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कहीं छत टूटने का डर तो कहीं टपक रहा बारिश का पानी...अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे झारखंड के स्कूली बच्चे

झारखंड के दुमका जिले में भी ऐसे कई प्राथमिक विद्यालय हैं जिनका निर्माण लगभग पांच दशक पहले हुआ था और आज भी वे मरम्मत के सहारे ही चल रहे हैं. बिना पिलर के बनी इन स्कूल की दीवारों के प्लास्टर अब साथ छोड़ रहे हैं, और दीवारें खुद अपनी मजबूती खो रही हैं. इन स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर प्राथमिक शिक्षा पूरी कर रहे हैं.

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झारखंड के कई स्कूलों की हालत चिंताजनक है. दुमका और रामगढ़ स्थित केंद्रीय विद्यालयों की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं फिर भी बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं. (Photo: ITG)
झारखंड के कई स्कूलों की हालत चिंताजनक है. दुमका और रामगढ़ स्थित केंद्रीय विद्यालयों की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं फिर भी बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं. (Photo: ITG)

"बच्चे देश का भविष्य होते हैं," यह कहावत तो हमने कई बार सुनी है, लेकिन जब यही भविष्य मौत के साये में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने को मजबूर हो, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर उनका भविष्य क्या होगा? झारखंड के सरकारी स्कूलों की यह हकीकत है, जहां छात्र जर्जर इमारतों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. सरकारी अधिकारियों और आला अफसरों को इन हालातों की जानकारी है, फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. ऐसा प्रतीत होता है मानो वे किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हों.

दुमका के स्कूलों की बदहाली

दुमका जिले में भी ऐसे कई प्राथमिक विद्यालय हैं जिनका निर्माण लगभग पांच दशक पहले हुआ था और आज भी वे मरम्मत के सहारे ही चल रहे हैं. बिना पिलर के बनी इन स्कूल की दीवारों के प्लास्टर अब साथ छोड़ रहे हैं, और दीवारें खुद अपनी मजबूती खो रही हैं. इन स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर प्राथमिक शिक्षा पूरी कर रहे हैं.

दुमका के चांदोडीह और हरिपुर में स्थित प्राथमिक विद्यालय इसकी जीती-जागती मिसाल हैं. बताया जाता है कि इन स्कूलों का निर्माण 1984 में हुआ था. बिना पिलर की ये इमारतें करीब 42 सालों से छतों का बोझ उठाए हुए हैं. बारिश के दिनों में जब छतों से पानी रिसता है, तो सिर्फ मरम्मत करवाकर काम चला लिया जाता है.

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यहां पढ़ने वाले बच्चे बताते हैं कि वे किस डर के साये में पढ़ाई करते हैं. गरीब परिवार से आने वाले इन बच्चों की मजबूरी है कि यदि उन्हें शिक्षित होना है, तो आकस्मिक दुर्घटना के जोखिम में ही पढ़ना होगा. छात्र शुभम सोरेन ने अपना डर बताते हुए कहा, "जब भी छत से प्लास्टर गिरता है, हम तुरंत बेंच को आगे-पीछे कर लेते हैं." शुभम अपनी आशंका व्यक्त करते हुए कहते हैं कि "कभी भी दुर्घटना हो सकती है."

स्कूल भवन के लिए बजट आया, लेकिन निर्माण नहीं हुआ

शिक्षक ने एक और महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि 2014 में स्कूल के नए भवन के लिए बजट आया था, लेकिन जमीन की अनुपलब्धता के कारण भवन का निर्माण नहीं हो पाया और पैसा वापस चला गया. यह दिखाता है कि समस्या सिर्फ फंड की नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन की भी है.

इस मामले पर जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) आशीष कुमार हेंब्रम ने बताया कि शिक्षा विभाग के इंजीनियरों को दुमका जिले के जर्जर स्कूलों की जानकारी है. जर्जर स्कूलों की जानकारी मिलने पर डीएसई ने कहा कि एक टीम गठित कर इन स्कूलों की जांच कराई जाएगी. उन्होंने तत्काल में उन स्कूलों के बच्चों को पास के सुरक्षित स्कूलों में शिफ्ट कराने का भी आश्वासन दिया ताकि किसी तरह की दुर्घटना को टाला जा सके.

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Jharkhand school in bad condition

अधिकारी आश्वासन राहत भरा हो सकता है, लेकिन सवाल यह है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर इतने बड़े जोखिम के बाद ही कार्रवाई क्यों होती है? यह समस्या केवल दुमका की नहीं, बल्कि पूरे झारखंड के कई सरकारी स्कूलों की है, जहां नौनिहालों का भविष्य जर्जर दीवारों के बीच फंसा हुआ है. जमशेदपुर के पटमडा बेड़रा स्कूल के भी यही हालात हैं. यहां क्लास रूम की कमी है. छत की टूटी अवस्था में है.

राजकीय मध्य विद्यालय नया नगर बरकाकाना में सत्या कुमार ने कहा कि स्कूल की बिल्डिंग काफी पुराना होने की वजह से जर्जर हो गई है और आप देख ही रहे हैं झारखंड में बारिश किस तरह से लगातार हो रही है और बारिश की वजह से बच्चों को काफी परेशानी हो रही है.

क्लास रूम की संख्या भी कम होने की वजह से बच्चों को ऐसे ही मैनेज करके बैठना पड़ रहा है. अभी हमारे नई बिल्डिंग तैयार हो जाती है तो इस परेशानी से निपटारा हो जाएगा बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर है रिपेयर से काम नहीं चलेगा हमें बिल्डिंग ही चेंज करना पड़ेगा.

भुरकुंडा के केवी स्कूल की भी हालत खराब

केंद्रीय विद्यालय भुरकुंडा, झारखंड के प्रिंसिपल अनिरुद्ध प्रसाद ने बताया कि पहली से पांचवी कक्षा हमारे फर्स्ट फ्लोर में चलते हैं और वहां सीपेज है और कहीं-कहीं से दिवाले उखाड़ रहे हैं जो एक रिस्क है. हम लोग किसी भी हाल में बच्चों के साथ रिक्स या अनहोनी घटना नहीं ले सकते है हम लोग बच्चों का सेफ चाहते हैं आप जानते हैं कि जान है तो जहान है हमारे बच्चे सुरक्षित है जीवित है तब हमारा एजुकेशन है.

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Jharkhand school in bad condition

केंद्रीय विद्यालय भुरकुंडा की यहां क्लास 1 से लेकर 10 तक की पढ़ाई होती है, लेकिन फिलहाल 1 से लेकर 5 तक की बच्चों की पढ़ाई को बंद कर दिया गया है, वजह चौंकाने वाली है. स्कूल की फर्स्ट फ्लोर में क्लास 1 से लेकर क्लास 5 तक की पढ़ाई को पिछले बीस दिनों से बंद करके रखा गया है.

वजह है ऊपरी मंजिल में सिर्फ छत से ही पानी नहीं टपकता है, बल्कि छत की हालत भी काफी जर्जर हो चुकी है और कभी भी बड़े हादसे के होने की डर से स्कूल प्रबंधक ने क्लास 1 से लेकर 5 तक की क्लास को बंद कर दिया है और बच्चों को स्कूल आने से मना कर दिया गया है.

रामगढ़ जिले बारिश ने स्कूलों का किया बुरा हाल

झारखंड के रामगढ़ जिले में लगातार हो रहे बारिश ने ना सिर्फ जन जीवन को ही अस्त व्यस्त कर दिया है, बल्कि विकास के दावे करने वाले की पोल भी खोल दिया है. देश के भविष्य स्कूलों में तालीम ले रहे है, रामगढ़ जिले से स्कूलों की एक हैरान कर देने वाली दो तस्वीर सामने आई है, स्कूली बच्चे अपने क्लास रुम में छाता लगाकर पढ़ाई करते नजर आ रहे है तो कहीं बारिश की वजह से स्कूल को ही बंद कर दिया गया है.

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