दिल्ली यूनिवर्सिटी में कई कॉलेज ने 5-10 फीसदी तक सालाना फीस बढ़ाने का फैसला किया है. हांलाकि डीयू की फीस तो सभी कॉलेजों के लिए बराबर होती है, लेकिन कॉलेज अपने अनुसार फीस तय करते हैं. छात्रों का मानना है कि कॉलेज की फीस में ज्यादा अंतर होने से उन्हें कॉलेज चुनने के बारे में सोचना पड़ेगा.
डीयू में यूं तो सभी कॉलेजों के लिए फीस एक बराबर होती है, लेकिन कॉलेज इस बात के लिए स्वतंत्र होते हैं कि अपने संसाधनों के आधार पर फीस तय करें. अब जबकि अंडरग्रेज्यूएशन कोर्स भी 4 साल का हो गया है, तो जाहिर है स्टूडेंट्स को ग्रेज्यूएट होने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे.
वैसे फीस हाइक का ज्यादा असर दिल्ली के बाहर से आए छात्रों पर होगा, क्योंकि उन्हें ना केवल फीस का खर्च उठाना होगा, बल्कि उन्हें एक अतिरिक्त साल के लिए लॉजिंग-बोर्डिंग का खर्चा भी देना होगा.
मोटे तौर पर नॉर्थ कैंपस इलाके में जहां 3 साल में रहने-खाने का करीब 2 लाख रू लगता था, वहीं अब करीब 60-70 हजार रूपये ज्यादा देना होगा. कुलमिलाकर अगर आप दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करना चाहते हैं तो 4 साल के साथ-साथ मोटी रकम भी खर्चने को तैयार हो जाइए.