14वें दलाई लामा ल्हामो थोनडप 6 जुलाई को अपना 85वां जन्मदिन मना रहे हैं. वह तिब्बतियों के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरु हैं. उन्हें शांति का संदेश देने के लिए नोबल पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.
दलाई लाम का जन्म चाइना के एक छोटे से गांव ताक्तसर में 6 जूलाई 1935 को हुआ था. दलाई लामा का सम्पूर्ण जीवन मानवता, शांति, अहिंसा के लिए है. केवल तिब्बत में ही नहीं बल्कि विश्व में उनके विचारों और कार्यों का सम्मान किया जाता है. आइए जानते हैं उनके अनमोल विचारों के बारे में .
ये हैं उनके अनमोल विचार
1- मैं अपने दुश्मनों को हराने के लिए उन्हें अपना दोस्त बना लेता हूं.
2- क्रोध और घृणा कमजोरी के संकेत हैं, जबकि करुणा शक्ति का एक निश्चित संकेत है.
3- केवल हृदय परिवर्तन के द्वारा ही दुनिया में वास्तविक परिवर्तन आएगा.
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4- जहां अज्ञानता हमारा स्वामी है, वहां वास्तविक शांति की कोई संभावना नहीं है.
5- दर्द आपको बदल सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक बुरा बदलाव है. उस पीड़ा को लो और ज्ञान में बदलो.
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6- यदि आपको कोई दुःख, दर्द, डर या पीड़ा है तो आपको इस बात की जांच करनी चाहिए की आप क्या कर सकते हैं. यदि आप कर सकते हैं, तो इसके बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके लिए कार्रवाई करें. यदि आप कुछ नहीं कर सकते हैं, तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.
7- एक अनुशासित मन सुख की ओर जाता है, और एक अनुशासनहीन मन दुख की ओर जाता है.
8- सच्चा नायक वह है जो अपने क्रोध और घृणा पर विजय प्राप्त करता है.
9- कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने पढ़ें लिखे या अमीर हों. जब तक आपके मन में शांति नहीं है, तब तक आप खुश नहीं हो सकते.
10- मैं धर्म का आदमी हूं, लेकिन धर्म हमारी सभी समस्याओं का जवाब नहीं दे सकता है.
11- दुनिया नेताओं की नहीं है. दुनिया सारी मानवता की है.
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12- मुझे लगता है कि तकनीक ने वास्तव में मानवीय क्षमता को बढ़ाया है. लेकिन प्रौद्योगिकी करुणा पैदा नहीं कर सकती.
13- मित्रता विश्वास पर निर्भर करती है, धन पर नहीं, शक्ति पर नहीं, शिक्षा या ज्ञान पर नहीं. भरोसा होगा तो ही दोस्ती होगी.
14- बाहर से आप जैसे हैं उसे वैसा ही छोड़ दो, सच्चा परिवर्तन आपके भीतर है.
15- इस जीवन में हमारा मुख्य उद्देश्य दूसरों की मदद करना है, और अगर आप उनकी मदद नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम उन्हें चोट तो मत पहुचाओ.