
'अगर प्रशासन को लगता है कि ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने से शिक्षक 'कामचोर' नहीं रहेगा और वह विद्यालय में शिक्षण कार्य सुचारू रूप से करेगा तो अच्छी बात है. तो फिर क्यों नहीं ऑनलाइन उपस्थिति हर विभाग में लागू कर दी जाए, पहले शिक्षा विभाग ही क्यों? सभी अधिकारी पहले अपने पर लागू करें, टाइम एंड मोशन फॉलो करें, उसके बाद धरातल पर आकर शिक्षा विभाग में लागू की जाए. अन्य सभी सरकारी विभाग इससे अछूते क्यों हैं?' यह यूपी में डिजिटल अटेंडेंस का विरोध करते हुए एक शिक्षक ने यह बातें कही हैं. शिक्षका का कहना है कि ऑनलाइन अटेंडेंस का सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है जिसकी वजह से शिक्षक समय पर अपनी हाजिरी नहीं लगा पा रहे.
दरअसल, उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस का मुद्दा चर्चा में है. शिक्षकों के लगातार विरोध के बाद भी सरकार अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है. अब योगी सरकार की ओर से आदेश जारी किया गया है कि तीन दिन तक ऑनलाइन हाजिरी (online attendance) दर्ज न कराने वालों का वेतन रोक दिया जाएगा. डिजिटल अटेंडेंस दर्ज न कराना विभागीय आदेश की अवहेलना मानी जाएगी. ऐसी स्थिति में अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. शिक्षकों का कहना है कि प्रशासन का यह रवैया शिक्षकों की अस्मिता पर चोट करने वाला है.
दिन में तीन बार मांगी जा रही है शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस
बिजनौर जिले के विकास क्षेत्र अलहैपुर धामपुर में प्राथमिक विद्यालय चांदनवाला के शिक्षक संतोष कुमार (स.अ.) ने आजतक.इन से कहा कि प्रशासन का आदेश यह है कि शिक्षक स्कूल के निर्धारित समय से आधा घंटे पहले और शिक्षण कार्य समाप्त करने के आधे घंटे बाद विद्यालय से जाएं. एक शिक्षक की हाजिरी तीन बार मांगी गई है, एक सुबह के समय, एक शिक्षण कार्य के बीच और एक स्कूल से निकलने से पहले. प्रशासन का मानना है कि ऑनलाइन हाजिरी होने से शिक्षक विद्यालय से नदारत नहीं रह पाएगा. वह चाहे कितनी भी कोशिश कर ले विद्यालय नहीं छोड़ पाएगा. ऐसे में अगर किसी शिक्षक की तबियत बिगड़ती है या उसके किसी परिचित के साथ कोई ट्रेजडी हो जाती है तो उसका क्या होगा? क्योंकि ऐसे स्थिति में शिक्षकों के लिए कोई प्रावधान नहीं है ना कोई हाफ डे ना कोई EL. शिक्षक को सालभर में मात्र 14 CL मिलती हैं.
और अगर कोई शिक्षक इमरजेंसी में स्कूल से चला भी जाता है तो उसके जाने के बाद जांच के लिए आने वाले अधिकारी आते हैं तो शिक्षक का वेतन रोक दिया जाता है. संतोष कुमार ने कहा कि अपने गृह जनपद से 500-1000 किलोमीटर दूर किसी अनजान जिले में नौकरी करना कड़ी तपस्या से कम नहीं होता. परिवार से दूर रहने, खाने-पीने जैसी कई समस्याएं हैं जिनसे जूझते हुए एक शिक्षक अपनी नौकरी करता है.
लो क्वालिटी टैब भी एक समस्या है
शिक्षक संतोष कुमार का कहना है कि प्रशासन ऑनलाइन अटेंडेंस पर जोर दे रहा है लेकिन उसे लागू करने में जो संसधान इस्तेमाल किए जा रहे हैं वे ही सही नहीं हैं. उन्होंने बताया कि डिजिटल अटेंडेंस के लिए जो टैब स्कूलों को दिया गया है वह एकदम लो क्वालिटी का है. कभी काम करता है कभी नहीं. कई बार सर्वर डाउन दिखाता है.
लखनऊ महानगर प्राथमिक शिक्षा संघ के अध्यक्ष संदीप कुमार ने भी न्यूज एजेंसी को यही बताया था. उन्होंने कहा, "शिक्षक परेशान हैं क्योंकि ऑनलाइन डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है और इस वजह से शिक्षक तय समय में उपस्थिति दर्ज नहीं करा पा रहे हैं.'
सभी विभागों पर लागू क्यों नहीं हो रही ऑनलाइन अटेंडेंस
बिजनौर जिले के प्राथमिक विद्यालय बुढ़ान नगर में शिक्षक राजेन्द्र कुमार (स.अ.) का कहना है कि अगर प्रशासन को ऑनलाइन हाजिरी पर इतना ही विश्वास है तो क्यों नहीं इसे बाकी विभागों पर भी लागू किया जाए. उन्होंने कहा ऑनलाइन उपस्थिति हर विभाग में लागू कर दी जाए, पहले शिक्षा विभाग ही क्यों? सभी अधिकारी पहले अपने पर लागू करें, टाइम एंड मोशन फॉलो करें, उसके बाद शिक्षा विभाग में लागू की जाए. अन्य सभी सरकारी विभाग इससे अछूते क्यों हैं?
ऑनलाइन हाजिरी चाहिए तो बाकी मांगे भी सुने सरकार
विकास क्षेत्र अलहैपुर धामपुर में प्राथमिक विद्यालय बुआपुर नत्थू के शिक्षक मुस्तकीम (स.अ.) ने आजतक से कहा कि अगर सरकार शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी चाहती है तो उसे हमारी मांगों को भी सुनना चाहिए. उन्होंने कहा कि विद्यालय आवासीय किए जाएं जोकि नई शिक्षा नीति में लिखित हैं, अन्य राज्य कर्मियों के समान, नवोदय विद्यालय की तरह एवं केंद्रीय विद्यालयों के समान हमें भी वही सुविधा दी जाए, शिक्षक के लिए हाफ डे लीव की व्यवस्था की जाए, इमरजेंसी लीव दी जाए, पुरानी पेंशन बहाल की जाए, ऑनलाइन हाजिरी सभी पर एक समान लागू की जानी चाहिए और विषम परिस्थितियों में महीने में कम से कम पांच बार लेट आने पर शिक्षक द्वारा उचित स्पष्टीकरण पेश करने पर रियायत दी जानी चाहिए. इसके अलावा एक बड़ी समस्या यह भी है कि शिक्षक अपने घरों से 500 से 1000 किलोमीटर दूर नौकरी कर रहे हैं. उन्हें उनके जिले में भेजा जाना चाहिए. यानी अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण किए जाएं. जिसके फलस्वरूप सभी शिक्षक अपने गृह जनपद में जाकर और अधिक तन्मयता से शिक्षण कार्य कर सकेंगे.
शिक्षक मुस्तकीम ने कहा, 'सरकार एवं समाज की नजरों में शिक्षक कामचोर हैं. सरकारी स्कूल पर एवं सरकारी शिक्षकों को दी जाने वाली तनख्वाह को बेवजह खर्च समझा जा रहा है. लेकिन सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाएं अपने समय से विद्यालय पहुंचते हैं. स्कूल शिक्षण कार्य के बाद ही अपने घर के लिए निकलते हैं. अगर कोई अधिकारी निरीक्षण के लिए आता है तो विद्यालय से उसे कोई भी शिक्षक नदारत नहीं मिलता. सभी शिक्षक अपना काम बखूबी से निभाते है, उसके बावजूद प्रशासन का रवैया उनके काम पर उंगली उठा रहा है.
शिक्षकों की मांग
मुख्य तौर पर शिक्षकों की चार मांगे हैं जिसमें 31 EL, 15 हाफ डे लीव, कैशलेस चिकित्सा (बिना प्रीमियम), और डिजिटल हाजिरी की व्यवहारिक समस्याओं के लिए विस्तृत नियमावली. हालांकि उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से शिक्षकों के लिए 18 मांगों को लेकर एक मांग पत्र जारी किया गया है. जो इस प्रकार हैं-



बता दें कि प्रदेश सरकार ने शिक्षकों को 11 जुलाई से अनिवार्य रूप से डिजिटल अटेंडेंस (digital attendance) दर्ज कराने का आदेश दिया था. सरकार के इस आदेश के खिलाफ शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है. शिक्षकों के कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. शिक्षकों ने सरकार के आदेश को अव्यवहारिक बताया है. यूपी के कई जिलों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया. कई संगठनों से जुड़े शिक्षकों ने जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी सौंपा. बाराबंकी-उन्नाव में डिजिटल अटेंडेंस न लगाने पर शिक्षकों का वेतन रोकने का आदेश दिया गया है.