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UGC के चेयरमैन से एक्सक्लूसिव बातचीत, CUET परीक्षा से जुड़े हर सवाल का दिया जवाब

CUET की परीक्षा दो चरणों में करवाई जाएगी. पहले चरण में स्टूडेंट्स एक लैंग्वेज पेपर, दो डोमेन पेपर और एक जनरल टेस्ट लिख सकते हैं और दूसरे चरण में चार डोमेन सब्जेक्ट लिखने के साथ साथ एक फॉरेन लैंग्वेज पेपर भी लिख सकते हैं.

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 UGC chairman jagdish kumar
UGC chairman jagdish kumar

CUET 2022: यूजीसी के चेयरपर्सन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने GNT से एक्सक्लूसिव बातचीत में CUET परीक्षा से संबंधित सभी सवालों के जवाब दिए. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स को एक लेवल प्लेयिंग ग्राउंड देने के लिए यह निर्णय लिया गया है. विभिन्न तरह से बोर्ड की परीक्षाओं में अलग अलग तरह से बच्चों की मार्किंग की जाती है. ऐसे बच्चों को 97% -98% अंक लाना बहुत मुश्किल होता है. उन पर सबसे ज़्यादा नंबर लाने का दबाव होता है. इसके बावजूद कुछ यूनिवर्सिटीज अपना खुद का कट ऑफ तय करती हैं और स्टूडेंट्स के लिए कई और चैलेंजेस आ जाते हैं. यह पूरी प्रक्रिया बेहद तनावपूर्ण हो जाती है. इसलिए बच्चों को स्ट्रेस फ्री करने के लिए और साथ ही साथ 'equal playing ground' देने के लिए  CUET को लागू किया गया है.

ज्यादातर अभिभावक और बच्चों के मन में यही सवाल है कि यदि बारहवीं कक्षा के अंकों को नहीं गिना जाएगा तो परीक्षा के मायने नहीं रहेंगे. इस पर उनका कहना है कि अलग अलग यूनिवर्सिटी अपने स्तर पर बारहवीं की कक्षा के लिए एक निर्धारित क्राइटेरिया तय करेगी. इसके बाद सिर्फ CUET के कोर्स के आधार पर ही आपका सिलेक्शन तय होगा. जब हम परीक्षाओं की बात करते हैं तो अक्सर बच्चों पर अच्छे नंबर लाने का बड़ा दबाव होता है. लेकिन अभिभावकों और शिक्षाविदों को स्टूडेंट्स लर्निंग के ऊपर फोकस करना होगा.

CUET एक कंप्यूटर आधारित परीक्षा रहेगी. इसमें मल्टीपल च्‍वाइस वाले सवाल रहेंगे और 27 डोमेन विषयों में परीक्षा ली जाएगी जिसमें स्टूडेंट्स 6 डोमेन तक परीक्षा दे सकते हैं. यह परीक्षा कुल 13 भाषाओं में करवाई जाएंगी. हिंदी, अंग्रेजी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं के बच्चे परीक्षा दे सकते हैं. इसका फायदा यह होगा कि जो बच्चे ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ रहे हैं, उनके लिए भाषाओं की समस्या नहीं रहेगी. यह सभी बच्चे अपने भाषाओं में परीक्षा दे सकते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि जो बच्चे ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे हैं उनके लिए NTA कोशिश करेगा कि एग्जाम सेंटर्स वहीं पर खोले जाएं.

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CUET की परीक्षा दो चरणों में करवाई जाएगी. पहले चरण में स्टूडेंट्स एक लैंग्वेज पेपर, दो डोमेन पेपर और एक जनरल टेस्ट लिख सकते हैं और दूसरे चरण में चार डोमेन सब्जेक्ट लिखने के साथ साथ एक फॉरेन लैंग्वेज पेपर भी लिख सकते हैं.

यूनिवर्सिटी मे दाखिला लेने के लिए 12वीं के अंको को नहीं गिना जाएगा. जैसे ही CUET की परीक्षा पास करते हैं उसके बाद तुरंत बच्चे यूनिवर्सिटीज के लिए अप्लाई कर सकते हैं. यूनिवर्सिटीज में अप्लाई करने के लिए किसी तरह की कोई लिमिट नहीं है. यूनिवर्सिटी में अप्लाई करने के बाद यूनिवर्सिटी की तरफ से एक मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी. इसी मेरिट लिस्ट के आधार पर एडमिशन होगा. ऐसे भी हो सकता है कि किसी बच्चे ने मान लीजिए 6 यूनिवर्सिटीज में अप्लाई किया हूं और उसका सभी 6 यूनिवर्सिटीज में चयन हो गया हो. लेकिन स्टूडेंट एक ही यूनिवर्सिटी का चयन करेगा और बाकी 5 खाली रहेंगी. ऐसे में जब यूनिवर्सिटी दूसरी, तीसरी और चौथी सूचियां जारी करेंगी तो उससे बच्चों के लिए लगातार अवसर खुलते रहेंगे.

यानी कि बच्चे ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए पूरे 45 यूनिवर्सिटीज में चाहें तो अप्लाई कर सकते हैं. इस पूरी प्रक्रिया के ज़रिए बच्चों को कई विकल्प मिलेंगे जिसमें से वो सबसे बेस्ट विकल्प चुन सकते हैं. इन सब बदलाव से एक चीज यह अच्छी होगी कि सभी बच्चों को समान मौके मिलेंगे. किसी के साथ भेदभाव होने की संभावना न के बराबर होगी.

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जहां तक कंप्यूटर आधारित परीक्षा का सवाल है तो ऐसे में कई सवाल यह भी उठ रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे कंप्यूटर कैसे इस्तेमाल करेंगे. इस पर प्रोफेसर जगदीश कुमार का कहना है कि परीक्षा के दौरान बच्चों को कीबोर्ड का इस्तेमाल नहीं करना है उन्हें केवल माउस का इस्तेमाल करके सही विकल्प चुनना है.

जहां तक रजिस्ट्रेशन का सवाल है तो रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अप्रैल के पहले सप्‍ताह से शुरू हो जाएगी और जुलाई के पहले हफ्ते में CUET की परीक्षा होंगी. हमारा सन्देश यही है कि बच्चों को नंबर पर ध्यान देने की बजाय लर्निंग पर ध्यान देना चाहिए. जरूरत है कि हम बच्चों को लाइफ लोंग लर्निंग दें न कि उन्हें एक नंबर की मशीन बनाएं.

 

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