मेरा एक जर्मनी का दोस्त राजीव जी का भी
दोस्त था. एक बार राजीव जी ने मेरे उस दोस्त से कहा "ये तुम्हारी दोस्त जो है, क्या मैं
इनसे कभी मिल सकता हूं"?
फिर इसके बाद मेरी
और राजीव जी की मुलाकात हुई. जिसके बाद
राजीव जी को मुझसे प्यार हो गया. जब पढ़ाई करने के बाद मैं
वापिस अपने माता-पिता के पास गई तो उस समय राजीव भी हिंदुस्तान आए थे.