सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और UPSC से पूछा है कि इस बात को एक्स्प्लेन किया जाए कि कोरोना काल के कारण अंतिम मौका गवाने वाले अभ्यर्थियों को अतिरिक्त अवसर क्यों न दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सरकार के पहले लिए फैसले को आधार बनाकर कहा कि इन्हें मौका क्यों न दिया जाए, जबकि सरकार पहले भी ऐसा कर चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह जानकारी भी मांगी की पूर्व में कितनी बार अतिरिक्त मौके अभ्यर्थियों को दिए गए हैं. बता दें कि कोरोना के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए देश भर के स्कूल-कॉलेज लंबे समय से बंद रहे हैं. यही नहीं कई प्रतियोगी परीक्षाएं रद्द भी की गईं. इसी के चलते यूपीएससी की परीक्षा की तिथियां भी आगे बढ़ाई गईं.
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आवेदन की तिथि बढ़ाने से कई अभ्यर्थी जिनकी आयुसीमा लास्ट एग्जाम के लिए अहर्य थी, वो अपना अंतिम मौका देने से चूक गए हैं. ऐसे ही छात्रों ने यूपीएससी से और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके एक और मौका देने की मांग की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जिन उम्मीदवारों का UPSC CSE 2020 अक्टूबर परीक्षा का लास्ट अटेम्प्ट कोरोना महामारी के कारण छूट गया है, उन्हें सरकार एक्स्ट्रा अटेम्प्ट देने के पक्ष में नहीं है. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DOPT) की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर के नेतृत्व वाली पीठ को बताया था कि सरकार Covid-19 महामारी के कारण 2020 में सिविल सेवा परीक्षा मिस करने वाले अभ्यर्थियों को एक और अवसर देने को तैयार नहीं है.
कोर्ट ने केन्द्र से इस बाबत हलफनामा दायर करने का कहा था और मामले की अगली सुनवाई के लिए आगे की तारीख दी थी. बता दें कि जिन उम्मीदवारों का आखिरी अटेम्प्ट महामारी के कारण मिस हो गया है, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद है. छात्रों का कहना है कि उन्हें अधिकतम आयुसीमा में छूट देकर 2021 की परीक्षा में शामिल होने की इजाजत दी जाए.
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