एक हीरे की चमक तब तक दुनिया के सामने नहीं आ सकती जब तक उसे तराशने के लिए एक जौहरी ना हो. हुनर हर किसी के पास होता है, बस जरूरत है उस इंसान की, जो उस हुनर को दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दे. ऐसी ही एक कहानी है मुबंई में स्पा चलाने वाली 'जोनिता फिगरेडो' की.
उन्होंने उन लोगों के अंदर से हुनर तलाशा है, जिन्हें समाज ने लाचार समझकर नौकरी पर रखने के लिए मना कर दिया. या यूं कहें कि समाज उन लोगों के लिए सिर्फ और सिर्फ 'तरस' की भावना रखता है.
मुबंई में स्थित 'METTA SPA' की सबसे बड़ी खासयित ये है कि यहां के सभी एम्पलॉइज नेत्रहीन हैं. जोनिता कहती हैं कि 'old medicine hospital से foot reflexology' सीखकर उन्होंने तय किया कि वहनेत्रहीन छात्रों को 'foot reflexology' की शिक्षा देंगी. ताकि वह खुद को और लोगों से अलग ना समझें.

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उन्होंने कहा कि साल 2007 में अपने पति से पैसे उधार लेकर foot reflexology massage सेंटर ('METTA SPA') खोला. उस दौरान उनके पास सिर्फ 4 स्टूडेंट्स थे. लेकिन आज 15 एम्पलॉइज की टीम 'METTA SPA' में काम कर रही है. साथ ही वह और नेत्रहीन स्टूडेंट्स को गाइड कर रही हैं.
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पहले उनके स्टूडेंट उनसे कहते थे कि लोग हमें चैरिटी में पैसे दे देते हैं पर नौकरी पर कोई नहीं रखता है. क्या हम और लोगों से अलग हैं? क्या हमारे अंदर कोई कमी है? इस पर जोनिता ने कहा 'ok let's prove that we are the best'
जोनिता ने कहा कि भले ही वह आंखों से नही देख पा रहे हैं पर जब मैं उन्हें देखती हूं तो उनके चेहरे पर आत्मविश्वास और खुशी देखकर अच्छा लगता है. आज वह अपने खुद के पैसों से अपना शौक पूरा कर रहे हैं, ट्रैवल कर रहे हैं.
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'जोनिता फिगरेडो' की ये कोशिश काबिले-ए-तारीफ है, क्योंकि उन्होंने लोगों के हुनर को पहचाना है, जो दुनिया की नजरों से काफी दूर था. उन्होंने ये साबित कर दिखाया कि इन लोगों को किसी के 'तरस' की नहीं बल्कि अपने हुनर को 'तराशने' की जरूरत है. फिर ये किसी से कम नहीं हैं.