Board Exam 2024, NCF Curriculum New Change: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्य की रूपरेखा (NCF-2023) लांच कर दी है. ये करीकुलम फ्रेमवर्क करीब 36 साल से चली आ रही भारतीय शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से बदल सकता है. इसे नई शिक्षा नीति (New Education Policy) 2020 के तहत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने तैयार किया है. करीकुलम फ्रेमवर्क में भारत में कक्षा 1 से 12वीं तक बच्चे कैसे पढ़ेंगे, क्या सीखेंगे, कैसे सीखेंगे, असेंबली कैसे होंगी, बैग किताबें कैसी होंगी, छात्रों की प्रतिभा का मूल्यांकन कैसे होगा आदि कई बड़े बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं.
असेंबली से लेकर यूनिफॉर्म तक होंगे चेंजेज
इस नये करीकुलम फ्रेमवर्क में स्कूली शिक्षा में छात्रों को कई विषयों की पढ़ाई के अलावा एक साल में दो बार बोर्ड की परीक्षा और 12वीं में सेमेस्टर प्रणाली लागू करना अहम बदलाव में शामिल है. NCF में कक्षाओं में बच्चों के लिए बैठने के इंतजाम, स्कूलों में होने वाली असेंबली, यूनिफॉर्म, भाषा और संस्कृति से जुड़ाव जैसे अन्य विषयों के बदलाव भी शामिल हैं.
उदाहरण के लिए आप क्लास के सिटिंग अरेंजमेंट को लें तो NCF में कक्षाओं को गोलाकार आकार और अर्ध गोलाकार आकार में बैठाने को कहा गया है. यही नहीं, स्कूलों में होने वाली एसेंबली को टेक्निकल की जगह मीनिंगफुल बनाया जाएगा. यूनिफॉर्म के चेंज की बात करें तो स्कूलों में स्थानीय मौसम के हिसाब से पारंपरिक, आधुनिक या जेंडर न्यूट्रल यूनिफॉर्म का विकल्प चुनने का विकल्प शामिल है.
क्या है कक्षा 11वीं और 12वीं का एग्जाम प्लान?
एनसीएफ के मुताबिक सेकेंडरी स्टेज को चार ग्रेड में बांटा गया है जिसमें छात्रों को कुल 16 विकल्प आधारित पाठ्यक्रमों को पूरा करना होगा. सेकेंडरी स्टेज को चार ग्रेड में 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं क्लास शामिल है. इस स्टेज में छात्रों को 8-8 ग्रुप में कुल 16-16 पेपर देने होंगे. 11वीं-12वीं के हिस्सों को एक साथ रखा गया है. इसमें स्टूडेंट्स को 8 विषयों में से हर ग्रुप के दो-दो विषय (16 विषय) दो साल के दौरान पढ़ने होंगे. जैसे अगर कोई छात्र सोशल साइंस विषय में से इतिहास चुनता है तो उसे इतिहास के चार पेपर (कोर्स) पूरे करने होंगे.
नए करीकुलम फ्रेमवर्क से होंगे ये खास बदलाव
बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी और छात्रों को बेस्ट स्कोर लाने की अनुमति दी जाएगी.
कक्षा 11,12 में विषयों का चयन केवल स्ट्रीम तक ही सीमित नहीं रहेगा, छात्रों को चयन में लचीलापन मिलेगा.
2024 शैक्षणिक सत्र के लिए पाठ्यपुस्तकें विकसित की जाएंगी. कक्षा में पाठ्यपुस्तकों को 'कवर' करने की वर्तमान प्रथा से बचा जाएगा.
पाठ्यपुस्तकों की लागत पर भी विचार किया जाएगा.
स्कूल बोर्ड उचित समय में 'ऑन डिमांड' परीक्षा की पेशकश करने की क्षमता विकसित करेंगे.
कैसा होगा सेमेस्टर सिस्टम?
दोनों वर्षों की पढ़ाई और परीक्षाएं सेमेस्टर सिस्टम से होंगी. छात्रों को अपने पसंद के चुने गए विषय को उसी सेमेस्टर में पूरा करना होगा. 16 में से 8 विषय के पेपर पहले साल यानी 11वीं और बाकी 8 विषयों के पेपर दूसरे सेमेस्टर यानी 12वीं क्लास में पूरे करने होंगे. सभी 16 पेपर (कोर्स) पूरा कर लेने के बाद 12वीं क्लास का सर्टिफिकेट मिलेगा. यही पैटर्न 9वीं और 10वीं परीक्षा में भी होगा.
कैसा होगा इंडियन स्कूलिंग सिस्टम?
नर्सरी से कक्षा 2: फाउंडेशन स्टेज 3 से 8 साल के बच्चों के लिए है.
कक्षा 3 से 5वीं: प्रारंभिक चरण तीन साल के लिए है और इसमें ग्रेड 3,4 और 5 शामिल हैं.
कक्षा 6वीं से 8वीं: मिडिल स्टेज तीन साल के लिए है और इसमें ग्रेड 6, 7 और 8 शामिल हैं.
कक्षा 9वीं से 12वीं: सेकेंडरी स्टेज चार साल के लिए है और इसमें ग्रेड 9, 10, 11 और 12 शामिल हैं.
नई शिक्षा नीति में दिया 5+3+3+4 फार्मेट क्या है
नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म करने की बात कही गई थी. अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला जाएगा. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा. इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12). इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं.
कहते हैं एक्सपर्ट
दिल्ली यूनिवर्सिटी में फैकल्टी ऑफ एजुकेशन में पूर्व डीन प्रोफेसर अनीता रामपाल ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि इससे पहले करिकुलम फ्रेमवर्क ऐसे नहीं आता था. ये एक तरह से निर्देश देने वाला नज़र आ रहा है जबकि ये सिलेबस बनाने वाले विशेषज्ञों या शिक्षकों के लिए मार्गदर्शक होना चाहिए था.
असेंबली कितने समय के लिए होगी, यूनिफॉर्म क्या होगी या किसी विषय का सिलेबस क्या होगा ये सब राज्यों पर छोड़ा जाना चाहिए क्योंकि एक संघीय ढांचे में राज्य अपनी समझ और संदर्भ से अपने करिकुलम पर विचार-विमर्श करते हैं, बनाते हैं, बदलाव करते हैं साथ ही कई संस्थाएं भी करिकुलम बनाने का काम करती हैं.