग्रीष्म ऋतु 

- इस ऋतु में असम और पश्चिम बंगाल राज्यों में तीव्र आर्द्र हवाएं चलने लगती हैं, जिनसे गरज के साथ वर्षा हो जाती है.

- इन हवाओं को पूर्वी भारत में नारवेस्टर और बंगाल में काल वैशाखी के नाम से जाना जाता है.

- कर्नाटक में इन्हें चेरी ब्लास्म कहा जाता है जो कॉफी की कृषि के लिए लाभदायक है.

- आम की फसल के लिए लाभदायक होने के कारण इसे दक्षिण भारत में आम्र वर्षा यां मैंगो शावर भी कहा जाता है.

- उत्तर पश्चिम भारत के शुष्क भागों में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म और शुष्क हवाओं को लू कहा जाता है.

 

3.

वर्षा ऋतु

- इस ऋतु में उत्तर पश्चिम भारत और पाकिस्तान में उष्णदाब का क्षेत्र बन जाता है, जिसे मानसून गर्त कहते हैं.

Advertisement

- इसी समय उत्तरी उष्ण अभिसरण (NITC ) उत्तर की ओर खिसकने लगता है, जिसके कारण विषुवत रेखीय पछुआ पवन और दक्षिणी गोलार्द्ध की दक्षिण पूर्वी वाणिज्यिक पवन विषुवत रेखा को पार कर फेरेल के नियम का अनुसरण करते हुए भारत में प्रवाहित होने लगती हैं, जिसे दक्षिण पश्चिम मानसून के नाम से भी जाना जात है.

- भारत की ज्यादातर वर्षा ( लगभग 80 फीसदी) इसी मानसून में होती है.

- भारत की प्रायद्वीपीय आकृति के कारण दक्षिण पश्चिम का मानसून दो शाखओं में विभाजित किया गया है.

1.

अरब सागर की शाखा

-अरब सागर शाखा का मानसून सबसे पहले भारत के केरल राज्य में जून के पहले हफ्ते में आता है.

- यहां यह पश्चिमी घाट पर्वत से टकरा कर केरल के तटों पर वर्षा करता है. इसे मानसून प्रस्फोट यानी मानसून ब्रस्ट कहा जाता है.

- मानसून द्वारा लाई गई कुछ आर्द्रता का 65 फीसदी भाग अरब सागर से आता है.

- अरब सागरीय मानसून की एक शाखा सिंध नंदी के डेल्टा क्षेत्र से आगे बढ़कर राजस्थान के मरुस्थल से होती हुई सीधे हिमालय पर्वत से जा टकराती है और इसीलिए धर्मशाला के आस-पास अधिक वर्षा होती है.

- राजस्थान में सागरीय मानसून मार्ग में अवरोध न होने के कारण वर्षा का आभाव पाया जाता है क्यूंकि अरावली पर्वत माला इसके सामानांतर पड़ती है.

Advertisement

 

2.

बंगाल की खाड़ी की शाखा

- गारो, खासी और जयंतिया पहाड़ियों पर बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाएं अधिक वर्षा लाती हैं, जिसकी वजह से यहां स्थित मेघालय विश्व में सबसे ज्यादा वर्षा प्राप्त करने वाला स्थान है.

- मानसून द्वारा लाई गई कुछ आर्द्रता का 35 फीसदी भाग बंगाल की खाड़ी से आता है.

 

 

- मानसून की अरब शाखा तुलनात्मक रूप से अधिक शक्तिशाली होती है.

 

4.

शरद ऋतु

- इस ऋतु को मानसून प्रत्यावर्तन का काल (रिट्रीटिंग मानसून सीजन) कहा जाता है.

- इस ऋतु में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति होती है.

- इन चक्रवातों से ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिमी तटीय क्षेत्र में गुजरात में काफी क्षति पहुंचती है.

 


Advertisement
Advertisement