उत्तर प्रदेश में सिपाही भर्ती परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बडी से बचने के लिए पुलिस प्रशासन की सख्ती के बावजूद कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. 23 अगस्त को ही एसटीएफ की टीम ने लखनऊ से लीक प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने के बहाने ठगी के आरोप में अनिरुद्ध मोदनलाल को अरेस्ट किया था. इसके अलावा यूपी पुलिस ने संभल से ऐसे गैंग को पकड़ा है जो 5 लाख रुपये के बदले यूपी सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर देने का दावा कर रहा था.
पुलिस के पास जब यह शिकायत पहुंची तो टीम ने बड़ी चालाकी से सभी को समय पर गिरफ्तार कर लिया. तीनों आरोपियों के खिलाफ पेपर लीक के नए कानून के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है. आइए जानते हैं पेपर लीक के खिलाफ बने नये कानून में ऐसा क्या है.
एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना
रजपुरा थाना पुलिस ने संभल से आरोपी युवक रामभजन, प्रवीण और योगेश के खिलाफ बीएनएस की धारा 318(4), यूपी सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम की धारा 11/13 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. पेपर लीक कानून के तहत सार्वजनिक परीक्षाओं में होने वाली धोखाधड़ी (नकल) पर अंकुश लगाने के लिए न्यूनतम 3 से 5 साल की कैद की सजा का प्रस्ताव है और पेपर लीक गिरोह में शामिल लोगों को 5 से 10 साल की कैद और न्यूनतम 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. यदि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह कोई संगठित अपराध करता है, जिसमें परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था, सेवा प्रदाता, या कोई अन्य संस्थान शामिल है, तो उन्हें कम से कम 5 साल की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है.
संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान
इतना ही नहीं यदि एग्जामिनेशन अथॉरिटी या सर्विस प्रोवाइडर कोई संगठित अपराध करता है, तो जेल की अवधि न्यूनतम पांच वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष होगी, और जुर्माना ₹ 1 करोड़ रहेगा. कानून कहता है कि जुर्माना 1 करोड़ रुपये से कम नहीं होगा. किसी संस्थान के संगठित पेपर लीक अपराध में शामिल पाए जाने पर उसकी संपत्ति कुर्क करने और जब्त करने का भी प्रावधान कानून में है और परीक्षा की लागत भी उस संस्थान से वसूली जाएगी. हालांकि, यह कानून परीक्षा में उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों को दंडात्मक प्रावधानों से बचाता है. अगर कोई अभ्यर्थी परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का प्रयोग करता हुआ पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई होगी.
यह कानून'अनुचित साधनों' को, पेपर या आंसर की लीक करना, अनधिकृत संचार के माध्यम से परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों की सहायता करना, कंप्यूटर नेटवर्क या अन्य उपकरणों के साथ छेड़छाड़ करना, प्रॉक्सी उम्मीदवार बैठाना (किसी सॉल्वर को कैंडीडेट की जगह परीक्षा में बैठाना), फर्जी परीक्षा आयोजित कराना, परीक्षा सूची या रैंक को लेकर नकली दस्तावेज जारी करना और योग्यता दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने के रूप में परिभाषित करता है.