देश में अब तक का सबसे बड़ा आत्म रक्षा (सेल्फ डिफेंस) प्रोग्राम राजस्थान में जल्द शुरू होने वाला है. इस प्रोग्राम के तहत पांच साल में राजस्थान में पांच लाख स्कूली लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाएगी. केंद्र सरकार की नेशनल स्किल डेवेलपमेंट काउंसिल के विभाग स्पोर्ट्स फिजिकल एजुकेशन फिटनेस और लीजर स्किल कॉउंसिल (एसपीईएफऐल- एससी) ने राजस्थान सरकार के साथ एक एमओयू साइन किया है. जिसके तहत जल्द ही लड़कियों की ट्रेनिंग शुरू की जाएगी.
स्पोर्ट्स और फिटनेस स्किल कॉउंसिल के प्रेसिडेंट जलज दानी ने बताया कि सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत पैसे खर्च करती है, लेकिन इसमें से ज्यादातर पैसा किसी घटना होने के बाद जिन चीजों की जरूरत होती है, जैसे फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट, महिला थाना आदि पर खर्च होता है. किसी घटना से लड़कियों को बचाने के लिए उनको सेल्फ डिफेंस की ये विधा, जो हमने खासतौर पर भारतीय परिवेश के लिए बनाई है, इसमें ट्रेनिंग देना बहुत ज़रूरी है. इस विधा को सीखने के बाद लड़कियां किसी भी हमलावर से बचने में सफल होंगी.
स्पोर्ट्स और फिटनेस सेक्टर स्किल कॉउंसिल के सीईओ तहसीन ज़ाहिद ने बताया कि आत्म रक्षा की ये विधा खासतौर पर भारतीय लड़कियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. जैसे कि यहां महिलाएं साड़ी, सलवार कमीज़, लहंगा आदि परिधान पहनती हैं जो पैरों की हरकत को रोकता है. आसानी से सीखी जा सकने वाली इस तकनीक के माध्यम से लड़कियां सशक्त होंगी.
लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) संजय पंवर, जो करगिल युद्ध वेटरन होने के साथ स्पोर्ट्स और फिटनेस स्किल कॉउंसिल के सेल्फ डिफेंस प्रमुख भी हैं. उन्होंने बताया कि इस ट्रेनिंग को वैज्ञानिक तौर पर डिज़ाइन किया गया है और विश्व की सबसे अच्छी मार्शल आर्ट विधाओं जैसे क्राव मागा, पिकेटी काली, जिउ जित्सु आदि की तकनीकों को भारतीय परिवेश के हिसाब से शामिल किया गया है.
इस प्रोग्राम की निष्पादन एजेंसी स्ट्राइक सेल्फ डिफेंस के मास्टर ट्रेनर गौरव जैन ने कहा कि वो लड़कियों को शरीर से ईंट-पत्थर तोड़ने, बर्फ की सिल्लियां तोड़ने या लोहे की सरिया मोड़ने की ट्रेनिंग नहीं देते क्योंकि ये निर्जीव चीजें उनके लिए सड़क पर या घर में कोई खतरा नहीं पैदा कर सकते. एक से ज्यादा हमलावर और अपने से ज्यादा शक्तिशाली हमलावरों से बच कर निकलने की विधा सिखाई जाती है.
(इनपुट: अभिषेक आनंंद)