राज्य के शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में भर्ती की इच्छा रखने वाले बिहार के बेरोजगार शिक्षित युवा खुद को घोर निराश महसूस कर रहे हैं. इसकी वजह बिहार कैबिनेट ने मंगलवार को अपनी शिक्षक भर्ती नीति में आया बदलाव है, जिसमें बिहार के बाहर के उम्मीदवारों को राज्य में शिक्षक की सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने की अनुमति मिली है.
बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों ने बिहार सरकार के इस पैंतरे को 'अप्रिय' करार दिया. साथ ही स्थानीय उम्मीदवारों ने 72 घंटे की समय सीमा तय करते हुए सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि सरकार संबंधित संशोधन को तत्काल वापस ले अन्यथा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. छात्र नेता दिलीप ने कैबिनेट की मंजूरी को '‘BLACK AMENDMENT' बताया और इसे शीघ्र वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि भर्ती के लिए बिहार से बाहर के अभ्यर्थियों को अनुमति देना गलत है. एक अन्य छात्र नेता अभिषेक झा ने कहा कि बिहार में मेधावी छात्रों की कोई कमी नहीं है.
इस नये बदलाव के बाद, अन्य पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाला देश का कोई भी नागरिक बिहार में सरकारी शिक्षक की नौकरी के लिए आवेदन कर सकता है क्योंकि आवेदक के राज्य का स्थायी निवासी होने की आवश्यकता समाप्त कर दी गई है. इस ताजा अपडेट से पहले शिक्षक नियुक्ति के लिए आवेदक को बिहार का निवासी होना अनिवार्य था.
बिहार के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर ने इस अपडेट के लिए विज्ञान और गणित के शिक्षकों की अधूरी रिक्तियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इससे देश भर के प्रतिभाशाली नौकरी चाहने वालों को परीक्षा देने या भर्ती करने की अनुमति मिलेगी. उनके पास विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषयों में सक्षम उम्मीदवारों की कमी है. चन्द्रशेखर ने कहा कि इससे सरकारी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा.
बिहार में विज्ञान और अंग्रेजी शिक्षकों की कथित कमी के संबंध में दिए गए बयान के लिए भाजपा ने राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को निशाने पर लिया और कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री बशिष्ठ नारायण सिंह द्वारा गणित में किए गए योगदान को कैसे भूल सकते हैं. मौजूदा राज्य सरकार द्वारा रोजगार सृजन के दावों पर शिक्षकों की भर्ती नीति में हालिया बदलाव के प्रभाव को रेखांकित करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सरकारी नौकरी की रिक्तियां लाने के उनके दावे का क्या होगा? बिहार के युवाओं के लिए 19 लाख या 25 लाख नौकरियों के दावे के बारे में क्या?
जदयू ने शिक्षकों की भर्ती नीति में बदलाव को अपनी सरकार की कैबिनेट मंजूरी का बचाव किया. जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने बुधवार को कहा कि यह निर्णय समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. उन्होंने कहा कि नीति में बदलाव के असर को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं. यहां यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि पिछले साल पटना के डाक बंगला चौराहा पर तेजी से भर्ती के लिए दबाव बनाने के साथ-साथ बिहार सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे एक सीटीईटी और बीटीईटी योग्य उम्मीदवार को एडीएम रैंक के राज्य अधिकारी द्वारा बेरहमी से पीटने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसके बाद बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जबरदस्त खींचतान हुई थी.