भले ही सरकार ये दावा कर रही है कि कोरोना के दौरान हरेक बच्चे तक शिक्षा पहुंची, लेकिन यूनिसेफ द्वारा बुधवार को जारी आंकड़े कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार महामारी और लॉकडाउन के कारण 2020 में 1.5 मिलियन स्कूल बंद रहे. भारत में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में नामांकित 24.7 करोड़ बच्चों पर असर पड़ा.
यूनिसेफ के बयान में कहा गया है कि ऑनलाइन शिक्षा सभी बच्चों के लिए एक विकल्प नहीं है क्योंकि चार में से केवल एक बच्चे के पास डिजिटल डिवाइस और इंटरनेट कनेक्टिविटी है. भारत में कोविड की शुरुआत में केवल एक चौथाई घरों (24 प्रतिशत) तक इंटरनेट की पहुंच थी और इसमें ग्रामीण और शहरी के साथ लैंगिक विभाजन भी देखा गया. यूनिसेफ ने इस पर चिंता जताते हुए सिफारिश की और कहा कि एक बार स्कूलों में उच्च ड्रॉपआउट दर होने पर यह चिंता का विषय हो जाता है.
यूनिसेफ द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि दुनिया भर में 888 मिलियन से अधिक बच्चे पूर्ण और आंशिक लॉकडाउन के चलते अपनी शिक्षा में व्यवधान का सामना करते हैं. इस दौरान का विश्लेषण बताता है कि दुनिया भर के 14 देश मार्च 2020 से फरवरी 2021 तक बड़े पैमाने पर बंद रहे. उन देशों में से दो-तिहाई लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में हैं, जिससे लगभग 98 मिलियन स्कूली बच्चे प्रभावित हुए.