AI के आने के बाद से हर किसी को अपनी जॉब के जाने का खौफ सता रहा है, AI के आने के बाद से कई जूनियर लेवल की जॉब खतरे में आ गई है. लेकिन, इस वक्त में भी कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें हर साल प्रमोशन भी मिल रहे हैं. ऐसी ही कहानी, माइक्रोसॉफ्ट में काम करने वाली लड़की की है, जिन्हें 5 साल में 4 प्रमोशन मिले हैं.
ऋत्विका नागुला, जिन्होंने यह कारनामा दुनिया के सबसे ज्यादा कॉम्पिटिटिव माने जाने वाले सेक्टर में करके दिखाया है. आइए जानते हैं कैसे उन्होंने अपने 5 साल में 4 प्रमोशन का सफर तय किया है?
अनुभव से लेती रही सीख ऋत्विका
ऋत्विका ने 2019 में माइक्रोसॉफ्ट एज्यूर जॉइन किया था. उनका मानना था कि काम में कंसिटेंसी और क्वालिटी देना, काम में अपने आप ही ग्रोथ दिला सकता है. बिजनेस इनसाइडर के साथ एक इंटरव्यू में वो बताती हैं कि अगर मैं मानती थी, काम में अच्छे रिजल्ट देती रहूंगी तो प्रमोशन मिल ही जाएगा. लेकिन पहले साल के पूरे होने के बाद ही ऋत्विका को समझ आ गया था कि अपनी महत्वाकांक्षाओं के बारे में चुप रहना उसकी कमी को बता सकता है.
सोच में किया बदलाव
पहले साल की गलतियों को न दोहराकर ऋत्विका ने दूसरे साल से चीजों को बदलना शुरू कर दिया. वह दूसरे साल से अपने मैनेजर के साथ रेगुलर मीटिंग करने लगी. वह कई सवालों के साथ तैयारी करती और जानने का प्रयास करती कि कैसे इम्प्रूवमेंट किया जा सकता है. ऋत्विका ने एक पर्सनल टाइम टेबिल भी बनाया, जिसमें उसने 18 से 24 महीने में आगे बढ़ने का लक्ष्य रखा.
लगातार फीडबैक लेने से मिली मदद
ऋत्विका लगातार अपने मैनेजर, अपने साथियों और मेंटर से काम का फीडबैक लेती रहती. जब ऋत्विका को लगा कि सीनियर रोल के लिए शुरुआत से ही प्रोजेक्ट लीड करना ज़रूरी है, तो उसने इसका इंतज़ार नहीं किया, बल्कि खुद से ही इसके लिए अनुरोध कर लिया. उसके इस कदम से मैनेजर ने उसको नई जिम्मेदारियों के लिए तैयार माना.
वह बताती हैं कि प्रमोशन पाने का मतलब केवल इतना नहीं होता कि आप केवल काम पूरा करो, बल्कि इसके लिए आपको जिम्मेदारी लेनी होती है, नए मौके तलाशने होते हैं और काम में ग्रोथ का ध्यान रखना होता है.
क्या है सफलता का मंत्र?
सफलता के लिए आपको खुद के लिए जागरूक होना पड़ता है और अपना इम्पेक्ट अपने काम से साबित करना पड़ता है. ऋत्विका नागुला का यह सफर हमें काफी कुछ सीखने को देता है. केवल 5 साल में 4 प्रमोशन पाना आसान काम नहीं होता है. यह मेहनत, लगन और खुद को परखने की समझ से ही संभव हो सका है.