ईरान में जहरीला खाना खाने से 1200 छात्रों की तबियत खराब हो गई. ये छात्र खराजमी और अर्क यूनिवर्सिटी के हैं, जो बुधवार से सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने वाले थे. फूड प्वॉइजनिंग का शिकार इन छात्रों ने खाना खाने के तुरंत बाद उल्टी, शरीर में दर्द और चक्कर आने की शिकायत की. नेशनल स्टूडेंट यूनियन ने प्रशासन पर जानबूझकर छात्रों को जहरीला खाना देने का आरोप लगाया है.
ईरान की खराजमी और अर्क यूनिवर्सिटी के अलावा चार अन्य संस्थानों के छात्रों ने भी यूनिवर्सिटी में खाना खाने के बाद इसी तरह की शिकायतें की. इसके विरोध में अब ईरान की कई यूनिवर्सिटीज के छात्र कैफेटेरिया के खाने का बहिष्कार कर रहे हैं.
सड़कों पर फेंक रहे कैंटीन का खाना
खराजमी और अराक यूनिवर्सिटी सहित चार अन्य संस्थानों के छात्रों ने यूनिवर्सिटीज में मिलने वाले खाने का बहिष्कार किया और उसे सड़कों पर फेंक दिया.
नेशनल स्टूडेंट यूनियन ने जारी बयान में कहा कि इफाहान यूनिवर्सिटी में भी इसी तरह की घटनाएं हुई थीं, जहां बड़े पैमाने पर बच्चों को फूड प्वॉइजनिंग वाला खाना दिया गया था. लेकिन प्रशासन ने बैक्टीरिया को फूड प्वॉइजनिंग की वजह बताया है.
कई यूनिवर्सिटीज में मेडिकल क्लीनिक्स बंद कर दी गई है या फिर यहां डिहाइड्रेशन और फूड प्वॉइजनिंग से जुड़ी बीमारियों का इलाज करने वाली दवाइयों का स्टॉक खत्म हो गया है. जिससे यह संकेत मिलता है कि ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शन को कुचलने के लिए यह जानबूझकर किया गया प्रयास हो सकता है.
ईरान में बुधवार से छात्रों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल
ईरान में बुधवार से तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल होने वाली थी. लेकिन इससे एक रात पहले ही बड़े पैंमाने पर इन प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले छात्रों की जहरीला खाना खाने से तबियत खराब होने से खलबली मच गई है.
इस बीच ईरान सरकार ने मॉरैलिटी पुलिस को भंग करने की खबरों से इनकार किया. मॉरैलिटी पुलिस पर 22 साल की महसा अमीनी की हत्या का आरोप लगा है. ईरान की मॉरैलिटी पुलिस देश की पुलिस व्यवस्था का ही हिस्सा है, जो देश में इस्लामिक कानूनों और डेस कोड को लागू करना सुनिश्चित करती है. इसे BASIJ भी कहा जाता है. यह दरअसल उन लोगों का समूह है, जो ईरान की सरकार के प्रति वफादार है और खुद को अर्धसैनिकबलों की तरह पेश करता है. ईरान में बासिज पिछले दो दशकों से सरकार के खिलाफ किसी भी असंतोष को खत्म करने में अहम भूमिका निभाता रहा है.
बता दें कि 22 साल की ईरानी लड़की महसा अमीनी को ठीक तरह से हिजाब न पहनने की वजह से मॉरैलिटी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस कस्टडी में महसा अमीनी की मौत हो गई. मॉरैलिटी पुलिस पर अमीनी की मौत का आरोप लगाया गया. इसके बाद देशभर में सरकार और हिजाब के विरोध में प्रदर्शन होने लगे. इन प्रदर्शनों में छात्र बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.