विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही दिल्ली में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है. लोकतंत्र में पारदर्शी एवं समान चुनाव व्यवस्था के लिए ये संहिता लागू की जाती है. आइए जानें- क्या है मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट, इसे लागू करने के बाद क्या नहीं कर सकते नेता.
आचार संहिता क्या है?
आचार संहिता के बाद नेताओं को भाषण देने से लेकर पोस्टर चिपकाने तक के नियम मानने होते हैं. इसमें मतदान केंद्र, पोर्टफोलियो, चुनाव घोषणा पत्र, जुलूस और रैली से संबंधित सभी नियम उल्लिखित होते हैं. ये सारे वो नियम हैं जो ये सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी राजनीतिक दल वोटर को प्रभावित न कर सके. ये चुनाव की तिथियों और पूरे शेड्यूल की घोषणा के साथ ही लागू कर दी जाती
है. इसके बाद जब तक चुनाव का रिजल्ट नहीं आ जाता, तब तक आचार संहिता लागू
रहती है.
1960 में पहली बार लगी थी आचार संहिता
साल 1960 में केरल के विधानसभा चुनाव में पहली बार आदर्श आचार संहिता लागू की गई. ये नियमों का एक छोटा-सा सेट था जिसे पार्टियों को मानने के लिए कहा गया. फिर साल 1962 में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में भी इन नियमों को बांटा गया. राज्य सरकारों को इसे मनवाने के लिए कहा गया.
40 साल पहले हुआ बदलाव
साल 1979 में राजनीतिक पार्टियों से परामर्श के बाद आचार संहिता में कुछ बदलाव हुए. इसमें सत्ताधारी पार्टी अपनी सत्ता और ताकत का इस्तेमाल करके अनुचित लाभ न उठा ले, इसके लिए एक नया सेक्शन जोड़ा गया. फिर 1991 में फिर बदलाव किए गए जो आज भी मान्य हैं.
साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि चुनाव घोषणापत्र से संबंधित दिशानिर्देश भी इसमें शामिल किए जाएं. इसी आदेश के अनुसार आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनावों में घोषणापत्र से संबंधित नियम को भी शामिल किया.
आचार संहिता के दौरान नहीं कर सकते ये काम
1: दूसरे दलों के उम्मीदवार पर निजी हमले नहीं किए जा सकते. वोट के लिए जातिगत और सांप्रदायिक उन्माद नहीं भड़का सकते. मतदाताओं को पैसा, सामान, शराब के अलावा धमकी आदि भी नहीं दे सकते. राजनीतिक दलों के धरने-प्रदर्शन पर भी रोक लगती है.
2: मीटिंग से पहले स्थानीय पुलिस को सूचना देनी होगी.
3: अगर एक ही रास्ते से दो लोग जुलूस निकाल रहे हैं तो भी टकराव की स्थिति से बचने के लिए पुलिस प्रशासन को बताना होगा. दूसरे दलों के सदस्यों का पुतला दहन नहीं कर सकते.
4: मतदान के दिन पार्टियां अपना एजेंट बनाएंगी जिन्हें बिना पार्टी पहचान का बैज दिया जाएगा.