प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी लोकसभा चुनाव के लिए मध्य प्रदेश में बीजेपी के अभियान की शुरुआत की. प्रधानमंत्री मोदी ने झाबुआ में कई हजार करोड़ की विकास परियोजनाओं की सौगात देने के साथ ही जनजातीय सम्मेलन को संबोधित किया है. इस दौरान उन्होंने आदिवासी इलाकों में स्कूली शिक्षा को लेकर भी बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात में मैंने देखा था कि आदिवासी पट्टों में स्कूलों की कमी के कारण बच्चों को स्कूल जाने के लिए कई किलोमीटर चलना पड़ता था.
एकलव्य स्कूलों को लेकर पीएम ने कही ये बात
प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो इन पट्टों में स्कूल खुलवाएं. अब आदिवासी बच्चों के लिए मैं देश भर में एकलव्य आवासीय स्कूल खुलवा रहा हूं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इतने वर्षों में 100 ही एकलव्य स्कूल खोले थे, जबकि बीजेपी की सरकार ने अपने 10 साल में ही इससे चार गुना ज्यादा एकलव्य स्कूल खोल दिए हैं. एक भी आदिवासी बच्चा शिक्षा के अभाव में पीछे रह जाए, ये उन्हें मंजूर नहीं है. बता दें कि मध्य प्रदेश के अनुपपुर, बड़वानी, बैतूल, धार, डिंडोरी, झाबुआ, मंडला, रतलाम, सिवनी, छिंदवाड़ा, सीधी, उमरिया, अलीराजपुर, बालाघाट, होशंगाबाद, जबलपुर, खंडवा खालवा रोशनी, शहडोल, सीहोर, सतना मैहर, सतना चित्रकूट, खरगोन, सिंगरौली में सरकार द्वारा एकलव्य स्कूल खुलवाए गए हैं.
मध्य प्रदेश में कितने एकलव्य विद्यालय हैं?
एकलव्य स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित होते हैं. इन स्कूलों में छात्रों को आवास, भोजन, और पाठ्य पुस्तकें मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं. साथ ही साथ इन स्कूलों में छात्रों के लिए खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों और कैरियर मार्गदर्शन के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. मध्य प्रदेश सरकार के डेटा के अनुसार, भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन मध्य प्रदेश में संचालित 63 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में 6वीं कक्षा में 1795 बालकों एवं 1820 बालिकाओं सहित कुल 3615 सीटें हैं.
कब हुई थी एकलव्य स्कूलों की शुरुआत
जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत स्थापित, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) एक केंद्र सरकार की योजना है. जो 1998-99 में आदिवासी बच्चों को उनके ही वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए कक्षा 6 से 12 तक एक मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित करने के लिए शुरू की गई थी. आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में कदम उठाने के अलावा, छात्रावासों, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों, खेल उपकरण, कोचिंग या प्रशिक्षण सुविधाओं के निर्माण के लिए भी सरकार की तरफ से पैसा दिया जाता है.