यह उन पर पहला नस्लभेदी (रेसिस्ट) प्रहार था, जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे. बस उसी रात दक्षिण अफ्रीका के पीटरमारिट्जबर्ग में गांधी के सत्याग्रह की नींव पड़ चुकी थी. उन्हें यह अंदाजा ही नहीं था कि सविनय अवज्ञा आंदोलन की ये शुरुआत अंग्रेजों की सत्ता की नींव हिला देगी.