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स्कूल फीस बढ़ोतरी पर अभिभावकों को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एक्शन कमेटी को भेजा नोटिस

दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 अप्रैल 2024 को एक अंतरिम आदेश दिया था जिसमें कहा गया था कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल जो सरकारी जमीन पर बने हैं, शिक्षा निदेशालय से पूर्व अनुमति लिए बिना फीस बढ़ा सकते हैं. इस आदेश को एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स ने अपनी जीत के तौर पर देखा और कई स्कूलों ने इसका फायदा उठाकर मनमानी फीस बढ़ा दी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली में निजी स्कूलों द्वारा बेतहाशा फीस बढ़ोतरी के खिलाफ लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे अभिभावकों को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. नया समाज पेरेंट्स एसोसिएशन (NSPA) ने दिल्ली हाई कोर्ट के एकल जज के उस अंतरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें निजी स्कूलों को बिना शिक्षा निदेशालय (DoE) की मंजूरी के फीस बढ़ाने की छूट दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आज दिल्ली सरकार, शिक्षा निदेशालय और एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स को नोटिस जारी किया है. 

क्या है मामला?

दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 अप्रैल 2024 को एक अंतरिम आदेश दिया था जिसमें कहा गया था कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल जो सरकारी जमीन पर बने हैं, शिक्षा निदेशालय से पूर्व अनुमति लिए बिना फीस बढ़ा सकते हैं. इस आदेश को एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स ने अपनी जीत के तौर पर देखा और कई स्कूलों ने इसका फायदा उठाकर मनमानी फीस बढ़ा दी. NSPA का कहना है कि कुछ स्कूलों ने फीस में 100% तक की बढ़ोतरी कर दी, जिससे अभिभावकों और छात्रों में भारी परेशानी बढ़ गई थी. 
NSPA ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. एसोसिएशन का तर्क है कि यह आदेश पुराने फैसलों के खिलाफ है और शिक्षा व्यवस्था में अराजकता पैदा कर रहा है.  वहीं, अभिभावकों का कहना है कि स्कूल सरकारी जमीन का लाभ उठाकर कम दरों पर जमीन लेते हैं लेकिन फीस बढ़ाने में कोई नियम नहीं मानते. 

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सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आज इस मामले की सुनवाई की. NSPA की ओर से वकील खगेश बी. झा और शिखा शर्मा बग्गा ने दलील दी कि स्कूल मनमानी कर रहे हैं और अभिभावकों पर बोझ डाल रहे हैं. सुनवाई के दौरान बेंच ने एक्शन कमेटी की दलीलों का जवाब देते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की कि आपने जमीन लगभग मुफ्त में ली है और अब इससे जुड़ी जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार, शिक्षा निदेशालय और एक्शन कमेटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. 

अभिभावकों ने जताई खुशी

सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से अभिभावकों में उम्मीद जगी है. NSPA की एक सदस्य और अभिभावक ने कहा कि हम महीनों से सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. स्कूलों ने फीस इतनी बढ़ा दी कि बच्चों की पढ़ाई छुड़वाने की नौबत आ गई थी. सुप्रीम कोर्ट का नोटिस एक बड़ा कदम है. हमें उम्मीद है कि अब स्कूलों की मनमानी रुकेगी. वहीं, एक्शन कमेटी का कहना है कि निजी स्कूलों को अपनी फीस तय करने की आजादी होनी चाहिए, क्योंकि वे सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं लेते. उनका दावा है कि फीस बढ़ोतरी शिक्षकों के वेतन और स्कूल के रखरखाव के लिए जरूरी है. वहीं, अभिभावकों का आरोप है कि कई स्कूल फंड का दुरुपयोग कर रहे हैं और शिक्षकों को सही वेतन भी नहीं दे रहे. 

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दिल्ली सरकार की भूमिका पर सवाल

दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट एंड रूल्स (DSEAR), 1973 के तहत, सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय से मंजूरी लेनी होती है. लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद स्कूलों ने इस नियम को नजरअंदाज कर दिया. दिल्ली सरकार अब तक इस मामले में सख्त कदम नहीं उठा पाई है. सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद अब सरकार से जवाब की उम्मीद है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोर्ट हाई कोर्ट के आदेश को पलट देता है तो स्कूलों को फिर से शिक्षा निदेशालय से मंजूरी लेनी होगी. इससे न सिर्फ दिल्ली, बल्कि पूरे देश में निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी पर लगाम लग सकती है. NSPA के वकील खगेश बी. झा ने कहा कि हमारा मकसद शिक्षा को व्यावसायिकता से बचाना है. स्कूलों को जवाबदेह बनाना होगा. फिलहाल इस मामले की अगली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं.

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