पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने आजतक को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में किताबों में किए जा रहे बदलावों को लेकर भी बात की. इस दौरान स्मृति ईरानी ने एनसीईआरटी की किताबों में कथित पक्षपात और भारतीय जनता पार्टी पर शिक्षा के भगवाकरण करने के आरोपों पर भी जवाब दिया.
क्या बीजेपी जानबूझकर मुगल शासकों को क्रूर बता रही है?
NCERT की किताबों को लेकर बहस कोई नई बात नहीं है. यह ईरानी के केंद्रीय शिक्षा मंत्री (तत्कालीन मानव संसाधन विकास) के कार्यकाल के दौरान भी मौजूद थी. यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा जानबूझकर मुगल शासकों, खासकर बादशाह अकबर को मुस्लिम समुदाय को नाराज करने के लिए क्रूर बता रही है. इस पर ईरानी ने जवाब दिया, "एनसीईआरटी एक नियामक संस्था है, जो पहले से लागू शिक्षा नीतियों के आधार पर पाठ्यक्रम बनाती है. रूपरेखा तय होने के बाद, वह विषय के जानकार विशेषज्ञों की मदद से किताबों के अध्याय तैयार कराती है."
हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अगर किताबों में अकबर जैसे शासक के केवल सकारात्मक पहलुओं को ही दिखाया जाए, तो यह इतिहास के साथ घोर अन्याय होगा. "उनका शासन अच्छे और बुरे, दोनों उदाहरणों से भरा पड़ा था. अगर आप केवल अच्छे पहलुओं पर ही बात करना चाहते हैं और विवादों को नज़रअंदाज़ करना चाहते हैं, तो यह उचित नहीं है."
ईरानी ने कहा, 'हमारा उद्देश्य छात्रों को पक्षपातपूर्ण बनाना नहीं है, बल्कि उन्हें पूरी जानकारी देना है. सेलेबस ऐतिहासिक तथ्यों से रहित नहीं हो सकता. आप किसी भी तरह से अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए पाठ्यक्रम को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं पेश कर सकते.'
अतीत की सच्चाई को स्वीकार करें
स्मृति ईरानी ने आगे कहा, 'पिछली बार जब मैंने जांच की थी, तो कोई भी मुगल शासक किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं था, न ही वे किसी सरकारी संगठन के प्रतिनिधि थे. लोग कहते हैं कि जो बीत गया सो बीत गया, लेकिन अतीत की सच्चाई को स्वीकार करना सीखना चाहिए - चाहे वह अच्छी हो या बुरी.'
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा जानबूझकर अशोक जैसे शासकों के अत्याचारों को कम करके आंकती है और बाबर, औरंगज़ेब या अकबर जैसे मुगलों के अत्याचारों को ज्यादा तूल देती है? ईरानी ने जवाब दिया, 'मुझे नहीं लगता कि राजा अशोक के बारे में कोई तथ्य छिपाया गया है, कम से कम मैंने जितनी भी इतिहास की किताबें पढ़ी हैं, उनमें तो नहीं, लेकिन मैं फिर से कहूंगी - मैं कोई इतिहासकार नहीं हूं. जिन लोगों ने सबूतों के आधार पर ऐसा किया है, और ये विशेषज्ञ ज़रूर अपना पक्ष रख सकते हैं.'